पेंटर की जिंदगी से खिलवाड़: मेट्रोपोलिस सोसाइटी की चमक के पीछे अंधेरा

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सुबह 9:30 बजे मेट्रोपोलिस सिटी की पांचवीं मंजिल से गिरे पेंटर की कराह अब केवल एक मजदूर की तकलीफ़ नहीं रही, बल्कि यह पूरे सिस्टम की पोल खोलती चीख बन चुकी है। सवाल यह है कि आखिर एक नामी सोसाइटी में काम करते वक्त बुनियादी सुरक्षा मानकों की अनदेखी कैसे हो सकती है?

पुताई का काम बिना सुरक्षा बेल्ट, हेलमेट और सुरक्षा जाल के कराया गया। मजदूर को ऊपर चढ़ाने वाले ठेकेदार ने नियमों को ताक पर रख दिया। मेट्रोपोलिस के मेंटेनेंस और सोसाइटी मैनेजमेंट पर व्यंग करते हुए कहा जा सकता है—”इनके लिए बिल्डिंग की चमक मायने रखती है, इंसान की जिंदगी नहीं।”

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)

ठेकेदार की असली जिम्मेदारी

हालांकि MRWAऔर सोसाइटी प्रबंधन की लापरवाही साफ है, लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदारी उस ठेकेदार की है जिसने यह ठेका लिया। ठेकेदार के लिए पेंटर महज ‘काम करने वाला हाथ’ रहा, न कि एक इंसान जिसकी भी एक जिंदगी और परिवार है। सुरक्षा इंतज़ाम किए बिना किसी को ऊपर चढ़ाना मजदूरी नहीं, सीधा अपराध है। यह घटना सिर्फ़ दुर्घटना नहीं, बल्कि एक तरह से कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का दूसरा नाम है—जहाँ जान की कीमत पैसों की बचत में समा जाती है।संदेह के घेरे में मेट्रोपोलिस?यह पहली बार नहीं है जब मेट्रोपोलिस जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठे हों। फायर सेफ़्टी, मेंटेनेंस और बिल्डिंग की गुणवत्ता को लेकर पहले भी संदेह व्यक्त होते रहे हैं। सवाल उठता है—क्या इन गगनचुंबी इमारतों में रहने वालों की सुरक्षा केवल कागज़ी खानापूर्ति है?

मजदूर की जिंदगी बनाम सोसाइटी की चमक?आज जिस पेंटर की हालत गंभीर है, वह महज़ एक आंकड़ा न बने। उसकी जिंदगी और उसके परिवार की जिम्मेदारी सीधे तौर पर ठेकेदार और सोसाइटी मैनेजमेंट की होनी चाहिए। लेकिन अमूमन यही देखा जाता है कि ऐसे मामलों में मैनेजमेंट अपना पल्ला झाड़ लेता है और ठेकेदार ‘भाग खड़ा होता है’।

हमारी बात,?हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स का यह स्पष्ट मानना है कि श्रम कानूनों और बिल्डिंग सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन हो।ठेकेदार को तुरंत ब्लैकलिस्ट किया जाए और मजदूर के इलाज व मुआवजे की संपूर्ण जिम्मेदारी उसी पर डाली जाए।मेट्रोपोलिस जैसी सोसाइटियों की समय-समय पर सुरक्षा ऑडिट हो और रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।अगर पांचवीं मंजिल से गिरते हुए पेंटर की चीख सोसाइटी मैनेजमेंट और ठेकेदारों के कानों तक नहीं पहुंचती, तो आने वाले वक्त में यह चीख किसी और मजदूर की जान ले सकती है।



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