
यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयानक आतंकवादी हमले के बाद उठाया गया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले ने पाकिस्तान की आतंकवाद में निरंतर भूमिका को उजागर किया। भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि परमथनेनी हरीश ने दशकों से भारत की धैर्यपूर्ण और जिम्मेदार नीति को रेखांकित करते हुए पाकिस्तान की बार-बार की गई संधि उल्लंघनों और क्षेत्रीय शांति के प्रति बाधा उत्पन्न करने वाली हरकतों पर जोर दिया।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह
आतंकवाद और संधि निलंबन पर भारत का रुख
पाकिस्तान द्वारा सिंधु जल संधि को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए भारत के राजदूत हरीश ने कहा कि यह संधि 1960 में अच्छी नीयत से हुई थी, लेकिन पाकिस्तान ने इस संधि के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए तीन युद्ध और पिछले चार दशकों में हजारों आतंकवादी हमले किए हैं। उन्होंने बताया कि इस दौरान 20,000 से अधिक भारतीयों की जानें पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की वजह से गईं। हरीश ने कहा कि भारत ने अत्यधिक धैर्य और उदारता दिखाते हुए सीमा पार आतंकवाद को सहन किया है, लेकिन यह गतिविधि नागरिक जीवन, धार्मिक सद्भाव और आर्थिक समृद्धि को खतरे में डालती है।
उन्होंने बताया कि पिछले 65 वर्षों में सुरक्षा चिंताएं, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी जरूरतों के मद्देनजर बांधों के अवसंरचना और संधि प्रावधानों में बदलाव आवश्यक हो गया है, लेकिन पाकिस्तान ने लगातार इन परिवर्तनों को अस्वीकार किया है। उन्होंने 2012 में जम्मू-कश्मीर में तलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट पर हुए हमले का उदाहरण देते हुए पाकिस्तान की इन निंदनीय हरकतों पर प्रकाश डाला, जो न केवल अवसंरचना की सुरक्षा बल्कि आम नागरिकों की जान के लिए भी खतरा हैं।
तनााव में वृद्धि और हालिया सैन्य प्रतिक्रिया
पहलागाम हमले के बाद, जिसमें सीमा पार के संबंध पाए गए, भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान-नियंत्रित कश्मीर में आतंकवादी कैंपों को निशाना बनाया गया। इसके बाद तनाव में तेजी आई, पाकिस्तान ने मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिन्हें भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक विफल कर दिया। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी हवाई अड्डों पर हमला किया। 10 मई को एक संघर्षविराम के साथ लड़ाई समाप्त हुई, लेकिन कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधी तनाव अभी भी जारी हैं।
परमथनेनी हरीश ने दोहराया कि भारत तब तक सिंधु जल संधि को निलंबित रखेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपनी विश्वसनीय और स्थायी समर्थन को समाप्त नहीं करता। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस संधि का मुख्य उल्लंघनकर्ता बना हुआ है। यह कड़ा रुख भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय शांति की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का स्पष्ट संदेश है।
