उत्तराखंड, जो कभी देवभूमि के नाम से जाना जाता था, आज एक बार फिर उसी स्वरूप में पुनर्स्थापित हो रहा है — मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में। जहां एक ओर संपूर्ण भारत में धर्मांतरण को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं, वहीं उत्तराखंड ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के माध्यम से न केवल इस साजिश का पर्दाफाश किया, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र को एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया है।
ऑपरेशन कालनेमि’: छलावरण में छुपे दुश्मनों का पर्दाफाश
धामी सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘ऑपरेशन कालनेमि’ कोई सामान्य प्रशासनिक कार्रवाई नहीं थी — यह एक आध्यात्मिक-सांस्कृतिक युद्ध था। इसका नाम भी प्रतीकात्मक रूप से “कालनेमि” पर आधारित रखा गया, जो रामायण में साधु वेशधारी राक्षस का प्रतीक था। ठीक वैसे ही, इस ऑपरेशन ने कांवड़ यात्रा के दौरान साधु-संतों के वेश में आए बहरूपियों को बेनकाब किया, जिनका उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था को चोट पहुँचाना नहीं, बल्कि उसे नष्ट करना था।


पाकिस्तान और दुबई तक फैला धर्मांतरण का जाल?हाल ही में देहरादून पुलिस द्वारा किए गए खुलासे ने पूरे देश को चौंका दिया। सोशल मीडिया के माध्यम से युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर, उन्हें कुरान की ऑनलाइन तालीम दी जाती थी। फिर दिल्ली ले जाकर निकाह का दबाव बनाया जाता था। रानीपोखरी की एक युवती की शिकायत ने इस अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया।
गिरफ्तार आरोपियों में –
- अब्दुल रहमान
- अब्दुल रहीम
- अब्दुल रशीद
- अब्दुल सत्तार
- आशया उर्फ कृष्णा
- महेंद्र उर्फ प्रेमपाल सिंह
इनमें से कुछ के पाकिस्तान और दुबई से संपर्क की पुष्टि हुई है। देहरादून के SSP अजय सिंह के अनुसार, यह नेटवर्क कई राज्यों में फैला है और अंतर्राष्ट्रीय धर्मांतरण साजिश का हिस्सा है।
उत्तराखंड में धर्मांतरण के अब तक के प्रमुख मामले?2022, हरिद्वार धर्मांतरण मामला:धर्मांतरण के आरोप में दावा मिशन नामक संगठन के कई कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए।2023, हल्द्वानी प्रकरण:एक युवती ने खुलासा किया कि उसके प्रेमी ने पहचान छुपाकर उससे संबंध बनाए और बाद में धर्मांतरण का दबाव डाला।2024, उधमसिंह नगर (रुद्रपुर):दर्जनों लोगों को आर्थिक लालच देकर ईसाई धर्म में शामिल किया गया। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था।2025, देहरादून ऑपरेशन कालनेमि:पहली बार कांवड़ यात्रा के दौरान धार्मिक वेश में छिपे आतंकी-प्रेरित तत्वों को पकड़ने का साहसिक कार्य किया गया।
धामी सरकार: दृढ़ता, सजगता और संकल्प की प्रतीक?मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड ने ‘धार्मिक सुरक्षा कानून’, ‘यात्री सुरक्षा नीति’, ‘लव जिहाद विरोधी विधेयक’, और अब ‘ऑपरेशन कालनेमि’ जैसे कदम उठाकर यह सिद्ध किया है कि यह सरकार न केवल विकास के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि धर्म, संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए भी पूर्णतया सजग है।
धामी ने स्पष्ट किया है—
“उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। जो धर्मांतरण की आड़ में हमारी बेटियों को निशाना बना रहे हैं, उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी।”
समाज की जिम्मेदारी: संवाद और सतर्कता
इस पूरी साजिश का शिकार बनी युवती का यह बयान समाज के लिए एक चेतावनी है:
“माता-पिता को बच्चों के साथ संवाद बनाए रखना चाहिए, धर्म के बारे में सही जानकारी देना चाहिए और सोशल मीडिया पर बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।”
यह केवल पुलिस या सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की संयुक्त नैतिक जिम्मेदारी है कि वह अपनी संस्कृति की रक्षा करे।
उत्तराखंड की ‘धार्मिक पहचान’, संवेदनशील भौगोलिक स्थिति और धार्मिक पर्यटन केंद्रों को देखते हुए ऐसे षड्यंत्रों का उजागर होना गम्भीर चिंता का विषय है। परंतु इस चिंता का समाधान भी वहीं से शुरू होता है — धामी सरकार की नीतियों, संकल्पों और साहसिक निर्णयों से।
‘ऑपरेशन कालनेमि’ इस बात का प्रतीक है कि उत्तराखंड अब केवल देवभूमि नहीं, धर्मरक्षक भूमि बनने की ओर बढ़ रहा है।

