संपादकीय: राजकुमार ठुकराल – एक सीट से ज़्यादा की राजनीति”लौटेंगे फिर एक दिन उसी अंदाज़ में,  बादल छाने से सूरज का अस्तित्व ख़त्म नहीं होता।”

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यह पंक्ति पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल के मौजूदा राजनीतिक रुख और अंदाज़ को बखूबी बयां करती है।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)

खानपुर में ‘पौधा’ और जीत की बगिया?खानपुर  जिला पंचायत सदस्य पद पर सुषमा हालदार की जीत ने राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर ठुकराल के ‘सियासी हाथ’ का अहसास दिला दिया। चुनाव चिह्न ‘कैंची’ ✂️ पर मिली जीत को लेकर चर्चा है कि यह जीत ठुकराल की रणनीति और दबदबे का नतीजा है। आलोचक कहते हैं—“जीत के बाद ठेंगा दिखा दिया गया”—लेकिन असलियत में ठुकराल ने शुरू से स्पष्ट कर दिया था कि उनका मिशन सिर्फ जीत दिलाना था, न कि जिंदगी भर का ठेका उठाना।

यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि ठुकराल खानपुर में सिर्फ ‘प्रतीक’ बनकर नहीं उतरे, बल्कि वहां अपनी प्रतिष्ठा और प्रभाव दोनों की परीक्षा देने गए। और यह परीक्षा उन्होंने शानदार तरीके से पास की।

एक से ज़्यादा मोर्चों पर सक्रियता?पूर्व विधायक ने सिर्फ खानपुर ही नहीं, बल्कि अन्य जिला पंचायत सीटों पर भी सक्रिय समर्थन दिया। दिलचस्प यह है कि उनके समर्थन से  निर्दलीय और कांग्रेस—दोनों खेमों में जीत के फूल खिले। यह बताता है कि उनकी राजनीति किसी एक पार्टी के बंधन में नहीं, बल्कि व्यक्तिगत प्रभाव और रिश्तों के नेटवर्क पर आधारित है।

मंदिर’ में आस्था, ‘जनता’ में विश्वास?भूरारानी स्थित आनंदम विला कॉलोनी के मां दुर्गा मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 21,000 रुपये की नकद सहायता ठुकराल के सामाजिक जुड़ाव का उदाहरण है। उन्होंने साफ कहा—मंदिर आस्था और संस्कृति के केंद्र हैं, और इनके विकास में योगदान देना हर किसी का कर्तव्य है। यह बयान केवल धार्मिक जुड़ाव का प्रदर्शन नहीं, बल्कि यह भी संकेत है कि वे जनता के दिल में अपने ‘संस्कारिक छवि’ को भी मजबूत कर रहे हैं।

जीत के बाद बधाई, पर नसीहत भी?कुरैया जिला पंचायत सीट से जीतीं सुनीता सिंह के पति सर्वेश कुमार सिंह के ठुकराल से मिलने पर उन्होंने सिर्फ बधाई नहीं दी, बल्कि जनप्रतिनिधि के कर्तव्य की भी याद दिलाई—जनता का विश्वास बनाए रखना और क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता देना। यह व्यवहार बताता है कि ठुकराल अब खुद चुनावी मैदान में उतरने से पहले एक ‘गाइड’ और ‘मेंटर’ की भूमिका भी निभा रहे हैं।

भविष्य की दिशा – विधायक की ओर नज़र?ठुकराल का स्पष्ट संदेश है—“जीता दिया, लेकिन जिंदगी भर का ठेका नहीं लिया।” यह लाइन यह भी दर्शाती है कि अब उनका ध्यान रुद्रपुर विधानसभा और बड़े राजनीतिक लक्ष्य पर है। खानपुर में जीत दिलाना उनके लिए एक ‘पावर शो’ था, जो यह साबित करने के लिए काफी है कि उनकी राजनीतिक जमीन अभी भी ठोस है।

राजकुमार ठुकराल के हालिया कदम यह दिखाते हैं कि वे फिलहाल पृष्ठभूमि में रहकर भी केंद्र बिंदु बनने का हुनर रखते हैं। आलोचक चाहे जितनी बयानबाजी कर लें, पर सच यही है कि ठुकराल ने साबित कर दिया है—वे एक सीट के नेता नहीं, बल्कि पूरे जिले के सियासी समीकरण बदलने वाले खिलाड़ी हैं।
आगे उनका लक्ष्य स्पष्ट है—रुद्रपुर विधानसभा में वापसी और उत्तराखंड की राजनीति में अपनी जगह फिर से मज़बूत करना। और अगर यह ‘सूरज’ सच में उसी अंदाज़ में लौटा, तो कई राजनीतिक बादलों को किनारे होना ही पड़ेगा।




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