
वह एक जपमाला और एक कमंडल धारण करती हैं, जो ध्यान और साधना का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी पूरे मन और भक्ति से देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है, वह असंभव को भी प्राप्त कर सकता है।


✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा के नियम
शास्त्रों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि के दूसरे दिन, यानी देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा के दिन ये तीन बड़ी गलतियाँ करता है, तो उसकी वर्षों की तपस्या, प्रार्थना और साधना व्यर्थ हो सकती है। आइए कल, देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा के दिन, ध्यान रखने योग्य तीन महत्वपूर्ण बातों पर गौर करें।
1. भोजन और ब्रह्मचर्य का उल्लंघन
नवरात्रि के दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के दिन, यदि कोई व्रती अत्यधिक भोजन करता है, मांस-मदिरा का सेवन करता है, या ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसका व्रत निष्फल हो जाता है। पद्म पुराण में कहा गया है, “माद्यं मानसं न सेवत व्रतानां ब्रह्मचारिणी”, अर्थात व्रत के दौरान मदिरा और मांस का सेवन करने से व्रत नष्ट हो जाता है। आधुनिक दृष्टिकोण से, व्रत के दौरान सात्विक भोजन मन और शरीर को ऊर्जावान और शांत रखता है, जबकि तामसिक भोजन ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे नकारात्मक विचार उत्पन्न हो सकते हैं।
2. अहंकार और क्रोध का प्रबल होना
नवरात्रि के दूसरे दिन, अर्थात् माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के दिन, यदि कोई पुरुष या स्त्री पूजा के दौरान क्रोधित हो जाता है, या अहंकारवश किसी को बुरा-भला कहता है, तो उसका व्रत तुरंत भंग हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार, “अहंकारः परम दुष्टं क्रोधो वा नाशकः तपः” अर्थात् अहंकार और क्रोध तपस्या को तुरंत नष्ट कर देते हैं। आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार, पूजा के दौरान क्रोध मन की शांति को भंग करता है।
3. मंत्र जाप में अशुद्धि या त्रुटि
इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि के दूसरे दिन, अर्थात् देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान मंत्रों का गलत जाप करता है या उन्हें अधूरा छोड़ देता है, तो उसे देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त नहीं होती है और इस प्रकार पूजा अमान्य हो जाती है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार, मंत्रों का जाप सही स्वर और लय में किया जाना चाहिए; ऐसा न करने पर, उनके कंपन मन और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकते हैं।
अकाल मृत्यु से बचाव में सहायक
पूजा के बाद, माँ ब्रह्मचारिणी की आरती करें और सभी को प्रसाद बाँटें। माँ ब्रह्मचारिणी को पंचामृत अर्पित किया जाता है। उन्हें चीनी या गुड़ भी अर्पित किया जा सकता है। इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
बीज मंत्र का जाप अवश्य करें
माँ ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र “ह्रीं श्रीं अम्बिकाय नमः” है। उनकी पूजा के दौरान इसका जाप करें। “या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” मंत्र का जाप भी शुभ माना जाता है।
माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
1. स्नान और शुद्धि: सबसे पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
2. माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा: माँ ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उनकी पूजा करें।
3. पुष्प और अक्षत: माँ ब्रह्मचारिणी को पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
4. दीप और धूप: दीप और धूप जलाएँ और माँ ब्रह्मचारिणी की आरती करें।
5. मंत्र जाप: माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जाप करें।
6. भोग: माँ ब्रह्मचारिणी को भोग लगाएँ और प्रसाद के रूप में बाँटें।
माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र
मूल मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
वंदना मंत्र: दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
माँ ब्रह्मचारिणी तप और संयम की देवी हैं। उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है। वे ज्ञान और बुद्धि की देवी भी हैं और उनकी पूजा से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के लाभ
तपस्या और संयम: माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से तप और संयम की प्राप्ति होती है।
ज्ञान और बुद्धि: माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
जीवन में स्थिरता: माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है।✧ धार्मिक और अध्यात्मिक

