संपादकीय हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स तीन महीने की शादी, एक लाश और कई अनुत्तरित सवाल: क्या रुद्रपुर में न्याय का गला घोंटा जाएगा?

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रुद्रपुर के ट्रांजिट कैंप क्षेत्र से सामने आई भाजपा नेता सुदीप डे की पत्नी हेमा की संदिग्ध मौत की घटना सिर्फ एक आत्महत्या नहीं मानी जा सकती। यह एक ऐसा मामला है जिसमें एक नहीं, कई सवाल खड़े हो रहे हैं – और उत्तर की तलाश सिर्फ पुलिसिया खानापूर्ति से नहीं, बल्कि एक निष्पक्ष, पारदर्शी और उच्चस्तरीय जांच से ही मिल सकती है।

तीन माह पूर्व, 2 मार्च 2025 को भाजपा नेता से प्रेम विवाह करने वाली हेमा ने आखिर ऐसा क्या देखा, क्या महसूस किया, कि उसने जीवन समाप्त करने का कदम उठाया? एक नवविवाहिता, जिसने अपने निर्णय से प्रेम विवाह किया हो, वो इस कदर टूट कैसे सकती है? क्या यह सच में आत्महत्या है, या फिर इसके पीछे मानसिक प्रताड़ना, घरेलू दबाव या कुछ और गहरे कारण हैं?

पुलिस कहती है कि सूचना डायल 112 से मिली, तहसीलदार की मौजूदगी में पंचनामा हुआ, शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। लेकिन क्या यह सब पर्याप्त है? जब मृतका के पिता और चाचा ने मौत पर संदेह जताया है, तो यह एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि एक आरोप है – और एक गंभीर आरोप।

यह मामला एक राजनैतिक रंग भी लिए हुए है। मृतका का पति भाजपा का स्थानीय नेता है। ऐसे में यह आशंका स्वाभाविक है कि कहीं सत्ता पक्ष का दबाव जांच की दिशा को मोड़ न दे। यह पहली बार नहीं है जब रुद्रपुर, दिनेशपुर या ट्रांजिट कैंप क्षेत्र में विवाहिता की संदिग्ध मौत की खबर आई हो। ऐसी कई घटनाएं पुलिस रजिस्टर में दब गईं, और पीड़ित पक्ष सिर्फ इंसाफ की गुहार लगाता रह गया।

सवाल उठते हैं:

  • क्या हेमा को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था?
  • क्या उसने शादी के बाद किसी को अपनी पीड़ा बताई थी?
  • क्या यह एक योजनाबद्ध हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश है?
  • और सबसे महत्वपूर्ण, क्या पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच कर पाएगी, या फिर राजनीतिक रसूख जांच को निगल जाएगा?

रुद्रपुर की जनता को यह जानने का हक है कि इस घटना के पीछे की सच्चाई क्या है। ऐसे मामलों में जब तक पुलिस सख्ती से साक्ष्य जुटाकर निष्पक्ष जांच नहीं करती, तब तक समाज में डर, पीड़ा और अविश्वास का माहौल बना रहेगा।

हमारी मांग स्पष्ट है – इस पूरे मामले की एसआईटी या मजिस्ट्रेटी जांच हो। भाजपा को भी चाहिए कि वह अपने पदाधिकारी की पत्नी की मौत पर संवेदनशीलता दिखाए और निष्पक्ष जांच में सहयोग करे। यदि राजनीति को सचमुच जनसेवा का माध्यम मानते हैं तो सुदीप डे को खुद सामने आकर तथ्यों को स्पष्ट करना चाहिए।

समाज को चाहिए एक उदाहरण, जहां पीड़िता की मौत सिर्फ एक समाचार न बने, बल्कि न्याय की लड़ाई की शुरुआत बने। हेमा की मौत पर चुप्पी नहीं, सवाल उठाने होंगे — वरना कल कोई और हेमा इस व्यवस्था के बोझ से दम तोड़ देगी।

तीन महीने की नवविवाहिता हेमा की संदिग्ध मौत ने रुद्रपुर को झकझोर दिया है। भाजपा नेता की पत्नी की आत्महत्या के पीछे के रहस्यों से पर्दा उठना अभी बाकी है, परंतु जनता की निगाहें अब प्रशासन और पुलिस की निष्पक्षता पर टिकी हैं। क्या सत्ता की चादर सच को ढक देगी या न्याय की किरण फूटेगी? यह महज एक आत्महत्या नहीं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा, पारिवारिक हिंसा और राजनीतिक प्रभाव जैसे कई सवालों की परछाई है। रुद्रपुर की आत्मा तब तक शांत नहीं होगी जब तक सच सामने न आए — उम्मीद है कि न्याय की आवाज़ दबेगी नहीं।

– अवतार सिंह बिष्ट

वरिष्ठ संपादक, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

(रुद्रपुर ब्यूरो)



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