रुद्रपुर पहले मतदान, फिर जलपान” — यह नारा जितना लोकतंत्र की आत्मा को दर्शाता है, उतना ही आज रुद्रपुर क्षेत्र की सबसे चर्चित जिला पंचायत सीट 14 कुरेया पर चल रहे चुनावी घमासान पर भी लागू होता है।
इस सीट पर जहां एक ओर शहरी पृष्ठभूमि से आईं कोमल चौधरी ग्रामीण वोटरों को अपने पक्ष में लाने की ऐतिहासिक कोशिश कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर अनुभवी और जमीनी पकड़ रखने वाली सुनीता सिंह भी कमर कसकर मैदान में हैं। चुनाव प्रचार की गहमागहमी, राजनीतिक समीकरण और ग्रामीण बनाम शहरी उम्मीदवार की टकराहट ने इस सीट को केवल एक स्थानीय चुनाव नहीं, बल्कि पूरे उधम सिंह नगर की सियासी नब्ज बना दिया है।
कोमल चौधरी की उम्मीदवारी – शहरी से ग्रामीण तक का संघर्ष
कोमल चौधरी की उम्मीदवारी अपने आप में एक प्रयोग है। शहरी पृष्ठभूमि वाली महिला को ग्रामीण सीट पर उतारना एक साहसिक राजनीतिक निर्णय था, जिसमें रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा ने अहम भूमिका निभाई। अरोड़ा न केवल खुद मैदान में उतरे, बल्कि उन्होंने कोमल चौधरी के पक्ष में जिस तीव्रता से प्रचार किया — वह उदाहरण बन गया। जनसभाएं, घर-घर संपर्क, बूथ मैनेजमेंट से लेकर महिला मतदाताओं तक पहुंच — सबमें उन्होंने व्यक्तिगत रुचि ली।
सुनीता सिंह की जमीन मजबूत, लेकिन मुकाबला अब भी खुला


वहीं, सुनीता सिंह अपने लंबे सामाजिक जुड़ाव, पारिवारिक पहचान और क्षेत्र में वर्षों की सेवा के बलबूते पर चुनावी अखाड़े में हैं। उन्हें स्थानीय महिलाओं और वरिष्ठ मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में कोमल चौधरी के लिए मुकाबला आसान नहीं है।हार-जीत का अंतर रह सकता है बेहद कम
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह सीट कांटे की टक्कर बनती जा रही है। हार-जीत का अंतर बेहद कम रह सकता है। कोमल चौधरी की जीत इस बात पर निर्भर करेगी कि वे कितनी साइलेंट वोटिंग जुटा पाती हैं, और क्या शहरी-ग्रामीण विभाजन को अपने पक्ष में मोड़ पाती हैं।
शिव अरोड़ा की प्रतिष्ठा दांव पर
इस सीट पर न केवल कोमल चौधरी, बल्कि विधायक शिव अरोड़ा की राजनीतिक सूझबूझ और नेतृत्व क्षमता की भी परीक्षा है। यदि कोमल विजयी होती हैं तो यह अरोड़ा की राजनीतिक दूरदर्शिता और संगठनात्मक कौशल की जीत मानी जाएगी। वहीं यदि परिणाम प्रतिकूल रहा तो आलोचना की धार महापौर विकास शर्मा और पूर्व विधायक राजेश शुक्ला तक जाएगी।रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा से जुड़ी दो सकारात्मक खबरें:
शिव अरोड़ा ने किया 14 कुरेया के गांवों में ऐतिहासिक जनसंपर्क अभियान – भाजपा की नई रणनीति का ट्रायल”
रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा ने जिला पंचायत चुनाव में कोमल चौधरी को समर्थन देने के लिए ग्रामीण इलाकों में खुद डेरा डाल लिया। उन्होंने पिपलिया, कुरेया, पचपेड़ा, धनपुरी जैसे गांवों में रात को जनसभाएं कीं और हर महिला समूह, युवा मंडल और किसान सभा तक सीधा संवाद साधा। इस चुनावी अभियान को भाजपा की ओर से एक “ग्रामीण-शहरी मॉडल चुनावी प्रयोग” माना जा रहा है, जिसमें पार्टी ने शहरी चेहरे को गांव से जिताने का चुनौतीपूर्ण प्रयास किया।
कोमल चौधरी के लिए शिव अरोड़ा की सक्रियता बनी मिसाल – युवा महिलाओं को मिली राजनीतिक प्रेरणा”
शिव अरोड़ा के नेतृत्व में पहली बार किसी शहरी महिला को ग्रामीण सीट से टिकट दिए जाने पर जिस तरह व्यापक समर्थन खड़ा किया गया, वह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अरोड़ा ने चुनावी रैलियों में लगातार यही संदेश दिया कि “अब गांव की राजनीति में भी पढ़ी-लिखी, तेज-तर्रार महिलाओं का आना जरूरी है।” इस संदेश ने खासकर ग्रामीण युवा महिलाओं को एक नई प्रेरणा दी है।
अवतार सिंह बिष्ट विशेष संवाददाता, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स
जिला पंचायत सीट 14 कुरेया पर चुनावी परिणाम चाहे जो भी हों, लेकिन यह तय है कि कोमल चौधरी बनाम सुनीता सिंह की यह टक्कर आने वाले दिनों में क्षेत्रीय राजनीति की दिशा और भाजपा की संगठनात्मक प्रयोगधर्मिता का भविष्य तय करेगी। यदि कोमल जीतती हैं, तो यह शिव अरोड़ा की नेतृत्व शैली की बड़ी जीत होगी। और यदि परिणाम विपरीत रहा, तो समीक्षा की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर होगी।

