ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई बंकर से बाहर आ चुके हैं. पेंटागन और मोसाद की नींद उड़ी हुई है क्योंकि ईरान परमाणु कार्यक्रम पहले ही दोबारा शुरू कर चुका है, जबकि अमेरिका के हमलों से भी एटमी साइट को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा.

Spread the love

ईरान ने एटमी साइट भी ठीक करा ली हैं. अब खामेनेई ऐसे प्लान पर काम कर रहे हैं, जिससे इजराइल का संहार हो सकता है और मध्य-पूर्व में अमेरिका का दबदबा खत्म हो सकता है. इजराइल पूरी ताकत लगा रहा है, जिससे ईरान के उस ठिकाने तक पहुंचा जा सके, जहां ईरान यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है, जिसके बाद इजराइल फाइनल प्रहार करके ईरान का खात्मा कर सके.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

अब तो खामेनेई भी सामने आ चुके हैं और परमाणु कार्यक्रम भी दोबारा शुरू होने की खबरें भी आ रही हैं. अब क्या करेगा अमेरिका, क्या करेगा इजराइल, क्या फिर से हमला होगा, क्या फिर से ईरान दहलेगा? लेकिन हमला कहां होगा, कैसे होगा और कब होगा इसके बारे में सिर्फ कयास लगाए जा सकते हैं क्योंकि अमेरिका पहले हमले में ईरान का कुछ नहीं बिगाड़ पाया, जबकि पहले अमेरिका के पास ईरान के परमाणु ठिकानों की लोकेशन थी.

इजराइल की बढ़ रही बौखलाहट

अमेरिका के बॉम्बर्स ने फोर्दो, इस्फहान और नतांज पर हमले किए थे, जबकि इससे पहले इन्हीं ठिकानों पर मिसाइलें दागी गई थीं, अमेरिका ने बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया था. दावा किया गया कि सभी परमाणु साइट तबाह हो गईं, लेकिन अमेरिका चिल्लाता रहा. हमने कर दिखाया, लेकिन जब सैटेलाइट तस्वीरों से सच सामने आया, तो दिखा कि सिर्फ ऊपरी हिस्से को नुकसान हुआ, जबकि अंडरग्राउंड हिस्सा पूरी तरह सुरक्षित था. ऐसे में वहां रखा यूरेनियम भी सुरक्षित था, यानी अमेरिका का दावा गलत निकला. अब इजराइल की बौखलाहट भी बढ़ रही है. जिस मकसद से हमले किए थे. वो पूरे नहीं हुए. उल्टा ईरान के साथ अरब और कई यूरोपीय देश सहानुभूति जताने लगे.

ऐसे में ईरान को फिर मौका मिल गया कि वो अब परमाणु कार्यक्रम शुरू करे क्योंकि अब इतनी जल्दी अमेरिका हमले नहीं कर सकता है. ऐसी भी खबरे हैं कि ईरान अब न्यूक्लियर प्रोग्राम किसी दूसरे देश में शुरू कर सकता है. रूस, चीन, नॉर्थ कोरिया में से किसी एक जगह को चुन सकता है. हो सकता है परमाणु कार्यक्रम शुरू भी हो गया हो क्योंकि रूस ईरान को हथियार भी दे रहा है. साथ ही परमाणु तकनीक भी देने की खबर आई है, जबकि चीन पहले ही ईरान के परमाणु ठिकानों को बनाने में मदद कर चुका है. नॉर्थ कोरिया पर अमेरिका हमला करने से बचेगा क्योंकि कम खुलेआम परमाणु धमकी देते हैं.

इजराइल ने किया ईरान पर साइबर अटैक

ईरान का परमाणु कार्यक्रम कहां शुरू हो रहा है, इसकी जानकारी जुटाने केलिए इजराइल ने ईरान पर साइबर अटैक किया है, जिससे इनपुट मिल सके और फिर उसी हिसाब ने नई रणनीति बनाई जा सके. इजराइल ने रूस-चीन औऱ नॉर्थ कोरिया में मोसाद के एजेंट एक्टिव कर दिए हैं, जबकि ईरान में वो पहले ही अपने जासूसों से खुफिया जानकारी निकाल रहा है. लगातार परमाणु ठिकानों पर नजर रखी जा रही है.

ईरान का यूरेनियम सुरक्षित है. परमाणु कार्यक्रम दोबारा शुरू हो गया है, जबकि अमेरिका दावा कर रहा है. उसने परमाणु ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था. अमेरिका के मुताबिक, नतांज में फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट को नुकसान पहुंचाया और 1700 एडवांस सेंट्रीफ्यूज तबाह कर दिए, जबकि फोर्दो तक पहुंचने वाली सड़क और मुख्य प्रवेश द्वार को पूरी तरह तबाह कर दिया था. अमेरिका के हमले में 2 बड़े गड्ढे हो गए थे. इस्फहान में बाहरी स्ट्रक्चर पूरी तरह तबाह करने का दावा पेंटागन ने किया है. हमले में सेंट्रल केमिकल लैब को भी नुकसान पहुंचा है.

