
रूद्रपुर। नगर निगम रूद्रपुर ने स्पष्ट कर दिया है कि अब शहर में बाहरी लोगों द्वारा डेमोग्राफिक बदलाव की कोई भी कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। महापौर विकास शर्मा ने रविवार को प्रीत विहार और लोक विहार क्षेत्रों का दौरा करते हुए लोगों की समस्याएं सुनी और उन्हें आश्वस्त किया कि जो लोग वर्षों से वैध रूप से यहां रह रहे हैं, उन्हें कि सी भी स्थिति में उजाड़ा नहीं जाएगा।
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट


स्थानीयों को मिलेगा संरक्षण, पर बाहरी अतिक्रमणकारियों पर चलेगा बुलडोज़र
वार्ड 25 के पार्षद संतोष गुप्ता के आवास पर आयोजित बैठक में स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर दशकों से बसे लोगों में डर का माहौल बन गया है। महापौर ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह अभियान सिर्फ उन बाहरी लोगों के खिलाफ है जो हाल ही के वर्षों में आकर यहां सीलिंग की भूमि या नदी-नालों पर अवैध कब्जा कर बस गए हैं।
मुख्यमंत्री की रणनीति का हिस्सा है यह अभियान
महापौर ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी डेमोग्राफिक बदलाव को लेकर बेहद गंभीर हैं और प्रदेश की सांस्कृतिक व सामाजिक संरचना को बिगाड़ने वालों के खिलाफ व्यापक अभियान चल रहा है। रूद्रपुर नगर निगम का अभियान भी इसी रणनीति का हिस्सा है।
“जो लोग सालों से रह रहे हैं, उनके साथ अन्याय नहीं होगा। पर जो हालिया वर्षों में आकर हमारी सांस्कृतिक पहचान और सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।” — विकास शर्मा, महापौर
नगर निगम चलाएगा घर-घर सत्यापन अभियान
महापौर ने घोषणा की कि नगर निगम जल्द ही सभी वार्डों में घर-घर सत्यापन अभियान चलाएगा। हर घर को नंबर आवंटित किया जाएगा और नगर निगम के पास शहर में रहने वाले हर व्यक्ति का डेटा मौजूद रहेगा। यह कदम न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता लाएगा, बल्कि अपराधियों और बाहरी अतिक्रमणकारियों की पहचान में भी मदद करेगा।
संपादकीय क्या वास्तव में बदल रहा है रूद्रपुर का चेहरा?
उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद से अब तक रूद्रपुर जैसे सीमांत शहरों में जिस तेज़ी से अवैध कब्जे, जनसंख्या असंतुलन, और सांस्कृतिक दखल बढ़ा है, वह चिंताजनक है। नजूल भूमि, सरकारी ज़मीन, और जलधाराओं पर कब्ज़ा केवल गरीबों या मजबूर प्रवासियों द्वारा नहीं, बल्कि सत्ताधारी दलों के नेताओं और भ्रष्ट अफसरशाही की मिलीभगत से भी हुआ है।अगर राज्य सरकार वाकई में ईमानदारी से “डेमोग्राफिक संतुलन” को बचाना चाहती है, तो उसे सिर्फ झुग्गियों पर बुलडोज़र नहीं चलाना होगा, बल्कि उन राजनीतिक आकाओं और दलालों पर भी कार्रवाई करनी होगी जिन्होंने इन अतिक्रमणों को संरक्षण दिया।
उत्तराखंड की अस्मिता की रक्षा के लिए निर्णायक कार्यवाही आवश्यकअब वक्त आ गया है कि 2000 में जिस “पहाड़ी राज्य” की कल्पना के साथ उत्तराखंड बना था, उसका स्वरूप पुनर्स्थापित किया जाए। यह तभी संभव होगा जब:
- राजस्व, वन व नजूल भूमि पर अवैध कब्जों की जांच हो।
- सभी प्रवासियों का सत्यापन कर वास्तविक नागरिकों और बाहरी घुसपैठियों में फर्क किया जाए।
- प्रशासनिक संरक्षण में हुए अतिक्रमणों की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई हो।
- शहरों के डेमोग्राफिक संतुलन को नीति स्तर पर सुरक्षित रखा जाए।
बैठक में अनेक लोग रहे उपस्थित
बैठक में प्रमुख रूप से आईटी संयोजक जितेंद्र मौर्य, विपिन कोली, देवेंद्र रस्तोगी, उपेंद्र गुप्ता, बृजेश शर्मा, दीना नाथ शर्मा, त्रिलोचन त्यागी, प्रसादी लाल कोली, नीलकांत, सुनील ठुकराल, जितेंद्र संधू, बिट्टू चौहान, विजय तोमर, कृष्ण शर्मा, हरेंद्र शर्मा, प्रवीण तिवारी, मोर सिंह यादव, बांगा जी आदि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
रूद्रपुर समेत पूरे उत्तराखंड को अगर अपराध, सांस्कृतिक असंतुलन और अवैध अतिक्रमण से मुक्त कर आत्मनिर्भर और सुरक्षित राज्य बनाना है, तो केवल अभियान नहीं, राजनीतिक इच्छाशक्ति और न्यायसंगत नीति क्रियान्वयन की ज़रूरत है। महापौर विकास शर्मा की घोषणा इस दिशा में एक सकारात्मक पहल मानी जा सकती है, लेकिन इसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता की निगरानी समाज का हर जागरूक नागरिक करे, यही समय की मांग है।
