
21वीं सदी के भारत की नींव रखने वाले, भारत रत्न राजीव गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर आज पूरे देश भर में श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन हुआ। जहां दिल्ली के वीर भूमि से लेकर चेन्नई, भोपाल, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने नेता को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की, वहीं उत्तराखंड के रुद्रपुर में भी राजीव नगर स्थित उनकी प्रतिमा पर एक सादगीपूर्ण, लेकिन भावनात्मक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।


इस मौके पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजीव गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और “जब तक सूरज चाँद रहेगा, राजीव तेरा नाम रहेगा” जैसे गगनभेदी नारों से वातावरण को गूंजा दिया। इस आयोजन में न कोई मंच था, न कोई दिखावा, बल्कि सिर्फ एक भाव— आधुनिक भारत के वास्तुकार को याद करने का।
राजनीति में गरिमा और तकनीक में क्रांति का नाम: राजीव गांधी
राजीव गांधी का नाम आज भी भारतीय राजनीति में युवाओं, तकनीक, शांति और आधुनिक सोच के पर्याय के रूप में लिया जाता है। 1984 में मात्र 40 वर्ष की आयु में देश के प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी ने एक तरफ शांति और संवाद की राजनीति की मिसाल पेश की, वहीं दूसरी ओर भारत को कंप्यूटर, टेलीकॉम और पंचायती राज जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए।
1986 की नई शिक्षा नीति, 18 वर्ष की आयु में मतदान का अधिकार, सूचना प्रौद्योगिकी में क्रांति, पंचायती राज व्यवस्था का सशक्तिकरण, जैसे उनके निर्णयों ने भारत को 21वीं सदी की ओर अग्रसर किया।
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
रुद्रपुर में श्रद्धांजलि सभा: कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावभीनी उपस्थिति
रुद्रपुर में आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा की अगुवाई महानगर कांग्रेस अध्यक्ष सी. पी. शर्मा और प्रदेश महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष व पूर्व पालिका अध्यक्ष श्रीमती मीना शर्मा ने की। मीना शर्मा 2022 में 66 विधानसभा रुद्रपुर से कांग्रेस प्रत्याशी भी रह चुकी हैं।
अपने संबोधन में श्रीमती शर्मा ने कहा,
“राजीव गांधी केवल एक नेता नहीं थे, वे आधुनिक भारत की चेतना थे। आज जो युवा डिजिटल युग में अपना स्थान बना रहे हैं, उसकी नींव राजीव जी ने ही रखी थी।”
सभा में उपस्थित अन्य प्रमुख नेताओं में गोपाल भसीन, सतीश कुमार, अशोक मंडल, सुमित रॉय, दिनेश मौर्य, मुरारी लाल, निसार अहमद, विकास विश्वास, हरीश रॉय, बाबू विश्वकर्मा, उमर खान, दीपा रॉय, राधेश्याम बंसल, रईस अहमद सहित कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे। इन सभी ने पुष्प अर्पित कर, मौन रखकर और स्मृति गीतों के माध्यम से राजीव गांधी को नमन किया।
देशभर में पुण्यतिथि पर विविध आयोजन
राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर कांग्रेस मुख्यालय दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने #RajivGandhi को ट्रेंड करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
राजीव गांधी की पुण्यतिथि को कांग्रेस “शांति एवं समरसता दिवस” के रूप में मनाती है। इस अवसर पर पूरे देश में रक्तदान शिविर, पौधारोपण, विचार गोष्ठियों, और युवाओं के लिए तकनीकी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
उत्तराखंड में भी राजीव गांधी की गूंज
उत्तराखंड के कुमाऊं से गढ़वाल तक, हिल स्टेशन से लेकर तराई क्षेत्र तक, हर जिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें याद किया। देहरादून, नैनीताल, हल्द्वानी, बागेश्वर, पिथौरागढ़, टिहरी, श्रीनगर और रुद्रप्रयाग में राजीव गांधी की तस्वीरों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
उत्तराखंड में पंचायती राज की मजबूती और युवाओं को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने की जो प्रक्रिया 90 के दशक में शुरू हुई, उसके मूल में राजीव गांधी की सोच ही थी। यही वजह है कि पहाड़ों में आज भी राजीव गांधी को एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक की आवाज को बराबरी का दर्जा दिया।
राजीव गांधी: एक प्रेरणा, एक मिशन
आज के समय में जब राजनीति में कटुता, ध्रुवीकरण और स्वार्थ की प्रवृत्ति हावी होती दिख रही है, तब राजीव गांधी की राजनीतिक यात्रा एक अलग मिसाल पेश करती है। उन्होंने सियासत को संवाद और समरसता का माध्यम बनाया। उनका यह कथन—
“भारत एक पुराना देश है, लेकिन एक युवा राष्ट्र है… मैं सपने देखता हूं भारत के ऐसे भविष्य का, जो मजबूत, आत्मनिर्भर और सशक्त हो।”
आज भी लाखों युवाओं को प्रेरित करता है।
स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की एकजुटता का प्रतीक
रुद्रपुर जैसे स्थानों पर जहां राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तीव्र है, राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एकजुटता यह संदेश देती है कि विचार और स्मृति की राजनीति अभी भी जीवित है। इस आयोजन के माध्यम से कांग्रेस ने न केवल अपने नेता को श्रद्धांजलि दी, बल्कि यह भी दिखाया कि विकास, तकनीक, और लोकतंत्र की मजबूती जैसे मुद्दे आज भी उसकी प्राथमिकता में हैं। राजीव गांधी की पुण्यतिथि केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि यह आधुनिक भारत के उस स्वप्न को याद करने और पुनः जीवित करने का अवसर है, जिसमें गाँव से लेकर शहर तक, युवा से लेकर वृद्ध तक, सभी के लिए समान अवसर और तकनीकी सशक्तिकरण की परिकल्पना थी। रुद्रपुर में आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा, देशभर के आयोजनों की ही तरह, यह प्रमाणित करती है कि राजीव गांधी केवल अतीत नहीं, भारत के भविष्य की भी प्रेरणा हैं।
