मगर, उत्तराखंड के चंपावत जिले में बसा स्वाला गांव कुछ ऐसा ही है, जिसे भुतहा गांव कहा जाता है। स्वाला गाव 1952 से पहले इंसानों से उजागर रहा करता था, लेकिन आज यहां केवल सन्नाटा पसरा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, स्वाला गांव में 8 जवानों की आत्माएं घूमती हैं, जिसकी वजह से गांव वीरान हो गया।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
1952 में हुई घटना
लोककथाओं और ग्रामीणों के अनुसार, साल 1952 में PAC की एक बटालियन इस रास्ते से गुजर रही थी। उनके काफिले की एक जीप अचानक से अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरी। इस हादसे में कई जवान जीप के भीतर फंस गए। हादसे के बाद, घायल जवानों ने मदद के लिए आसपास के गांव वालों को पुकारा। लेकिन, मदद करने के बजाय कुछ लोगों ने जवानों का सामान लूटना शुरू कर दिया। जवान जीप में फंसे हुए दर्द से कहराते रहे, लेकिन उन्हें किसी ने नहीं बचाया।
जवानों की जीप खाई में जा गिरी
कहते हैं कि इन जवानों ने आखिरी सांस तक मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई नहीं आया। सभी जवानों ने तड़प-तड़प कर अपनी जान गंवा दी। इस घटना के बाद गांव की हवा बदल गई और लोगों का मानना है कि 8 जवानों की आत्माएं गांव में भटकने लगीं। स्वाला गांव में रहने वाले लोगों को रात में अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देने लगीं। कुछ गांव वालों को रात के अंधेरे में सिपाही की वर्दी पहने परछाइयां भी दिखाई देनी लगी।
जवानओं की आत्माएं भटकने की अफवाह
कहा जाता है कि जवानों की आत्माओं के डर से गांव के लोगों ने एक-एक करके पलायन करना शुरू कर दिया। वक्त गुजरने के साथ-साथ गांव वालों को जब पछतावा हुआ, तो उन्होंने जहां पर जीप गिरी थी वहां पर एक मंदिर बनवा दिया, लेकिन इससे खास फर्क नहीं पड़ा। आज भी इस रास्ते से गुजरने वाली गाड़ियां इस मंदिर के दर्शन करने के लिए रुकती हैं।
2020 में दो परिवार रहने आए
हालांकि, साल 2020 में दो युवाओं ने इस गांव की तरफ रुख किया और वे आकर यहां बस गए। उन्होंने इस गांव में खेती-बाड़ी शुरू की और पशुपालन भी चालू किया। उनका कहना है कि यहां पर कोई भूत-प्रेत नहीं है। उनका मानना है कि गांव के लोगों ने बिजली, पानी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव की वजह से यहां से पलायन किया था। यहां पर रोजगार के साधन नहीं थे इसलिए युवाओं ने शहरों की तरफ रुख कर लिया था। जिसकी वजह से गांव विरान हो गया।
स्वाला गांव दिल्ली से कैसे पहुंचे?
दिल्ली से उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित स्वाला गांव पहुंचने के लिए आप सड़क, रेल और हवाई मार्ग का रास्ता अपना सकते हैं।

