भारत ने अचानक रूस के एक इलाके में लाखों किलो चावल भेज दिया है, जिस इलाके में अमेरिका और नाटो देश हमले की तैयारी में लगे हुए हैं। अमेरिका तो इस इलाके को रूस से किसी भी कीमत पर छीनना चाहता है।

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लेकिन रूस के इस इलाके में जैसे ही भारत का 390 टन चावल पहुंचा तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। रूस की सरकार और रूसी मीडिया ने बोलना शुरू कर दिया कि दोस्त हो तो भारत जैसा। यानी अमेरिका और नाटो देश रूस के जिस इलाके को बर्बाद करना चाहते हैं। उसी इलाके को आबाद करने के लिए भारत ने लाखों किलो चावल भेज दिए। रूस के जिस इलाके में भारत की धमाकेदार एंट्री हुई है उसका नाम कलिनिनग्राद है।रूस का कलिनिनग्राद क्षेत्र पिछले कुछ दिनों से पूरी दुनिया में चर्चा में है। इसकी वजह इस क्षेत्र को लेकर अमेरिकी जनरल का बयान और उस पर रूस की तीखी प्रतिक्रिया है। रूस ने कहा है कि अगर अमेरिका या नाटो सेनाएँ कलिनिनग्राद क्षेत्र पर हमला करती हैं, तो इससे तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो सकता है। रूस ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर कलिनिनग्राद क्षेत्र की रक्षा करेगा।✍️ अवतार सिंह बिष्ट,
संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!

भारत ने भेजे 390 टन चावल

अमेरिका समेत कई नाटो देश लगातार बोलते आए हैं कि पुतिन इस इलाके का इस्तेमाल करके यूरोप पर हमला कर सकते हैं। रूस किसी भी कीमत पर अपने इस स्ट्रैटजिनक शहर को खोना नहीं चाहता। लेकिन ये बात सच है कि मेनललैंड रूस से दूर होने की वजह से कलिनिनग्राद पर नियंत्रण रखना काफी मुश्किल होता है। मगर इसी परेशानी में भारत ने रूस का साथ दे दिया। आपको बता दें कि कलिनिनग्राद का भारत से भी एक खास रिश्ता है। कलिनिनग्राद में एक शिपयार्ड है जिसका नाम यांत्रर है। इसी यात्रांर में रूस ने भारत के लिए दो स्टील्थ फ्रीगेड बनाए जिनका नाम तुशिल और तमाल था। तमाल फ्रीगेड 1 जुलाई को ही भारत आया है। अब कलिनिनग्राद से दो फ्रीगेट भारत आए तो भारत ने भी पूरी दोस्ती निभाई। भारत ने कलिनिनग्राद में चावल का एक नया कंसाइनमेंट भेज दिया। जिसमें 125 टन चावल थे। आपको बता दें कि 2025 की शुरुआत से भारत कलिनिनग्राद को 390 टन चावल दे चुका है।

रूस के लिए कलिनिनग्राद इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

कैलिनिनग्राद क्षेत्र रूस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित कैलिनिनग्राद पर रूस का नियंत्रण है। हालाँकि, यह रूस की मुख्य भूमि से कटा हुआ है। नाटो और पश्चिमी देशों को लगता है कि पुतिन इस क्षेत्र का इस्तेमाल यूरोप पर हमला करने के लिए कर सकते हैं। इस रणनीतिक क्षेत्र का इस्तेमाल करके, रूस सुवाल्की गैप पर भी कब्ज़ा कर सकता है। लगभग 60 मील चौड़ी यह दुर्गम भूमि पट्टी, बाकी नाटो देशों को बाल्टिक देशों से जोड़ती है। रूस से सैकड़ों किलोमीटर दूर, रूसी एक्सक्लेव कलिनिनग्राद ओब्लास्ट, पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित 15,100 वर्ग किलोमीटर का एक छोटा सा भूभाग है। द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद जर्मन शहर कोनिग्सबर्ग और उसके आसपास के क्षेत्र को सोवियत संघ को सौंप दिया गया था। 1946 में इसका नाम बदलकर कलिनिनग्राद कर दिया गया।है। रूस का कलिनिनग्राद क्षेत्र पिछले कुछ दिनों से पूरी दुनिया में चर्चा में है। इसकी वजह इस क्षेत्र को लेकर अमेरिकी जनरल का बयान और उस पर रूस की तीखी प्रतिक्रिया है। रूस ने कहा है कि अगर अमेरिका या नाटो सेनाएँ कलिनिनग्राद क्षेत्र पर हमला करती हैं, तो इससे तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो सकता है। रूस ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर कलिनिनग्राद क्षेत्र की रक्षा करेगा।


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