
उधमसिंह नगर समेत पूरे उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों से एक नई किस्म की ठगी का मकड़जाल तेजी से फैल रहा है। यह जाल है—विदेश भेजने के नाम पर सपनों की लूट। युवा पीढ़ी बेहतर जीवन, रोजगार और भविष्य की तलाश में विदेश जाने का सपना संजोती है। मगर इसी सपने को अपराधियों ने अपने व्यवसाय में बदल लिया है। कभी आईलेट्स के नाम पर तो कभी वर्क वीजा का झांसा देकर ठग लाखों-करोड़ों रुपये ऐंठ रहे हैं। यह केवल आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि युवाओं के आत्मविश्वास और परिवार की उम्मीदों पर भी गहरी चोट है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
ठगों का मकड़जाल और शिकार बनते युवा?आज हालात यह हैं कि जिले में कई आईलेट्स सेंटर और ट्रैवल एजेंसी के नाम पर चल रहे संस्थान केवल ठगी के अड्डे साबित हो रहे हैं। युवा, जो मेहनत और संघर्ष से विदेश जाने की तैयारी करते हैं, वे इन संस्थानों पर भरोसा करके अपनी जमा पूंजी या परिवार की गाढ़ी कमाई ठगों को सौंप देते हैं। परिणाम यह होता है कि कुछ महीनों बाद एजेंट फरार हो जाता है, मोबाइल बंद कर देता है और पीड़ित परिवार दर-दर भटकता है।
10 अक्तूबर 2024 को बाजपुर निवासी एक व्यक्ति से 21 लाख रुपये की ठगी हुई। जुलाई 2025 में सात युवाओं को मुस्लिम देशों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर पांच लाख रुपये ऐंठ लिए गए। हाल ही में बिलासपुर के युवक से रुद्रपुर के एक आईलेट्स संचालक ने रूस भेजने का सपना दिखाकर 10 लाख रुपये हड़प लिए। यह घटनाएं अपवाद नहीं, बल्कि एक लगातार चल रही श्रृंखला का हिस्सा हैं।
साइबर ठग भी सक्रिय?केवल वीजा और आईलेट्स तक ही मामला सीमित नहीं है। साइबर अपराधियों ने भी विदेश भेजने की आड़ में लोगों को लूटने का धंधा शुरू कर दिया है। किच्छा में एक ट्रांसपोर्टर के खाते से 6.09 लाख रुपये गायब हो गए। यह रकम नौ बार में खाते से निकाली गई और पीड़ित को कोई संदेश तक नहीं मिला। ऐसे केस बताते हैं कि अपराधियों का नेटवर्क कितना संगठित और तकनीकी रूप से मजबूत है।
एसएसपी का कदम: सराहनीय लेकिन अधूरा?उधमसिंह नगर के एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने हाल ही में अपने अधीनस्थों को निर्देश दिए हैं कि जिले में जगह-जगह बैनर लगाकर लोगों को सावधान किया जाए। यह कदम सराहनीय है, क्योंकि जागरूकता ही इस अपराध से बचने का सबसे बड़ा हथियार है। लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल बैनर लगाकर ठगी का जाल टूट जाएगा?
युवाओं को सपने बेचने वाले ये गिरोह बहुत चालाक हैं। वे नए-नए तरीकों से लोगों को फंसाते हैं—कभी सोशल मीडिया के जरिए, कभी अखबारों में विज्ञापन देकर और कभी किसी पुराने परिचित के माध्यम से। ऐसे में केवल पोस्टर और बैनर चेतावनी भर हो सकते हैं, मगर समस्या का मूल समाधान नहीं।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी?राज्य सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस पूरे कारोबार की गहन जांच करें। हर आईलेट्स सेंटर, हर ट्रैवल एजेंसी और विदेश भेजने का दावा करने वाले हर एजेंट का कड़ा वेरिफिकेशन हो। जो संस्थान वैध नहीं हैं, उन्हें तत्काल बंद कराया जाए। इसके अलावा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पुलिस को तेजी से चार्जशीट दाखिल कर मुकदमे की सुनवाई करवानी चाहिए, ताकि अपराधियों को कठोर सजा मिले और समाज में संदेश जाए कि कानून से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
समाज की भूमिका?सिर्फ सरकार और पुलिस ही जिम्मेदार नहीं हैं। समाज को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। अक्सर युवा बिना जांच-पड़ताल किए बड़े-बड़े वादों पर विश्वास कर लेते हैं। माता-पिता भी कई बार बच्चों की जिद या लालच में आकर अपनी जमा-पूंजी एजेंटों को सौंप देते हैं। इस मानसिकता में बदलाव जरूरी है।
- विदेश भेजने का दावा करने वाले किसी भी एजेंट या संस्थान की पृष्ठभूमि की जांच करें।
- केवल सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थान या पंजीकृत एजेंसियों पर भरोसा करें।
- किसी को भी नकद में बड़ी रकम न दें और हर लेन-देन का रसीदनामा सुरक्षित रखें।
- सबसे महत्वपूर्ण, “शॉर्टकट” के लालच में न पड़ें, क्योंकि विदेश जाने का कोई आसान रास्ता नहीं होता।
ठगी केवल आर्थिक अपराध नहीं
विदेश भेजने के नाम पर ठगी केवल पैसों की लूट नहीं है। यह युवाओं के सपनों और भविष्य से खिलवाड़ है। जब एक युवा लाखों रुपये गवांकर विदेश नहीं जा पाता, तो उसके सपने टूट जाते हैं, परिवार कर्ज में डूब जाता है और कई बार वह अवसाद का शिकार हो जाता है। यह अपराध हमारे समाज की जड़ों को खोखला कर रहा है।
ठोस कदम ही कारगर होंगे?इस ठगी पर अंकुश लगाने के लिए केवल बैनर नहीं, बल्कि ठोस कदम जरूरी हैं।
- विशेष जांच प्रकोष्ठ (Special Task Force) बनाया जाए जो ऐसे अपराधों पर निगरानी रखे।
- लाइसेंस प्रणाली को कड़ा किया जाए। बिना लाइसेंस कोई भी विदेश भेजने की एजेंसी न चल सके।
- जन-जागरूकता अभियान स्कूल-कॉलेजों तक पहुंचे, ताकि युवा शुरू से ही सावधान रहें।
- फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ऐसे मामलों की सुनवाई हो, ताकि अपराधियों को जल्द सजा मिले।
उधमसिंह नगर में एसएसपी द्वारा शुरू की गई बैनर योजना एक सकारात्मक पहल है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। ठगों का यह जाल तभी टूटेगा, जब सरकार, पुलिस, समाज और खुद युवा मिलकर सतर्कता और जिम्मेदारी दिखाएंगे। सपने देखना गलत नहीं है, लेकिन सपनों को सच करने के लिए सही रास्ता और सही मार्गदर्शन चुनना जरूरी है। वरना ठगों के इस अंधेरे जाल में न केवल पैसा, बल्कि जीवन की उम्मीदें भी खो सकती हैं।
✍️ अवतार सिंह बिष्ट
संपादकीय लेख


