
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में जिस “भयमुक्त एवं अपराधमुक्त उत्तराखंड” अभियान की परिकल्पना की गई है, उसकी जमीनी झलक अब साफ़ तौर पर दिखाई देने लगी है। हाल ही में काशीपुर उपद्रव मामले में पुलिस की त्वरित कार्रवाई इस बात का प्रमाण है कि शासन-प्रशासन अब किसी भी तरह के उपद्रवी, अपराधी और नशा तस्करों को किसी भी कीमत पर बख्शने के मूड में नहीं है।


✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
काशीपुर उपद्रव के मास्टरमाइंड नदीम अख्तर समेत सात उपद्रवियों की गिरफ्तारी, दस अन्य की हिरासत और शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती यह संदेश देने के लिए पर्याप्त है कि उत्तराखंड पुलिस अब कानून तोड़ने वालों के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति पर काम कर रही है। पुलिस पर हमले और सरकारी संपत्ति को क्षति पहुँचाने जैसी घटनाएँ किसी भी सभ्य समाज में बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। ऐसे तत्वों के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई ही जनता का विश्वास और कानून की गरिमा बनाए रख सकती है।
एसएसपी मणिकांत मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए जहां पूरे अल्ली खां में बुलडोजर चलवाकर अतिक्रमण हटवा दिया। वहीं मुख्य आरोपी नदीम अख्तर को भी गिरफ्तार कर लिया।
आपको बता दें कि कल रात मौ. अल्ली खां में मुस्लिम समुदाय के 400-500 लोग बिना अनुमति के जुलूस निकालने पर अड़ गये। पुलिस द्वारा मना करने पर पुलिस से भिड़ गये पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट कर दी और पुलिस की 2 गाड़ियों में तोड़ फोड़ कर दी। जिसके बाद आाज पुलिस ने कप्तान मणिकांत मिश्रा के नेतृत्व में अभियान चलाकर 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया तथा 10 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया तथा उसके बाद प्रशासन ने पूरे अल्ली खां में बुलडोजर चलाकर अवैध निर्माण को तोड़ डाला।
इसी क्रम में नशा तस्करी के खिलाफ किच्छा पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई भी उल्लेखनीय रही, जिसमें 152.39 ग्राम स्मैक बरामद की गई, जिसकी बाज़ार कीमत आठ लाख रुपये आँकी गई है। यह कार्रवाई केवल एक तस्कर की गिरफ्तारी भर नहीं है, बल्कि यह एक बड़े नेटवर्क के खिलाफ निर्णायक कदम की ओर इशारा करती है। नशे का कारोबार युवाओं के भविष्य को तबाह करता है और समाज को खोखला बनाता है। इसलिए एसएसपी मणिकांत मिश्रा का यह सख्त रुख समाज के लिए एक राहत की खबर है।
इसी तरह बाजपुर में कार चोरी का खुलासा कर पुलिस ने यह साबित कर दिया कि कोई भी आपराधिक कड़ी उनकी पैनी नज़रों से बच नहीं सकती। चोरी की कार के साथ दो आरोपी गिरफ्तार हुए और घटना में प्रयुक्त दूसरी कार भी बरामद की गई। खास बात यह रही कि इन आरोपियों के खिलाफ पूर्व में भी मुकदमे दर्ज थे, जिसका अर्थ यह है कि पुलिस अब ऐसे ‘हिस्ट्रीशीटर’ अपराधियों पर विशेष नज़र रख रही है।
सबसे गंभीर और संवेदनशील मामला जसपुर में नाबालिग के साथ दुष्कर्म और नृशंस हत्या का था। यह घटना जितनी दिल दहला देने वाली थी, उतनी ही पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण भी। लेकिन महज 12 घंटे में पुलिस ने इस जघन्य अपराध का पर्दाफाश कर आरोपी को दबोच लिया। बच्चे के रोने की आवाज को सुराग बनाकर जसपुर पुलिस ने आरोपी तक पहुँच बनाई। आरोपी की निशानदेही पर खून से सना ब्लेड और कपड़े बरामद हुए। घटना की गंभीरता को देखते हुए दस पुलिस टीमों का गठन किया गया था। यह न केवल पुलिस की दक्षता और सूझबूझ का उदाहरण है, बल्कि जनता में विश्वास जगाने वाला भी है।
दरोगा अनिल जोशी द्वारा जुलूस के लीडर नदीम अख्तर सहित लगभग 400 उपद्रवियों के खिलाफ कोतवाली काशीपुर में धारा 190/191(2)/191(3)/232/121 (1)/132/221/324(3)/351(2)/352 बीएनएस के तहत मुकदमा भी दर्ज करवा दिया गया
इन घटनाओं से एक बात स्पष्ट है कि उत्तराखंड पुलिस का नेतृत्व वर्तमान में कड़े और निर्णायक हाथों में है। एसएसपी मणिकांत मिश्रा की कार्यशैली में त्वरितता, तकनीक का उपयोग और अपराधियों पर पैनी नज़र तीन प्रमुख आयाम बनकर उभरे हैं। सीसीटीवी और मोबाइल फुटेज का इस्तेमाल कर उपद्रवियों की पहचान करना हो या घटना स्थल से छोटे-छोटे सुराग जुटाकर हत्या और द