अराक में बाहरी इमारत को नुकसान पहुंचा. हेवी वाटर रिएक्टर पूरी तरह तबाह हो गया, जबकि बुशहर में पावर लाइन पूरी तरह ध्वस्त हो गई. सेंट्रीफ्यूज रूटर्स को नुकसान पहुंचाने का दावा अमेरिका की तरफ से किया गया है. इसमें अमेरिका बॉम्बर्स से बंकर बस्टर बम गिराने हैं और फारस की खाड़ी में बहरीन के पास सबमरीन से टॉमहॉक मिससाइल से हमले दिखाने हैं. कि कितना नुकसान हुआ.

ईरान का परमाणु कार्यक्रम पिछड़ा

ईरान ने वो तमाम परमाणु ठिकाने ठीक करा लिए हैं, जहां अमेरिका ने हमले किए थे. इस बीच अमेरिका ने कहा था कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम से 2 साल पीछे चला गया है. अब ईरान किसी दूसरी जगह इसे शुरू कर सकता है. अगर ईरान ने संवर्धन बम बनाने के लिए किया, तो अमेरिका फिर हमला करेगा, लेकिन अमेरिका और इजराइल को ये समझना होगा कि ईरान फिर से उन्हीं ठिकानों का इस्तेमाल करेगा, फिर किसी सीक्रेट जगह परमाणु कार्यक्रम चलाएगा. वैसे ईरान ने बड़ी चाल चली है. परमाणु ठिकानों की मरम्मत कराना एक झांसा भी हो सकता है. इस बीच वो परमाणु बम किसी दूसरे देश में बना रहा है. इसी का अंदेशा अमेरिका जता रहा है.

पेंटागन की खुफिया एजेंसी और इजराइल की शिनबेट इस काम में जुटी हैं कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम का सुराग मिले. अगर लोकेशन मिल जाती है, तो अमेरिका हमले करने में देर नहीं करेगा क्योंकि बंकर बस्टर बम और टॉमहॉक मिसाइलों की खेप पहले ही इजराइल पहुंचाई जा चुकी है. इस बीच अमेरिका के सैन्य ठिकाने अलर्ट मोड पर हैं. जबकि इजराइल ने तैयारी कर ली है कि ईरान में उसके एजेंट हमला करेंगे. उसी दौरान इजराइल और अमेरिका संयुक्त रूप से ऑपरेशन शुरू करके ईरान को हमेशा के लिए परमाणु विहीन कर सकते हैं. ईरान की एटमी साइट से पहले भी अमेरिका टॉमहॉक मिसाइल का इस्तेमाल कर चुका है.

अमेरिका ने कब-कब किया टॉमहॉक मिसाइल का इस्तेमाल?

  • सबसे पहले 1991 के खाड़ी युद्ध में अमेरिका ने 280 मिसाइलों का इस्तेमाल किया था.
  • 1998 में सूडान-अफगानिस्तान पर अमेरिका ने 100 से ज्यादा मिसाइलों का इस्तेमाल किया था.
  • 2003 में इराक युद्ध 100 से ज्यादा मिसाइलें अमेरिका ने दागी थीं.
  • 2011 में लीबिया में 50 से ज्यादा मिसाइलें इस्तेमाल की थीं.
  • 2017 में सीरिया में 59 मिसाइलों का इस्तेमाल किया था. अब फिर अमेरिका इसे ईरान पर दूसरी बार इस्तेमाल कर सकता है.

क्या मुस्लिम देशों का खलीफा बनेगा ईरान?

खामेनेई पूरा मन बना चुके हैं कि वो ईरान को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाकर रहेंगे. ये कदम उन्हें मुस्लिम देशों का खलीफा बना सकता है. यही वजह है कि इजराइल और अमेरिका खामेनेई का खात्मा करके ईरान का परमाणु कार्यक्रम बंद कराना चाहते हैं. इजराइल कभी भी हमला कर सकता है. इसके लिए अजरबैजान से मदद मांगी है.

इजराइल अजरबैजान के एयरस्पेस का इस्तेमाल करेगा. हांलाकि खतरा इस बात का भी है कि इजराइल को धोखा मिले क्योंकि पिछली बार गुप्त रूप से इराक, सऊदी अरब और अजरबैजान ने ईरान की मदद की थी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर अब युद्ध हुआ तो ये देश किसके साथ होंगे क्योंकि खामेनेई मुस्लिम ब्रदरहुड के नाम पर तमाम इस्लामिक देशों को साथ मिला रहे हैं, जिससे युद्ध धर्मयुद्ध में बदल जाए और अमेरिका-इजराइल से सारे देश ईरान के साथ आ जाएं. अगर ऐसा हुआ तो दुनिया में तीसरा विश्वयुद्ध होना तय है, जिसमें दो अलग-अलग खेमे बनेंगे और उसका एपिसेंटर अरब हो सकता है.


Spread the love