
रुद्रपुर उत्तराखंड में एक बार फिर कोरोना वायरस की दस्तक ने स्वास्थ्य महकमे के साथ-साथ आम नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है। चारधाम यात्रा और वैष्णोदेवी से लौटे तीन श्रद्धालुओं समेत सात नए मामलों की पुष्टि, और कुल सक्रिय मामलों की संख्या 30 तक पहुँचना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कोविड-19 भले ही सुर्खियों से गायब हो चुका हो, लेकिन वायरस का अस्तित्व अब भी समाज के भीतर छिपा बैठा है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
श्रद्धालु और तीर्थ यात्रा से जुड़े जोखिम,इस बार जो तथ्य विशेष रूप से चिंताजनक है, वह यह कि जिन सात नए मरीजों की पुष्टि हुई है, उनमें से तीन हाल ही में बदरीनाथ, केदारनाथ और वैष्णोदेवी जैसे तीर्थ स्थलों की यात्रा से लौटे थे। यह उन हालात की ओर इशारा करता है जहाँ बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं और वहाँ संक्रमण फैलने की आशंका अधिक रहती है। धार्मिक आस्था अपनी जगह है, लेकिन भीड़-भाड़ और थकावट भरी यात्रा के बीच स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही घातक सिद्ध हो सकती है।
स्वास्थ्य विभाग की तत्परता सराहनीय लेकिन सतर्कता ज़रूरी
डॉ. आर. राजेश कुमार, स्वास्थ्य सचिव, उत्तराखंड ने स्थिति पर निगरानी रखने और लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। वर्तमान में सात सक्रिय मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा गया है, और अब तक किसी में गंभीर लक्षण नहीं पाए गए हैं। फिर भी वायरस का यह पुनः उभरना सरकार और समाज दोनों के लिए चेतावनी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दिए गए निर्देश—विशेषकर रुद्रपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज उत्तराखंड के समस्त हॉस्पिटल व मेडिकल कॉलेज को अलर्ट मोड पर रखने, ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने, और संभावित इमरजेंसी के लिए पूर्व तैयारी रखने—समय पर लिए गए प्रबंधनात्मक कदम हैं। यह स्थिति यदि और बिगड़ती है तो ऐसे ही आदेश और तैयारियां आने वाले समय में जान बचाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
जनता की भूमिका अहम: सावधानी, वैक्सीन और जिम्मेदारी सरकार और स्वास्थ्य विभाग चाहे जितनी भी तैयारी कर ले, इस युद्ध की सबसे पहली पंक्ति में जनता स्वयं है। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता जैसे नियमों को अब भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह भी आवश्यक है कि जिन लोगों ने अब तक बूस्टर डोज नहीं ली है, वे तत्काल वैक्सीनेशन केंद्र जाकर टीका लगवाएं। धार्मिक स्थलों पर जाने से पहले खुद की सेहत का मूल्यांकन करें, और लौटने के बाद यदि सर्दी, बुखार, गले में खराश या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण हों, तो जांच कराने में देरी न करें।
पर्यटन सीजन में और बढ़ सकती है चुनौती,उत्तराखंड का यह मौसम पर्यटन के लिए बेहद अनुकूल होता है। चारधाम यात्रा के साथ ही हिल स्टेशनों पर देश-विदेश से पर्यटक आना शुरू हो चुके हैं। इस स्थिति में एक भी संक्रमित व्यक्ति कई अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। होटल, रेस्तरां, बस स्टैंड, रेल स्टेशन, और एयरपोर्ट जैसी जगहों पर स्वास्थ्य विभाग को सक्रिय रहकर सैंपलिंग व स्क्रीनिंग की प्रक्रिया को मजबूत करना चाहिए।
लापरवाही नहीं, सतर्कता से ही सुरक्षा संभव,कोरोना अब हमारे साथ एक ‘सामान्य बीमारी’ की तरह सहअस्तित्व में है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम इसे हल्के में लें। आज की सकारात्मक बात यह है कि अब तक सामने आए किसी भी मरीज में गंभीर लक्षण नहीं पाए गए हैं और पूर्व की तुलना में स्वास्थ्य व्यवस्था भी अधिक सजग है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यही लापरवाही 2020 और 2021 में किस प्रकार की भयावह स्थिति उत्पन्न कर चुकी है।
उत्तराखंड सरकार की सतर्कता सराहनीय है, लेकिन जिम्मेदार नागरिक बनना अब हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। याद रखें, सावधानी में ही सुरक्षा है, और जागरूकता ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।
