
उत्तराखंड की धरती, जहाँ हिमालय की चोटियां अपनी भव्यता में सिर ऊँचा किए खड़ी हैं, जहाँ नदियों का कलकल बहता जल लोकगीतों की धुन सा प्रतीत होता है—वहीं जन्मे और पले-बढ़े गढ़गौरव श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने अपनी गायकी और रचनाओं से उत्तराखंडी लोकसंस्कृति को अमर कर दिया है। आज उनके जन्मदिवस पर न केवल राज्य बल्कि देश-विदेश में बसे उत्तराखंडी हृदय से उन्हें याद कर रहे हैं और अपनी शुभकामनाएं भेज रहे हैं।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)


नेगी जी का नाम लेते ही पहाड़ की मिट्टी की महक, खेतों की हरियाली, चौपाल की रौनक, लोकमेलों की चहचहाहट और सामाजिक चेतना से लबरेज़ गीत हमारे मन में गूंजने लगते हैं। उन्होंने अपने गीतों में सिर्फ प्रेम और पर्वों का वर्णन ही नहीं किया, बल्कि पहाड़ की पीड़ा, प्रवासन का दर्द, बेरोजगारी की कसक, भ्रष्टाचार की आलोचना और जनमानस की उम्मीदों को भी सजीव रूप दिया।
उनकी खासियत यह है कि वे केवल गायक नहीं, बल्कि जन-जागरूकता के गीतकार भी हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में कठिन से कठिन सामाजिक मुद्दों को भी इतने सरल और मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया कि आम जन तक बात सीधे पहुँच जाए। यही कारण है कि उनके गीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक दस्तावेज़ की तरह पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाए और गुनगुनाए जाते हैं।
आज जबकि आधुनिकता के नाम पर हमारी लोकभाषाएं और परंपराएं हाशिये पर जाती दिख रही हैं, नेगी जी का योगदान और भी मूल्यवान हो जाता है। उन्होंने गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोलियों को अपने गीतों के माध्यम से न सिर्फ जीवित रखा, बल्कि उन्हें पहचान दिलाई। यही वजह है कि वे “उत्तराखंड रत्न” और “गढ़गौरव” की उपाधियों से सम्मानित हुए—और सच कहें तो ये उपाधियां भी उनकी महत्ता को पूरी तरह नहीं बयां कर सकतीं।
उनका जीवन उत्तराखंड के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है—कि अपनी जड़ों से जुड़े रहकर भी विश्व पटल पर पहचान बनाई जा सकती है। नेगी जी ने सिद्ध किया कि कला, यदि ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ रची जाए, तो वह युगों तक अमर रहती है।
जन्मदिन के इस अवसर पर हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे नेगी जी को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और अटूट सृजनशीलता का आशीर्वाद दें। ताकि उनके स्वर आने वाली पीढ़ियों तक हमारे पर्वतीय अंचल की आत्मा को अभिव्यक्त करते रहें।
“नेगी जी, आपका गीत केवल स्वर नहीं, यह उत्तराखंड की धड़कन है।”

