
ऐसे में इस दौरान विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में क्यों चले जाते हैं? भगवान विष्णु के इस चार महीने के निद्रा काल को वर्षा ऋतु माना जाता है।


इस दौरान पूरा संसार बाढ़ की समस्या से जूझ रहा होता है। इस समय दुनिया में सालाना जल प्रलय आता है और दुनिया खुद को नए सिरे से तैयार कर रही होती है। साथ ही सूर्य इस दौरान दक्षिण की ओर बढ़ता है और कर्क राशि में प्रवेश करता है। कर्क राशि का प्रतीक केकड़ा है। कहा जाता है कि केकड़ा सूर्य की रोशनी को खा जाता है जिससे दिन छोटे होने लगते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि इस समय संसार में अंधकार छा जाता है। इस उथल-पुथल को संभालते-संभालते भगवान विष्णु इतने थक जाते हैं कि वे 4 महीने की निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान भगवान विष्णु संसार के संचालन का पूरा कार्यभार अपने अलग-अलग अवतारों को सौंप देते हैं।
आषाढ़ मास की एकादशी से कार्तिक मास की एकादशी तक भगवान विष्णु शयन करते हैं। इन चार महीनों में धरती की उर्वरता कम हो जाती है। जितने दिन भगवान विष्णु शयन करते हैं, उतने दिन उनके अवतार समुद्र में संजीवनी बूटी तैयार करते हैं। ताकि धरती को फिर से उपजाऊ बनाया जा सके।
इस दौरान क्यों नहीं किए जाते कोई शुभ कार्य
आषाढ़ मास से वर्षा ऋतु शुरू हो जाती है। इस दौरान लोगों को बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शुभ कार्य करना काफी मुश्किल हो जाता है। वर्षा ऋतु के कारण इस दौरान बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। लोगों की बीमारियों से लड़ने की क्षमता काफी कम हो जाती है। माना जाता है कि इन चार महीनों में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव काफी बढ़ जाता है और सकारात्मक शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं। जिसके कारण कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
देवशयनी एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु को शयन
इस दिन भगवान विष्णु को शयन कराने के लिए भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। इसके बाद धूप-दीप से पूजा करें। भगवान विष्णु के शयन के लिए शयन की व्यवस्था करें। शयन के लिए पीला कपड़ा लाएं और भगवान विष्णु को शयन कराएं। भगवान विष्णु के शयन काल में ही सावन, शारदीय नवरात्रि, करवा चौथ, दिवाली और छठ पूजा जैसे व्रत और त्योहार आते हैं।

