28 जुलाई 2025 को रुद्रपुर में त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन के द्वितीय चरण के तहत जो तस्वीरें सामने आईं, वे लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करने वाली रहीं। जहां एक ओर जिला प्रशासन ने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सम्पन्न कराने के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ मोर्चा संभाला, वहीं पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।


जिलाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी नितिन सिंह भदौरिया तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा द्वारा मतदान केंद्रों का स्थलीय निरीक्षण यह दर्शाता है कि लोकतंत्र को लेकर जिम्मेदार तंत्र पूरी तरह सजग और समर्पित है। रुद्रपुर विकासखंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय शिमला पिस्तौर और कीरतपुर जैसे संवेदनशील बूथों पर अधिकारियों की उपस्थिति स्वयं में एक सशक्त संदेश है – कि शासन की प्राथमिकता मतदाता है, और उसकी सुरक्षा तथा सुविधा सर्वोपरि।
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों द्वारा पीठासीन व मतदान अधिकारियों को दिये गए निर्देश सिर्फ प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह जनविश्वास की पुन: स्थापना का माध्यम हैं। मतदाताओं के मन में यह विश्वास जगाना कि उनकी एक-एक वोट की रक्षा होगी और उनका लोकतांत्रिक अधिकार सुरक्षित रहेगा – यही किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की असली परीक्षा होती है।
सुरक्षा व्यवस्था – विश्वास की नींव
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि मतदान के अंत तक कानून व्यवस्था में किसी भी प्रकार की ढिलाई न हो। यह वह समय होता है जब अराजक तत्वों द्वारा माहौल को बिगाड़ने की कोशिशें होती हैं, लेकिन इस बार सुरक्षा बलों की सतर्कता ने चुनाव को एक शान्तिपूर्ण उत्सव का स्वरूप दिया।
शांति, व्यवस्था और पारदर्शिता – यह तीनों स्तंभ यदि किसी चुनाव की बुनियाद बनें, तो परिणामों को लेकर समाज में स्वीकार्यता अपने आप बनती है। ऐसे में चुनावी प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले भी हाशिये पर चले जाते हैं।
पंचायत चुनाव – सिर्फ सत्ता का नहीं, जिम्मेदारी का चुनाव
पंचायत चुनाव को अक्सर “छोटा चुनाव” कहा जाता है, लेकिन वास्तव में यह सबसे बड़ा लोकतांत्रिक दायित्व होता है। गांवों की दिशा और दशा तय करने वाली यही पंचायतें होती हैं। ऐसे में निष्पक्ष मतदान की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। रुद्रपुर में जिस संवेदनशीलता के साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने अपना कर्तव्य निभाया, वह प्रशंसनीय है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 28 जुलाई का दिन रुद्रपुर के लोकतांत्रिक इतिहास में एक सकारात्मक पृष्ठ जोड़ गया है। जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा का सक्रिय निरीक्षण न केवल एक सुगठित प्रणाली की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि यदि इच्छाशक्ति हो, तो किसी भी स्तर का चुनाव पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कराया जा सकता है।
यह जरूरी है कि राज्य के अन्य जिलों में भी ऐसी ही गंभीरता और संवेदनशीलता दिखाई दे। क्योंकि जब प्रशासन निष्पक्ष होता है, तब लोकतंत्र मजबूत होता है। और जब लोकतंत्र मजबूत होता है, तब जनता को उम्मीदें नहीं, हक़ मिलता है।
✍️ लेखक: अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर
प्रकाशन: शैल ग्लोबल टाइम्स / हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स हेतु

