
रुद्रपुर भारत में पुलिस का नाम सुनते ही आम नागरिकों के मन में डर, असहजता और आशंका उत्पन्न होती है। ये भावनाएँ एक दिन में उत्पन्न नहीं हुईं, बल्कि दशकों से चला आ रहा एक कठोर, असंवेदनशील और कई बार अपमानजनक व्यवहार इसकी जड़ में रहा है। विशेषकर थानों में आम नागरिकों, पीड़ितों और यहां तक कि छोटे अपराध के आरोपितों के साथ किया जाने वाला ‘तू-तड़ाक़’, अपमानजनक भाषा, और दुत्कारने वाला रवैया एक समानांतर व्यवस्था बन गई थी—जिसमें अपराध से अधिक डर पुलिस की भाषा और व्यवहार से लगता था।


इसी सन्दर्भ में उधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मणिकांत मिश्रा की ओर से जारी दिशा-निर्देश, न केवल स्थानीय पुलिस तंत्र को मानवीय बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम हैं, बल्कि ये पूरे उत्तराखंड के लिए अनुकरणीय मॉडल के रूप में सामने आए हैं।
उधम सिंह नगर के एसएसपी मणिकांत मिश्रा की पहल पुलिसिंग के उस मानवीय पक्ष की ओर इशारा करती है, जिसकी कल्पना महात्मा गांधी, डॉ. अम्बेडकर और आधुनिक भारत के संविधान निर्माताओं ने की थी। अब उत्तराखंड सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस मॉडल को केवल एक जिले तक सीमित न रखे, बल्कि इसे पूरे राज्य में लागू कर लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करे।
मुख्य बिंदु (जो लेख में विस्तारपूर्वक शामिल किए जा सकते हैं):
- भाषा की मर्यादा और संवेदनशीलता की आवश्यकता:
- “तू”, “तुम” नहीं बल्कि “आप” जैसे सम्मानजनक संबोधन का प्रयोग अनिवार्य करने का निर्णय एक छोटी पर क्रांतिकारी पहल है।
- यह पहल पुलिसिंग को औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर लाकर जनसेवा की लोकतांत्रिक भावना की ओर ले जाती है।
- पीड़ित और आरोपी में अंतर समझने की सीख:
- पुलिसकर्मियों को यह स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि पीड़ितों और अपराधियों के बीच संवाद और व्यवहार में स्पष्ट अंतर हो।
- इससे न्याय व्यवस्था की पहली सीढ़ी यानी पुलिस स्टेशन में पीड़ित को सम्मान मिलेगा, न कि अपमान।
- सैनिक सम्मेलन और अपराध गोष्ठियों में आत्ममंथन:
- एसएसपी द्वारा मासिक अपराध समीक्षा और सम्मेलन कर अधीनस्थों से संवाद किया जाना उत्तराखंड के अन्य जिलों के लिए भी अनुकरणीय है।
- इससे पुलिस महकमे के भीतर अनुशासन, जवाबदेही और सकारात्मक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है।
- सम्मान और प्रेरणा का वातावरण:
- उत्कृष्ट कार्य करने वाले 15 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित कर, मणिकांत मिश्रा ने स्पष्ट संदेश दिया है कि ईमानदारी, संवेदनशीलता और उत्कृष्टता को पुलिस सेवा में पहचाना और सराहा जाएगा।
- वर्दी में अनुशासन, व्यवहार में शालीनता:
- वर्दी पहनने के नियमों की सख्ती और स्वच्छता के निर्देश एक पेशेवर और अनुशासित छवि के निर्माण की ओर संकेत करते हैं।
- आम जनता में पुलिस की छवि जितनी शालीन होगी, सहयोग उतना ही स्वाभाविक होगा।
- गर्मी में स्वास्थ्य और हाइजीन पर बल:
- गर्मी के मौसम में पुलिसकर्मियों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने और कार्यालयों व थानों की सफाई सुनिश्चित करने का निर्देश व्यावसायिक दक्षता का संकेत है।
- पुलिस और जनता के बीच डर नहीं, भरोसे का पुल:
- एसएसपी मणिकांत मिश्रा की यह पहल पुलिस को एक जनसेवक संस्था के रूप में स्थापित करने की कोशिश है, न कि डर और अपमान का प्रतीक संस्था के रूप में।
इतिहास की पृष्ठभूमि,स्वतंत्रता के 75 वर्ष बीतने के बावजूद भारतीय पुलिस व्यवस्था अपने अंग्रेज़ी साम्राज्यवादी ढांचे से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सकी है। ‘थाने में बुलाना’ आज भी आम नागरिक के लिए अपमान और भय का प्रतीक है।
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भारत के गांवों, कस्बों और छोटे शहरों में आज भी पुलिस का व्यवहार कई बार अमानवीय और स्वेच्छाचारी होता है, जिससे न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास डगमगाने लगता है।जन पुलिस संवाद की नई दिशा: एक लोकतांत्रिक ज़रूरत
स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी भारतीय पुलिस व्यवस्था में उपनिवेशकालीन सोच की छाया स्पष्ट दिखाई देती है। ‘थाने में बुलाना’ आज भी एक आम नागरिक के लिए भय, अपमान और असुरक्षा का प्रतीक बना हुआ है। खासकर गांवों, कस्बों और छोटे शहरों में पुलिस का व्यवहार प्रायः अमानवीय और स्वेच्छाचारी हो जाता है, जिससे न्याय व्यवस्था पर जनता का विश्वास डगमगाने लगता है।
ऐसे में उधम सिंह नगर की ‘पब्लिक फ्रेंडली पुलिसिंग’ की पहल एक अनुकरणीय उदाहरण है, जिसे पूरे उत्तराखंड में लागू किया जाना चाहिए। देहरादून स्तर से राज्यव्यापी गाइडलाइन जारी कर हर थाने को मानवीय, संवादात्मक और संवेदनशील व्यवहार की ट्रेनिंग देना समय की मांग है। सॉफ्ट स्किल, मनोविज्ञान आधारित वार्तालाप और सामाजिक व्यवहार जैसे पाठ्यक्रम अनिवार्य किए जाने चाहिएं।
पुलिस यदि आम नागरिक से ‘आप’ कहकर बात करे, तो यही आदर उन्हें जन सहयोग में बदल सकता है। यह मात्र व्यवहारिक बदलाव नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को सशक्त करने का मार्ग है—जहां हर नागरिक न केवल सुरक्षित, बल्कि सम्मानित भी महसूस करता है।
