महामहिम राज्यपाल ने किया 118वें कृषि कुंभ किसान मेले एवं उद्योग प्रदर्शनी का शुभारंभ? सेमीकंडक्टर लैब और ऑडिटोरियम का भी हुआ उद्घाटन, प्रगतिशील कृषकों को किया सम्मानित

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सेमीकंडक्टर लैब और ऑडिटोरियम का भी हुआ उद्घाटन, प्रगतिशील कृषकों को किया सम्मानित

पंतनगर, 10 अक्टूबर 2025।
गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर में आयोजित 118वें अखिल भारतीय कृषि कुंभ किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का शुभारंभ उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने फीता काटकर एवं दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर महामहिम ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित छह पुस्तकों का विमोचन किया तथा प्रगतिशील कृषकों को सम्मानित किया गया।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि पंतनगर विश्वविद्यालय की धरती वह पवित्र भूमि है जिसे आधुनिक भारत में हरित क्रांति की जन्मस्थली कहा जाता है। अन्नदाताओं, वैज्ञानिकों, उद्यमियों और विद्यार्थियों के बीच उपस्थित होकर वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी सच्चे अर्थों में राष्ट्र की धमनियों में प्रवाहित जीवनदायिनी शक्ति के प्रतिनिधि हैं, जो भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाती है।

इस अवसर पर महामहिम ने विश्वविद्यालय की नव निर्मित सेमीकंडक्टर लैब एवं ऑडिटोरियम का भी उद्घाटन किया और कहा कि यह दोनों परियोजनाएं आने वाले समय में कृषि अनुसंधान और तकनीकी संवाद को नई दिशा प्रदान करेंगी। उन्होंने प्रगतिशील किसानों को सम्मानित करते हुए कहा कि सीमित संसाधनों में भी परिश्रम और नवाचार से असाधारण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।

राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में किसान को सृष्टि का पोषक कहा गया है। “अन्नं बहु कुर्वीत तद्व्रतम्” का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक अन्न उत्पादन केवल खेती का लक्ष्य नहीं, बल्कि यह समाज को पोषित करने और भूख मिटाने का सामाजिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि कृषि हमारी संस्कृति, आत्मा और अस्तित्व का प्रतीक है तथा उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय प्रदेश में इसका सामाजिक व सांस्कृतिक महत्व और भी अधिक है।

महामहिम ने कहा कि उत्तराखण्ड जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त राज्य है। उन्होंने कहा कि जैविक और प्राकृतिक खेती को जन-आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक खेती को सफल बनाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा तीन बार सरदार पटेल उत्कृष्ट कृषि संस्थान पुरस्कार मिलना गौरव की बात है।

राज्यपाल ने बताया कि वर्तमान में विश्वविद्यालय में अध्ययनरत लगभग 4000 विद्यार्थियों में से 50 प्रतिशत छात्राएं हैं। स्थापना से अब तक यहां से 44 हजार से अधिक छात्र डिग्री प्राप्त कर चुके हैं और देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित 350 से अधिक नई प्रजातियां और पर्वतीय कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को तकनीकी सहायता व सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराना अत्यंत सराहनीय है। पिछले एक वर्ष में डेढ़ करोड़ रुपये मूल्य के बीज किसानों तक पहुंचे हैं।

महामहिम ने कहा कि उत्तराखण्ड के कृषि उद्योग की प्रगति और किसानों के सशक्तीकरण के तीन प्रमुख स्तंभ — श्री अन्न की खेती, शहद उत्पादन और सगंध खेती — राज्य की आर्थिकी को नई मजबूती दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि बाजरा, मडुआ, झंगोरा, कौणी, कुटकी, रामदाना जैसी फसलें हमारी पोषण परंपरा की धरोहर हैं। शहद उत्पादन और सगंध खेती से किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ सकती है।

राज्यपाल ने कहा कि आधुनिक तकनीक, स्मार्ट कृषि उपकरण, सेंसर आधारित सिंचाई प्रणाली और ड्रोन सर्वे जैसे नवाचार किसानों की उत्पादकता बढ़ा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, परंपरागत कृषि विकास योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, फसल बीमा योजना, डिजिटल कृषि मिशन और राष्ट्रीय जैविक मिशन की सराहना की।

उन्होंने “ड्रोन दीदी योजना” को ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल बताया। उन्होंने कहा कि यह योजना नारी शक्ति और तकनीकी क्रांति दोनों का संगम है।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड जैविक, प्राकृतिक और पर्वतीय कृषि का आदर्श मॉडल बन सकता है। यदि किसान नई तकनीक अपनाएं और अपने क्षेत्र की विशेषताओं के अनुरूप खेती करें, तो उत्तराखण्ड देश के अग्रणी कृषि राज्यों में स्थान प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि “समृद्ध उत्तराखण्ड के बल पर ही समृद्ध भारत” का निर्माण संभव है और प्रधानमंत्री जी के “विकसित भारत 2047” के संकल्प में राज्य की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

कार्यक्रम में कृषि मंत्री गणेश जोशी और सांसद अजय भट्ट ने किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी आयोजन के लिए विश्वविद्यालय को बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज 89 देशों को खाद्यान्न निर्यात कर रहा है। देश के दस करोड़ से अधिक किसानों को डीबीटी के माध्यम से किसान सम्मान निधि का लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि जब अन्नदाता मजबूत होगा, तभी देश मजबूत होगा।

कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया और बताया कि इस वर्ष मेले में 503 स्टॉल लगाए गए हैं।

कार्यक्रम में विधायक शिव अरोरा, मेयर विकास शर्मा, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला, विवेक सक्सेना, अमित नारंग, ओपन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहनी, पद्मश्री माधुरी बथवाल, डॉ. जितेंद्र क्वात्रा, ए.एस. नैन, सुभाष चन्द्र, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा, एसीएमओ डॉ. के.के. अग्रवाल, अपर जिलाधिकारी कौस्तुभ मिश्रा, एसपी सिटी डॉ. उत्तम सिंह नेगी, सहित बड़ी संख्या में किसान, वैज्ञानिक, विद्यार्थी एवं अधिकारी उपस्थित रहे।



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