धर्मनगरी हरिद्वार आज एक भीषण त्रासदी की गवाह बनी। सावन मास के पावन अवसर और सप्ताहांत की छुट्टी ने यहां के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को आकर्षित किया, लेकिन यह भीड़ एक दुखद हादसे में बदल गई।

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हरिद्वार मंदिर हादसा: श्रद्धालुओं की आस्था पर टूटी मौत की बिजली — भीषण भगदड़ में 11की मौत, कई घायल

✍️ संपादकीय टिप्पणी सहित विशेष रिपोर्ट


हरिद्वार, 27 जुलाई 2025 — उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में आज सुबह करीब 9:30 बजे एक पवित्र मंदिर के सीढ़ीनुमा पैदल मार्ग पर हुई भीषण भगदड़ ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। इस दिल दहला देने वाली घटना में अब तक लगभग11 श्रद्धालुओं की मृत्यु की पुष्टि हुई है, जबकि कई दर्जन लोग घायल हो गए हैं। घायलों में से 3-4 की हालत अत्यंत गंभीर बताई जा रही है।

त्रासदी का कारण: करंट और कुप्रबंधन

प्रत्यक्षदर्शियों और प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, यह हादसा भीड़ के ऊपर अचानक टूटकर गिरे बिजली के तार से शुरू हुआ। जब तार से फैले करंट ने लोगों को झटका दिया तो वहां मौजूद श्रद्धालुओं में भय और अफरा-तफरी फैल गई। जान बचाने की होड़ में धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए। यही भगदड़ अंततः कई निर्दोष जिंदगियों को लील गई।

मंदिर का मार्ग पहले से ही भीड़ से खचाखच भरा था और सुरक्षा के नाम पर कोई ठोस इंतज़ाम नहीं थे। बिजली के जर्जर तारों और प्रशासन की लापरवाही ने मिलकर इस त्रासदी को जन्म दिया।


राहत एवं बचाव कार्य

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, SDRF, मेडिकल टीमें और जिला प्रशासन की इकाइयाँ सक्रिय हो गईं। घायलों को हरिद्वार जिला अस्पताल, ऋषिकेश AIIMS और अन्य नजदीकी चिकित्सा केंद्रों में भर्ती कराया गया है।

गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने ANI से बात करते हुए कहा कि वे खुद घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। पहले उन्होंने लगभग11 मौतों की पुष्टि की थी, लेकिन बाद में यह आंकड़ा बढ़कर 6=हो गया


जांच के आदेश और सवालों के घेरे में प्रशासन

हरिद्वार जिला प्रशासन ने इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं।

जांच के मुख्य बिंदु होंगे:

  • बिजली के तार के टूटने की तकनीकी और प्रशासनिक ज़िम्मेदारी
  • भीड़ प्रबंधन में विफलता
  • आपातकालीन निकासी योजना की गैर-मौजूदगी
  • मंदिर समिति और विद्युत विभाग की संयुक्त लापरवाही

संपादकीय टिप्पणी: श्रद्धा का यह अंत स्वीकार नहीं!
हर बार जब कोई ऐसा हादसा होता है, तो कुछ दिन तक शोक, संवेदनाएं और जांच के आदेशों की लहर उठती है, फिर सब सामान्य हो जाता है। पर क्या श्रद्धालुओं की जान का कोई मूल्य नहीं? उत्तराखंड, जो अपनी धार्मिक पर्यटन पर निर्भर करता है, क्या आज भी 21वीं सदी में “भगदड़ और करंट” जैसी मौतों से नहीं उबर पाया?

इस हादसे ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि हमारे धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था महज औपचारिकता बनकर रह गई है

सवाल यह है:

  • क्या भीड़ नियंत्रण के लिए प्रशिक्षित बलों की तैनाती की गई थी?
  • क्या आपात स्थिति में निकासी के वैकल्पिक रास्ते थे?
  • किसने तार की मरम्मत की अनदेखी की और क्यों?

