
79वें स्वतंत्रता दिवस पर देहरादून का परेड मैदान गवाह बना एक ऐसे पल का, जब इतिहास, वर्तमान और भविष्य एक साथ खड़े दिखाई दिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ध्वजारोहण के साथ न केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया, बल्कि उन पुलिसकर्मियों को भी सराहना दी, जिन्होंने अपने कर्तव्य और समर्पण से राज्य का मान बढ़ाया। 143 पुलिसकर्मियों में से 16 को मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक प्रदान करना इस बात का प्रमाण है कि सुरक्षा बल केवल कानून व्यवस्था नहीं, बल्कि जनता के विश्वास के प्रहरी भी हैं।


मुख्यमंत्री के संबोधन में दो बातें विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहीं—एक, अमर बलिदानियों के सपनों को साकार करने का संकल्प, और दूसरी, आपदा प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास की प्रतिबद्धता। धराली और अन्य क्षेत्रों में आपदा से प्रभावित परिवारों के प्रति उनकी संवेदनाएं यह दर्शाती हैं कि विकास केवल योजनाओं में नहीं, बल्कि पीड़ित के दर्द को महसूस करने में भी निहित है।
उत्तराखंड, जो अपने गठन से लेकर अब तक विकास की ऊँचाइयों को छूने का प्रयास कर रहा है, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती स्वीकार्यता का हिस्सा है। मुख्यमंत्री धामी का “आगामी 25 वर्षों की योजनाओं” का दृष्टिकोण बताता है कि यह पर्व केवल अतीत को याद करने का नहीं, बल्कि भविष्य की रूपरेखा गढ़ने का भी अवसर है।
ध्वजारोहण, राष्ट्र की एकता की शपथ, और भाजपा कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक तिरंगे के नीचे एकत्रित जनसमूह—ये सभी क्षण हमें याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि निरंतर जागरूकता, जिम्मेदारी और संकल्प का नाम है।
आज आवश्यकता है कि इस जोश और देशभक्ति को हम केवल समारोहों तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने कार्यों, विचारों और नीतियों में उतारें। तभी हम वास्तव में उन बलिदानियों के ऋण को चुका पाएंगे, जिन्होंने हमें यह स्वतंत्रता दी।

