उधम सिंह नगर जिले में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन 2025 के परिणामों ने प्रदेश की राजनीति में गहरा संदेश छोड़ा है। जहां एक ओर कांग्रेस ने जिला पंचायत सदस्य सीटों पर प्रभावशाली बढ़त के साथ वापसी की है, वहीं दूसरी ओर भाजपा के लिए यह चुनाव कई सीटों पर करारी शिकस्त साबित हुआ है। खास तौर पर रुद्रपुर, किच्छा और बाजपुर जैसे शहरी और अर्धशहरी क्षेत्रों में भाजपा का जनाधार खिसकता हुआ साफ देखा गया है।
प्रमुख चुनावी परिणाम – जिला पंचायत सदस्य (उधम सिंह नगर) राजनीतिक संदेश: भाजपा का किला ढहता हुआ?
कुरैया सीट से सुनीता सिंह की जीत सबसे ज्यादा चर्चा में रही, क्योंकि यह भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय थी। रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा और महापौर विकास शर्मा के समर्थन वाले भाजपा प्रत्याशी को यहां करारी हार का सामना करना पड़ा। यह परिणाम भाजपा की शहरी चालों की विफलता और स्थानीय जनता की नाराजगी का संकेत देता है।
इसी तरह, दोपहरिया और प्रतापपुर में भी कांग्रेस प्रत्याशियों ने बड़ी जीत दर्ज कर भाजपा को साफ कर दिया। इन सीटों पर किच्छा क्षेत्र के कद्दावर कांग्रेस नेता तिलक राज बेहड़ की रणनीति का असर दिखा।
भाजपा के लिए चिंता के संकेत?भाजपा जिन सीटों पर दांव लगा रही थी, वहां पार्टी को आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिली। चाहे वो गदरपुर, बाजपुर, या खटीमा हो — कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों ने ज़मीन पर मजबूती से पकड़ बनाए रखी।
कई वार्डों में सविरोध निर्वाचित कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार इस बात का संकेत हैं कि भाजपा संगठनात्मक स्तर पर चुनावी तैयारी में विफल रही।
सामाजिक समीकरण और परिवर्तन?इस बार के पंचायत चुनावों में महिला प्रत्याशियों का दबदबा साफ नजर आया। 35 में से 15 से अधिक सीटें महिलाओं के हिस्से गईं। ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग की सक्रियता ने भी राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दिया है।गुरदास कालरा, रेखा रानी, सुनीता सिंह, सुषमा हलधर, प्रेम प्रकाश आर्या, अजय मौर्य, जैसे नाम आने वाले समय में स्थानीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
भविष्य की दिशा: कांग्रेस की वापसी की आहट?इन पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने न सिर्फ मैदान में वापसी की है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि यदि संगठन और नेतृत्व में समन्वय हो तो भाजपा को चुनौती दी जा सकती है। तिलक राज बेहड़ जैसे वरिष्ठ नेताओं के कद और रणनीति ने इन परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाई।
भाजपा के लिए यह आत्ममंथन का समय है। राष्ट्रीय मुद्दों की बजाय, अब उसे ज़मीनी मुद्दों, किसान, पंचायत स्तर की समस्याओं और ग्रामीण युवाओं की आकांक्षाओं की ओर लौटना होगा।
उधम सिंह नगर के पंचायत चुनाव परिणाम सिर्फ स्थानीय समीकरण नहीं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के संकेतक भी हैं। भाजपा को चेतावनी और कांग्रेस को ऊर्जा देने वाले इन नतीजों से स्पष्ट है — राजनीति अब सड़कों और खेतों की धूल से तय होगी, सोशल मीडिया या बड़े मंचों से नहीं।
संपादक की कलम से:गांव की राजनीति अब गांव के लोग तय करेंगे। और जो नेता गांवों को भूल बैठे हैं, वे सिर्फ हार नहीं, अपना भविष्य भी गंवा देंगे।”

