इंटरपोल ने वीजा धोखाधड़ी के सिलसिले में वांछित फ्रांसीसी दूतावास के पूर्व अधिकारी शुभम शौकीन की वैश्विक संपत्तियों पता लगाने के लिए भारत के अनुरोध पर पहला सिल्वर नोटिस जारी किया है।

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अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

सिल्वर नोटिस एक रंग-अधारित नोटिस है जिसकी शुरुआत इंटरपोल द्वारा इस साल जनवरी में की गई थी। इसका उद्देश्य दुनिया भर में अवैध संपत्तियों की जानकारी जुटाना और उनका पता लगाना है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह

इटली के अनुरोध पर पहला सिल्वर नोटिस जारी करने के साथ प्रायोगिक परियोजना की शुरुआती हुई थी। भारत भी इस परियोजना का हिस्सा है।

इंटरपोल नौ प्रकार के रंग-अधारित नोटिस जारी करता है जिनमें से प्रत्येक का उद्देश्य दुनिया भर के सदस्य देशों से विशिष्ट जानकारी प्राप्त करना है। उदाहरण के लिए, लाल रंग किसी भगोड़े को हिरासत में लेने के लिए, नीला रंग अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करने के लिए, काला रंग अज्ञात शव की पहचान के लिए और पीला रंग लापता व्यक्तियों के तलाश के लिए है।

भारत, सिल्वर नोटिस जारी करने के पहले चरण में हिस्सा लेने वाले 51 सदस्य देशों में से एक है। प्रायोगिक परियोजना नवंबर तक जारी रहेगी।

प्रायोगिक चरण के हिस्से के रूप में प्रत्येक देश नौ सिल्वर नोटिस प्रकाशित करवा सकते हैं।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को एक बयान में कहा, ”सिल्वर नोटिस और ‘डिफ्यूजन’ के माध्यम से सदस्य देश किसी व्यक्ति की आपराधिक गतिविधियों जैसे धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों तस्करी, पर्यावरण अपराध और अन्य गंभीर अपराधों से जुड़ी संपत्तियों के बारे में जानकारी का अनुरोध कर सकते हैं।”

इसने कहा कि नोटिस से संपत्तियों, वाहनों, वित्तीय खातों और व्यवसायों सहित धनशोधन से अर्जित संपत्तियों का पता लगाने, उनकी पहचान करने और उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

एजेंसी ने बताया कि देश बाद में ऐसी जानकारी को संपत्तियों की जब्ती, कुर्की या वसूली के लिए द्विपक्षीय अनुरोध समेत द्विपक्षीय सहभागिता के आधार के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

बयान के अनुसार सीबीआई के अनुरोध पर इंटरपोल ने लगातार दो सिल्वर नोटिस जारी किए हैं। पहला अनुरोध 23 मई को दिल्ली में फ्रांसीसी दूतावास में कर्मचारी वीजा एवं स्थानीय कानून अधिकारी शौकीन के खिलाफ किया गया था और दूसरा 26 मई को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा वांछित अमित मदनलाल लखनपाल के खिलाफ किया गया था।

सीबीआई प्रवक्ता ने बयान में कहा, ”सितंबर 2019 से मई 2022 की अवधि के दौरान शौकीन ने अन्य आरोपियों के साथ साजिश रची और प्रत्येक से 15 से 45 लाख रुपये तक की रिश्वत लेकर आवेदकों को ‘शेंगेन’ वीजा जारी करने में मदद की।”

उन्होंने कहा कि आरोपियों ने अपराध से अर्जित आय का इस्तेमाल दुबई में 7,760,500 दिरहम (15,73,51,250 रुपये) मूल्य की छह अचल संपत्तियां खरीदने के लिए किया।

इससे पहले सीबीआई ने शौकीन के ठिकाने का पता लगाने के लिए उसके खिलाफ ब्लू नोटिस प्रकाशित करवाया था।

भारत में इंटरपोल से जुड़ी हर चीज के लिए सीबीआई नोडल संस्थान है। देश की सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियां सीबीआई के माध्यम से इंटरपोल से सहायता मांगने के लिए अपने अनुरोध भेजती हैं।

बयान में कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा वांछित लखनपाल ने कथित तौर पर अपने वित्तीय लाभ के लिए एमटीसी नामक एक क्रिप्टोकरेंसी बनाई, जिसे भारत में मान्यता प्राप्त नहीं है।

बयान में कहा गया है, ‘उसने निवेशकों को एमटीसी में निवेश करने के लिए लुभाया और उनसे लगभग 113.10 करोड़ रुपये की धनराशि एकत्र की। उसने सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक से अपेक्षित अनुमति और लाइसेंस के बिना ऐसा किया।’

सीबीआई ने कहा कि उसने जमाकर्ताओं को निवेश की गई राशि वापस करने का वादा किया था लेकिन फिर कोई रकम उसने नहीं लौटाई।

एजेंसी ने कहा, ‘उसने एकत्रित धन का गबन किया और निवेशकों को धोखा दिया। लोगों को लुभाने के लिए, उसने खुद को वित्त मंत्रालय का अधिकृत प्रतिनिधि बताया।’

बयान में कहा गया है कि भारत ने पहले ही सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो द्वारा जांचे जा रहे मामलों में सिल्वर नोटिस के प्रकाशन के लिए अनुरोध पत्र सौंप दिया है।


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