
विशेषकर दीपावली के अवसर पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के दौरान घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाकर ‘शुभ’ और ‘लाभ’ के दो शब्द लिखे जाते हैं। लेकिन कई बार यह सवाल उठता है कि आखिर ये शब्द क्यों लिखे जाते हैं? तो आइए इसके महत्व को जानते हैं।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
शुभ-लाभ लिखने की धार्मिक मान्यता
परंपराओं के मुताबिक माना जाता है कि घर के मुख्य द्वार पर ‘शुभ-लाभ’ और स्वस्तिक चिन्ह अंकित करने से घर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। यह प्रतीक न केवल सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि नकारात्मक शक्तियों को घर में प्रवेश करने से रोकता है। साथ ही इससे विघ्नों को दूर करने वाले भगवान गणेश की कृपा हमेशा बनी रहती है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान गणेश का विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री रिद्धि और सिद्धि से हुआ था। रिद्धि और सिद्धि के दो पुत्र थे – ‘शुभ’ (जिसका अर्थ कल्याणकारी बुद्धि से है) और ‘लाभ’ (जो लाभ और सफलता का प्रतीक है)। यही वजह है कि शुभ-लाभ के नाम से घरों में कल्याण और समृद्धि की कामना की जाती है।
गणेश जी की प्रथम पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को सभी पूजा-विधियों में सबसे पहले पूजनीय माना जाता है। शुभ-लाभ लिखने से उनकी कृपा सदैव प्राप्त होती है और विघ्नों से बचाव होता है। इसीलिए लोग घर के द्वार और पूजा स्थलों पर शुभ-लाभ के शब्द लिखकर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। इस प्रकार शुभ-लाभ केवल शब्द नहीं बल्कि समृद्धि, सुख और भगवान गणेश की कृपा का प्रतीक है, जो हर हिंदू घर में सुख-शांति और खुशहाली का संदेश देता है।
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