श्रद्धांजलि और न्याय की मांग

इस दर्दनाक घटना में जिन श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई है, उनके परिवारों को प्रशासन की ओर से आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया गया है। लेकिन मुआवज़ा समाधान नहीं, जवाबदेही ज़रूरी है।

उत्तराखंड सरकार को चाहिए कि वह इस घटना को सिर्फ एक दुर्घटना मानकर नजरअंदाज न करे, बल्कि इसे नीति और ढांचे की विफलता माने और आगे की घटनाओं से बचाव की ठोस कार्ययोजना बनाए
यह हादसा केवल एक तात्कालिक त्रासदी नहीं है, यह सिस्टमिक विफलता का प्रतीक है।

जब तक श्रद्धालुओं की भीड़ को केवल “आमजन” समझकर नजरअंदाज किया जाएगा, तब तक यह भूमि “देवभूमि” होकर भी त्रासदियों की भूमि बनती रहेगी।

समय आ गया है कि धार्मिक पर्यटन की सुरक्षा को “राज्य सुरक्षा नीति” का हिस्सा बनाया जाए और जिम्मेदार विभागों को जवाबदेह ठहराया जाए।


आगामी दिनों में मृतकों की पहचान, राहत कार्यों की प्रगति और जांच रिपोर्ट से जुड़ी अपडेट के लिए हमारी टीम लगातार संपर्क में है।

ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति दे और परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति।


✍️ संपादकीय हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स |मंदिर के पैदल मार्ग पर मची भीषण भगदड़ में अब तक 6 लोगों की मौत की ख़बर सामने आ रही है, जबकि कई दर्जन लोग घायल हुए हैं, जिन्हें तत्काल उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गंभीर रूप से घायल 3 से 4 लोगों की हालत नाजुक बनी हुई है।

यह हृदय विदारक घटना आज सुबह लगभग 9:30 बजे के करीब मंदिर के सीढ़ी वाले रास्ते पर हुई। आधिकारिक सूत्रों और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, त्रासदी का मुख्य कारण भीड़ पर बिजली का तार टूटना बताया जा रहा है। तार टूटते ही अचानक फैले करंट ने श्रद्धालुओं में दहशत पैदा कर दी। आनन-फानन में लोग जान बचाने के लिए भागने लगे, जिससे बेकाबू भीड़ में धक्का-मुक्की शुरू हो गई। देखते ही देखते स्थिति इतनी बिगड़ गई कि कई लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर गए और भीड़ के नीचे दबकर हताहत हो गए।

घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस बल और मेडिकल टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि वे घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। उन्होंने पहले 6 मौतों की पुष्टि की थी, लेकिन राहत और बचाव कार्य के दौरान हताहतों की संख्या बढ़ने की सूचना मिली है और अब यह आंकड़ा 11 तक पहुंचने की बात कही जा रही है।

घायलों को तत्काल प्रभाव से हरिद्वार के जिला अस्पताल और अन्य नजदीकी चिकित्सालयों में भर्ती कराया गया है। चिकित्साकर्मी युद्धस्तर पर उनका इलाज कर रहे हैं। मंदिर परिसर में अभी भी अफरा-तफरी का माहौल है, लेकिन पुलिस और प्रशासन की टीमें स्थिति को नियंत्रित करने और राहत-बचाव कार्य को गति देने में लगी हुई हैं।

जिला प्रशासन हरिद्वार ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच में भगदड़ के वास्तविक कारणों, बिजली के तार टूटने की परिस्थितियों और भीड़ प्रबंधन में किसी भी तरह की संभावित चूक की गहन पड़ताल की जाएगी। इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था और भारी भीड़ के कुशल प्रबंधन की आवश्यकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,

उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर, विशेषकर सावन जैसे पावन महीनों में, लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह त्रासदी भीड़ प्रबंधन के लिए एक ठोस और प्रभावी कार्ययोजना की कमी को उजागर करती है। मृतकों के परिजनों में गहरा शोक व्याप्त है, और प्रशासन ने उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। इस दुखद घटना से पूरे हरिद्वार और उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। विस्तृत रिपोर्ट और जांच के परिणामों का इंतजार है।

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुए हृदय विदारक हादसे में 6 लोगों की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुःखद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगतों की आत्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

प्रदेश सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये एवं घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। साथ ही घटना के मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश भी दिए हैं।


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