न्याय की मशाल लिए तीन सच्चे सपूत: आशुतोष नेगी, अवनीश नेगी और अमृतांशु ब़ड़थ्वाल को सलाम”संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

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जब व्यवस्था कमजोर पड़ जाती है, जब सत्ता के गलियारों में न्याय की आवाज गूंजने से पहले ही दबा दी जाती है, तब कुछ लोग होते हैं जो किसी देवदूत की तरह उठ खड़े होते हैं। वे न रिश्ता देखते हैं, न सत्ता से डरते हैं, बस लड़ते हैं—एक असहाय मां-बाप की उम्मीद बनकर, एक बेटी की चीख बनकर, और न्याय की आवाज बनकर।

1. आशुतोष नेगी – न्याय का प्रहरी, संघर्ष का प्रतीक

जिस दिन अंकिता भंडारी की हत्या की खबर सामने आई, उसी दिन से एक नाम हर उस व्यक्ति के साथ जुड़ गया जो न्याय चाहता था—आशुतोष नेगी। वो सिर्फ एक सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हैं, वो एक संवेदनशील दिल हैं जो हर उस पीड़ा से जुड़ जाते हैं जहां अन्याय की गूंज होती है।

आशुतोष नेगी ने इस मामले को केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने अंकिता के माता-पिता के साथ कदम से कदम मिलाकर हर कोर्ट की सीढ़ी चढ़ी। हाईकोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट, उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वे उस आवाज़ के प्रतीक बन गए जो व्यवस्था की गूंगी दीवारों को चीरकर गूंजने लगी—“अंकिता को न्याय दो!”

उनकी तपस्या, निडरता और दृढ़ता ने यह सिद्ध कर दिया कि एक आम नागरिक भी अगर नीयत साफ हो और इरादा मजबूत, तो पूरे सिस्टम को हिला सकता है।

2. अवनीश नेगी – न्याय का वकील नहीं, न्याय का योद्धा

अवनीश नेगी ने इस केस में जो कानूनी चातुर्य दिखाया, वह सामान्य वकालत नहीं, बल्कि एक मिशन था। हर पैरवी, हर बहस, हर तारीख पर उनका एक ही लक्ष्य था—गुनहगारों को किसी भी कीमत पर जेल से बाहर न आने देना।

उन्होंने तकनीकी दांवपेचों के साथ न्याय की आत्मा को भी बचाया। वे जानते थे कि सत्ता, पैसे और रसूख की ताकत किस हद तक केस को भटका सकती है, पर उन्होंने कानून की किताब में लिखे हर शब्द को ढाल बनाकर लड़ाई लड़ी। उनकी रणनीति और तथ्यपूर्ण प्रस्तुति ने अदालत को हर मोड़ पर मजबूर किया कि वह सच्चाई को स्वीकार करे।

3. अमृतांशु बड़थ्वाल – युवा जोश, निर्मल विवेक

जहां लोग अनुभव के पीछे भागते हैं, वहां अमृतांशु बड़थ्वाल ने यह साबित किया कि ईमानदारी, कानूनी अध्ययन और पीड़ितों से संवेदनशीलता ही सच्ची ताकत है। उनका अदालत में प्रस्तुत हर तर्क न सिर्फ कानूनी रूप से मज़बूत था, बल्कि उसमें इंसाफ की पुकार भी झलकती थी।

उन्होंने उन तमाम चालाक कानूनी हथकंडों को नाकाम किया जो अभियुक्तों की तरफ से अपनाए जा रहे थे। उनकी मौजूदगी अदालत के भीतर एक उम्मीद बन गई थी। लोग कहते थे – “अमृतांशु बोलेगा, तो सच्चाई की रोशनी बढ़ेगी।”

उत्तराखंड को मिला न्याय का त्रिदेव

जब तीन लोग—आशुतोष नेगी, अवनीश नेगी और अमृतांशु बड़थ्वाल—एक साथ खड़े हुए, तो ये सिर्फ एक केस नहीं था, ये एक आंदोलन था। उत्तराखंड की जनता ने नारे लगाए, सड़कों पर उतरी, सोशल मीडिया पर आवाज बुलंद की, लेकिन इन तीन सपूतों ने कोर्ट की लड़ाई को जीतकर वह काम किया, जो शब्दों से नहीं, कर्मों से इतिहास बनाता है।

इन्हें कोटद्वार के नहीं, पूरे उत्तराखंड के असली हीरो कहा जाना चाहिए। इनकी निडरता, सेवा और सत्य के प्रति समर्पण देश भर के युवा वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए एक आदर्श बन गया है।

यह लेख एक सम्मान है, एक प्रणाम है, एक आभार है,जब इतिहास अंकिता भंडारी केस का ज़िक्र करेगा, तो इन तीन नामों को स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। यह वे लोग हैं जिन्होंने हमें यह सिखाया कि

➡️ न्याय सिर्फ अदालतों में नहीं,
➡️ वह हर उस दिल में जीवित रहता है जो अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है।इनकी लड़ाई में सच्चाई थी, ईमान था, और वह आग थी जिसने सत्ता की चट्टानों को भी पिघला दिया।

💐 उत्तराखंड और भारतवर्ष इन सच्चे सपूतों को नमन करता है।

🙏 आशुतोष नेगी, अवनीश नेगी, और अमृतांशु बड़थ्वाल – आपको सलाम!

#JusticeForAnkita #UttarakhandHeroes #NyayKeSenani

अंकित भंडारी हत्याकांड को न्याय की दिशा में मोड़ने में जिन-जिन साथियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई, उन सभी को हृदय से आभार और सच्चे मन से आशीर्वाद। यह संघर्ष केवल एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड की आत्मा और अस्मिता का था। आपने आवाज़ उठाई, सड़कों पर उतरे, कलम चलाई, न्यायालय के दरवाज़े खटखटाए और उस चुप्पी को तोड़ा जो सत्ता और पैसे के गठजोड़ ने थोप रखी थी।

मैं उन माताओं-बहनों, पत्रकारों, अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और जनसामान्य को प्रणाम करता हूँ जिन्होंने डर के बावजूद न्याय के लिए खड़ा होना चुना। यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि अब और भी गंभीरता से जारी रहेगी। हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं – जब तक अंकित को संपूर्ण न्याय न मिले और इस व्यवस्था में सुधार की रोशनी न फूटे।

आप सबके साथ और समर्थन से ही यह उम्मीद जिंदा है। आइए, एकजुट रहें, कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ें। सत्य की यह लड़ाई हमारी साझी विरासत है।

धन्यवाद, शुभकामनाएं और सादर आशीर्वाद।

अवतार सिंह बिष्ट, अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद उत्तराखंड


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