जागर:गोलज्यू महाराज स्थापना दिवस: न्याय और लोकआस्था का पर्व

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रुद्रपुर में श्री गोलज्यू मंदिर, शैल भवन (मोदी मैदान के सामने) में इस वर्ष भी न्याय के देवता गोलज्यू महाराज का स्थापना दिवस बड़े हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया जाएगा। यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण भी है।

8 और 9 अक्टूबर को होने वाले इस कार्यक्रम की रूपरेखा श्रद्धा और अनुशासन का सुंदर संगम है। 8 अक्टूबर की शाम आरती से आरंभ होकर देर रात तक चलने वाला जागर भक्तजनों को भक्ति रस में डुबो देगा। अगले दिन 9 अक्टूबर को पूजन, हवन, सुंदरकांड पाठ और भंडारे के माध्यम से यह पर्व अपनी पूर्णता को प्राप्त करेगा। शैल परिषद परिवार ने सभी श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर गोलज्यू महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने का आग्रह किया है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

न्याय के देवता गोलज्यू महाराज का महत्व?गोलज्यू महाराज को उत्तराखंड और कुमाऊं क्षेत्र में न्याय के देवता माना जाता है। यह आस्था केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि पीढ़ियों से समाज में न्याय, सत्य और धर्म की स्थापना की प्रेरणा देती आई है। लोकमान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से गोलज्यू महाराज के दरबार में प्रार्थना करता है, उसे अवश्य न्याय मिलता है। यही कारण है कि गोलज्यू मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों का भी प्रतीक है।

सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का केंद्र?ऐसे पर्वों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि ये समाज के हर वर्ग को जोड़ते हैं। भंडारे में आमजन एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिससे समरसता और भाईचारे की भावना मजबूत होती है। जागरण और सुंदरकांड जैसे आयोजन समाज को भक्ति और सकारात्मकता की ओर प्रेरित करते हैं।

बदलते समय में लोकआस्था का संरक्षण?आज के दौर में जब आधुनिकता और भौतिकवाद के दबाव में परंपराएं कहीं न कहीं कमजोर होती दिखती हैं, ऐसे आयोजन समाज को अपनी जड़ों से जोड़े रखने का कार्य करते हैं। रुद्रपुर जैसे औद्योगिक और तेजी से बदलते शहर में इस तरह के पर्व सामाजिक संतुलन और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में बेहद महत्वपूर्ण हैं।

संपादकीय :गोलज्यू महाराज का स्थापना दिवस (जागर ) केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह संदेश देता है कि समाज में न्याय, सत्य और धर्म का स्थान सर्वोपरि है। आज जब समाज में अन्याय, भ्रष्टाचार और विभाजन की प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं, तब गोलज्यू महाराज की आस्था हमें यह स्मरण कराती है कि सच्चाई की राह कठिन भले हो, पर अंततः विजय उसी की होती है।

इस पर्व से हमें यही सीख लेनी चाहिए कि जीवन में सत्य, न्याय और निष्ठा को सर्वोपरि रखें। साथ ही, हमें अपने बच्चों और युवाओं को भी इस सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी न्याय और आस्था की इस महान परंपरा को आगे बढ़ा सकें।



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