
भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर जेट के साथ-साथ चार ट्विन-सीटर वैरिएंट मिलेंगे. भारत को एक बड़ा पैकेज मिलेगा, जिसमें बेड़े का रखरखाव, लॉजिस्टिकल सपोर्ट, कर्मियों की ट्रेनिंग और स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग कंपोनेंट के लिए ऑफसेट दायित्व शामिल होगा. इस मुद्दे पर पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स कमर चीमा ने अपने यूट्यूब चैनल द कमर चीमा शो पर बात की. उन्होंने कहा कि ये वाकई में एक बहुत बड़ी डील है, जिससे साफ पता चलता है कि भारत अपनी ताकत को बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है. वे खासकर चीन के खिलाफ अपनी ताकत को बढ़ाना चाहते, जिसकी मदद से वे हिंद महासागर में ड्रैगन का मुकाबला कर सकें.


शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता
कमर चीमा ने कहा कि भारत राफेल के लिए फ्रांस से 7 अरब डॉलर की डील कर रहा है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत के पास कितना पैसा है. दूसरी तरफ हमारा पाकिस्तान 1-1 अरब डॉलर की भीख मांग रहा है. हर दूसरे देश के सामने जाकर पैसों की गुहार लगाते हैं. इसके उल्ट भारत 7 अरब डॉलर की बड़ी डील करता है. वह कहता है कि हम अपनी ताकत का विस्तार कर रहे हैं. इसके लिए वे अपनी नेवी, आर्मी को मॉर्डनाइज कर रहे हैं.
भारत तीन मोर्चों पर अपने दुश्मनों से घिरा-कमर चीमा
पाकिस्तानी एक्सपर्टस कमर चीमा ने कहा कि आज के वक्त में भारत तीन मोर्चों पर अपने दुश्मनों से घिरा हुआ है. इसमें पहला चीन, दूसरा पाकिस्तान और अब तीसरा बांग्लादेश है. इसके लिए भारत लगातार अपनी सैन्य और नेवी पावर को मजबूत करने में लगा हुआ है. यही वजह है कि वह किसी भी क्षेत्र में खुद को कमजोर नहीं रखना चाहता है और अरबों रुपयों की डील कर रहा है. भारत इस बात को बेहतर तरीके से जानता है कि हिंद महासागर में चीन उसके लिए चुनौती पेश कर सकता है. इस वजह भारत ने राफेल डील किया है, जिससे उसकी ताकत बढ़ जाए.
भारत को कब मिलेगा राफेल मरीन जेट प्लेन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने इस सौदे को मंजूरी दे दी.राफेल मरीन जेट विमानों को भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोतों पर तैनात किया जाएगा. इससे समुद्र में नौसेना की हवाई शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.राफेल मरीन भारत में मौजूद राफेल फाइटर जेट्स से अधिक एडवांस है. इसका इंजन ज्यादा ताकतवर है.रिपोर्ट के मुताबिक राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति लगभग चार वर्षों में शुरू होने का अनुमान है. नौसेना को 2029 के अंत तक पहला बैच प्राप्त होने की उम्मीद है. पूरा बेड़ा 2031 तक शामिल होने की संभावना है.
