
इस वर्ष 2025 में 11वां योग दिवस “योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ” थीम के साथ मनाया जाएगा, जो शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच सामंजस्य को दर्शाता है। योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है, जो वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य और शांति का प्रतीक है। इसकी नींव रखने में महर्षि पतंजलि का अतुलनीय योगदान है। आइए इस लेख में जानते हैं कि महर्षि पतंजलि कौन थे और योग की शुरुआत कैसे हुई?


महर्षि पतंजलि: योग के जनक
महर्षि पतंजलि को “योग के जनक” के रूप में जाना जाता है। हिंदू परंपरा में उन्हें भगवान विष्णु के सहस्त्रसर्प आदिशेष का अवतार माना जाता है। विद्वानों के अनुसार, पतंजलि दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईस्वी के बीच रहे।
उन्होंने योग सूत्र की रचना की, जिसमें 195-196 सूत्रों (संस्कृत में सूत्र) के माध्यम से योग के दर्शन और प्रथाओं को व्यवस्थित किया। यह ग्रंथ योग को “चित्त वृत्ति निरोध” (मन की चंचलता को नियंत्रित करना) के रूप में परिभाषित करता है। पतंजलि ने योग को अष्टांग योग के रूप में आठ अंगों यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, और समाधि में बांटा, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करतो हैं।
पतंजलि ने केवल योग सूत्र ही नहीं, बल्कि संस्कृत व्याकरण पर महाभाष्य और आयुर्वेद पर एक ग्रंथ भी लिखा। हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि ये अलग-अलग पतंजलि हो सकते हैं। उनकी रचनाओं ने योग को एक व्यवस्थित विज्ञान के रूप में स्थापित किया, जो आज भी प्रासंगिक है।
योग की उत्पत्ति
योग की उत्पत्ति प्राचीन भारत में 4000 साल से अधिक पुरानी मानी जाती है। पुरातात्विक साक्ष्यों में, सिंधु घाटी सभ्यता (3000-1500 ईसा पूर्व) के अवशेषों में योगमुद्रा में बैठी मूर्तियां मिली हैं। ऋग्वेद (1200-1500 ईसा पूर्व) और उपनिषदों में योग की प्रारंभिक अवधारणाएं, जैसे ध्यान और आत्म-साक्षात्कार, का उल्लेख है।
हिंदू पौराणिक कथाओं में, भगवान शिव को आदियोगी (प्रथम योगी) माना जाता है, जिन्होंने सप्तऋषियों को योग का ज्ञान दिया। यह ज्ञान पीढ़ियों तक गुरु-शिष्य परंपरा में फैला। पतंजलि ने इन प्राचीन परंपराओं, सांख्य दर्शन, बौद्ध और जैन प्रभावों को समन्वित कर योग सूत्र में एक व्यवस्थित स्वरूप दिया। योग सूत्र ने राजयोग, भक्तियोग, कर्मयोग और ज्ञानयोग जैसे विभिन्न मार्गों को स्पष्ट किया, जो आज भी योग की नींव हैं।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस की स्थापना का प्रस्ताव रखा, जिसे 177 देशों का समर्थन मिला। 21 जून को चुना गया, क्योंकि यह उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन (ग्रीष्म संक्रांति) है और गुरु पूर्णिमा के साथ भी जुड़ा है, जब शिव ने योग का ज्ञान दिया था। 2015 में पहला योग दिवस दिल्ली के राजपथ पर 35,985 लोगों और 84 देशों के गणमान्य व्यक्तियों के साथ मनाया गया, जिसने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।
