भा रत का स्वदेशी फाइटर जेट प्रोग्राम अब तेजी से आगे बढ़ रहा है. रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इस साल के अंत तक तेजस MK-2 फाइटर जेट का पहला प्रोटोटाइप तैयार कर लेगा.

Spread the love

तेजस एमके2 को 2029 से बड़े पैमाने पर बनाया जाएगा.

वहीं 2034 तक भारतीय वायुसेना को 120 फाइटर जेट सौंपने का लक्ष्य रखा गया है. यह प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत रक्षा क्षेत्र में देश की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

तेजस मार्क-2 क्या है?

तेजस मार्क-2 तेजस मार्क 1 का अपग्रेडेड वर्जन है. यह एक 4.5+ जेनरेशन मीडियम वेट फाइटर एयरक्राफ्ट है, जो कई तरह के युद्ध अभियानों में इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसमें अमेरिका का F414 इंजन लगाया जाएगा, जो ज्यादा ताकतवर, दमदार और लंबी दूरी तक हथियार ले जाने में सक्षम है. तेजस मार्क-2 में स्वदेशी एडवांस AESA रडार लगेगा जो दुश्मन को दूर से पहचानने की क्षमता रखता है. साथ ही इसमें इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) सिस्टम भी होगा, जो लड़ाई के दौरान बड़ी मदद करेगा.

तेजस मार्क-2 को वायुसेना के पुराने हो चुके जगुआर, मिराज 2000 और मिग-29 जैसे फाइटर जेट्स की जगह शामिल किया जाएगा. तेजस मार्क-2 के लिए पहले चरण में 110 से 120 विमानों का ऑर्डर दिया गया है, जो वायुसेना की छह स्क्वॉड्रनों को मजबूत करेगा. भविष्य में रक्षा मंत्रालय इस संख्या को बढ़ाकर 210 और विमानों तक ले जा सकता है, जिससे कुल संख्या 300 से अधिक हो सकती है. HAL के बेंगलुरु केंद्र में प्रोडक्शन काम तेजी से चल रहा है, जहां पहला प्रोटोटाइप अब एडवांस असेंबली फेज में है. फ्यूसेलाज और विंग्स जैसे प्रमुख ढांचे पहले ही जोड़ दिए गए हैं.

तेजस मार्क-2 2026 में पहली उड़ान भरेगा

तेजस Mk-2 का पहला प्रोटोटाइप इस साल नवंबर-दिसंबर 2025 में दिखाया जाएगा. इसके बाद ग्राउंड ट्रायल होंगे और 2026 के मध्य तक यह पहली उड़ान भरेगा. 2028 तक HAL पहले चरण में 4 टेस्ट एयरक्राफ्ट बनाएगा. सूत्रों के मुताबिक प्रोडक्शन के लिए HAL ने स्टेपवाइज रणनीति तैयार की है.

  • 2029 से हर साल 1618 एयरक्राफ्ट बनाए जाएंगे.
  • उत्पादन को धीरे-धीरे बढ़ाकर 24 विमानों प्रतिवर्ष की गति तक लाया जाएगा.
  • इसके लिए बेंगलुरु और नासिक की मौजूदा तेजस मार्क-1A प्रोडक्शन लाइनों को तेजस मार्क-2 प्रोडक्सन के लिए परिवर्तित किया जाएगा.
  • इस परियोजना में 82% से अधिक स्वदेशी तकनीक का उपयोग होगा और L&T, Tata Advanced Systems जैसी निजी कंपनियाँ भी इसमें भाग ले रही हैं.

तेजस मार्क-2 भारतीय वायुसेना के लिए एक बहुत अहम लड़ाकू विमान बनकर सामने आ रहा है. इसकी डिजाइन इस तरह बनाई गई है कि यह रडार की पकड़ में कम आए. इसे लो ऑब्ज़र्वेबिलिटी तकनीक कहते हैं, जिससे दुश्मन की निगरानी से बचना आसान होता है. यही तकनीक इसे स्टील्थ यानी छुपकर वार करने वाला फाइटर जेट बनाती है.


Spread the love