
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा के साथ-साथ गायों की भी पूजा की जाती है, और उन्हें चारा खिलाया जाता है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
इस दिन विशेष रूप से छप्पन भोग बनाए जाते हैं, जो पूजा करने वालों के सभी दुखों को दूर करने का विश्वास रखते हैं। भक्त इस दिन विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार करते हैं और उन्हें गोवर्धन पर्वत के आकार में सजाते हैं, जिसे अन्नकूट कहा जाता है। अन्नकूट का अर्थ है कई प्रकार के अन्न का मिश्रण। भगवान कृष्ण को छप्पन भोग लगाने का रहस्य जानने के लिए आगे पढ़ें।
छप्पन भोग का रहस्य
छप्पन भोग का अर्थ है छप्पन प्रकार के पकवान। ये अलग-अलग व्यंजन भगवान को प्रेमपूर्वक अर्पित किए जाते हैं। संख्या छप्पन का धार्मिक महत्व भी है। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था, तब उन्होंने सात दिन तक कुछ नहीं खाया। इस दौरान उन्होंने ब्रजवासियों और गायों की रक्षा की। सात दिन × 8 पहर = 56 पहर, इसलिए गोपियों ने भगवान को भोजन कराने के लिए छप्पन प्रकार के व्यंजन बनाए। तब से यह परंपरा चली आ रही है।
स्वाद और धार्मिक विधान
इन व्यंजनों का केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि धार्मिक महत्व भी है। अनाज और दालें धरती का आहार मानी जाती हैं, जबकि मिठाइयां आनंद का प्रतीक हैं। नमकीन और खट्टे पकवान जीवन की विविधता को दर्शाते हैं। फल और मेवे प्रकृति की भेंट माने जाते हैं, और दूध, दही तथा घी ब्रज की आत्मा हैं। ये सभी चीजें भगवान कृष्ण के बचपन की याद दिलाती हैं।
गोवर्धन पूजा कब है? (Kab Hai Govardhan Puja 2025)
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर को शाम 05:54 बजे प्रारंभ होगी और इसका समापन 22 अक्टूबर को रात 08:16 बजे होगा। इस प्रकार, गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja 2025 Subh Muhurat)
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:20 बजे से शुरू होगा, जो 08:38 बजे तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त दोपहर 03:13 बजे से शुरू होकर शाम 05:49 बजे तक रहेगा।
✧ धार्मिक और अध्यात्मिक


