इस्राइल ने ईरान पर सटीक और घातक हमले में अपनी ताकत अजमा ली है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के हवाले से खबर है कि भीषण हमले के बाद भी इस्राइली रणनीतिकारों के दांत खट्टे हैं। ईरान के कोम शहर की पहाड़ियों में स्थिति फोर्डो परमाणु संयंत्र का बाल भी बांका न हुआ।

Spread the love

इस्राइल और अमेरिका दोनों परमाणु हथियार विहीन ईरान चाहते हैं। जबकि ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माइल वाघेई ने परमाणु अप्रसार संधि से दूरी बनाने के संकेत दे दिए हैं। सभी संकेत दोनों देशों युद्ध और भड़कने की तरफ ईशारा कर रहे हैं।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

ताजा घटनाक्रम में एक बदलाव और हुआ है। ईरान होने वाले इस्राइल हमले का जवाब देने की तैयारी कर रहा है और अमेरिका ने हिंद महासागरीय क्षेत्र में सुरक्षा और शांति के लिए तैनात रहने वाले अपने स्ट्राइकिंग युद्धपोत यूएसएस निमित्ज को मध्य-पूर्व एशिया की तरफ रवाना कर दिया है। माना जा रहा है कि बढ़ते तनाव के बाबत यह रणनीतिक निर्णय लिया गया है। यूएसएस निमित्ज दक्षिण चीन सागर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है और इसे विएतनाम में 20 जून को एक समारोह में हिस्सा लेना था। अब इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। यूएसएस निमित्ज की क्षेत्र में मौजूदगी रणनीतिक रूप से काफी अहम मानी जा रही है।

अस्तित्व का बढ़ गया झगड़ा
इस्राइल ने ईरान के कई शहरों, सामरिक ठिकानों, गैस क्षेत्र, परमाणु क्षेत्र पर घातक हमले किए। जवाब में ईरान ने भी तेल अवीव और अन्य स्थानों पर तबाही मचाई। सामरिक और रणनीतिक मामले के विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों में अब क्षेत्रीय स्तर पर बड़ा युद्ध भड़कने की संभावना बढ़ती जा रही है। एसके शर्मा का कहते हैं कि ईरान के प्रवक्ता एस्माइल वाघेई ने अपने देश के एनपीटी से दूरी बनाने के संकेत दे दिए हैं। वाघेई कह रहे हैं कि उनका देश सामूहिक विनाश के हथियारों के निर्माण का विरोधी है, लेकिन वह एनपीटी के बोझ को और सहन नहीं कर सकते। शर्मा का कहना है कि ईरान के लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं है, लेकिन यह सीधे तौर पर बड़ी चुनौती भी है।

वायुसेना के पूर्व एयर वाइस मार्शल एनबी सिंह कहते हैं कि ईरान और इस्राइल के बीच अस्तित्व के लिए संघर्ष शुरू हो चुका है। अगर इसे रोका न गया तो बड़े पैमाने पर लड़ाई छिड़नी तय है। एयर वाइस मार्शल कहते हैं ईरान के पास परमाणु हथियार होने का मतलब अमेरिका और इस्राइल को पता है। ईरान के पास पहले परमाणु हथियार ले जाने में संपन्न मिसाइल है। उसका पहला दुश्मन इस्राइल और दूसरा अमेरिका है। राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतेन्याहू किसी भी कीमत पर इसे नहीं चाहेंगे, जबकि ईरान अपने अस्तित्व के लिए हर कीमत पर परमाणु हथियार संपन्न होना चाहेगा।

कितना अभेद्य है ईरान का मुख्य परमाणु संयंत्र?
अमेरिका, फ्रांस समेत कुछ देशों की खुफिया एजेंसियों ने 2010-11 में ईरान के परमाणु संयंत्र को लेकर सूचना दी थी। इसके मुताबिक ईरान ने तेहरान से कोई 100 किमी और कोम शहर से 20 मील दूर पहाडिंयों में परमाणु संयंत्र स्थापित किया है। इसे फोर्डेबल परमाणु संवर्धन संयंत्र के रूप में जाना जाता है। यहां ईरान यूरेनियम का शोधन, संवर्धन करता है। ऐसा माना जाता है कि इस साइट को नेस्तनाबूत करने में इस्राइल नाको चना चबा रहा है। उसे अमेरिकी सहायतका की आवश्यकता है। कहा जाता है कि ईरान के पास इस तरह के दो संयंत्र हैं। जिन्हें भेद पाना आसान नहीं है। रक्षा और सामरिक मामलों के जानकार कहते हैं कि यह ईरान का अभेद्य परमाणु किला है। ईरान की कोशिश है कि वह समय रहते यूरेनियम का शोधन, संवर्धन करके परमाणु हथियार विकसित कर ले। ऐसा होने के बाद ईरान बहुत घातक और इस्राइल, अमेरिका के लिए हमेशा चुभने वाला नासूर बन जाएगा। इसलिए इस्राइल की कोशिश है कि ईरान के परमाणु हथियार के सपने को समय रहते चकनाचूर किया जाना जरूरी है। इसके लिए उसकी रणनीति अमेरिका के बी-2 बॉम्बर से 3000 पाऊंड के जीबीयू-57 बम के प्रयोग की भी हो सकती है। माना जाता है कि दुनिया में इससे हैवी कंक्रीट बस्टर बम दूसरा नहीं है।

परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) और ईरान
परमाणु अप्रसार संधि(नॉन प्रॉलीफरेशन ट्रीटी, एनपीटी-1970)। इस पर 187 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। जिन देशों ने संधि की है, वह कभी परमाणु हथियार नहीं बना सकते। भारत ने अभी इस पर दस्तखत नहीं किए हैं। उत्तर कोरिया ने भी इससे दूरी बना ली है। लेकिन जो देश इस पर हस्ताक्षर नहीं करते, वह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग (आईएईए, अंतरराष्ट्रीय वॉचडॉग) की निगरानी में अपने परमाणु संयंत्र को रखकर परमाणु ऊर्जा का शांति क्षेत्र में उपयोग कर सकते हैं। ईरान के प्रवक्ता ने कहा है कि उनका देश इस एनपीटी से दूर होने के लिए बिल की तैयारी कर रहा है। इसका अर्थ हुआ कि ईरान भी उत्तर कोरिया की तरह परमाणु हथियार विकसित करने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा। उसके ऊपर अंतरराष्ट्रीय बाध्यता समाप्त हो जाएगी। माना जाता है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर लेने के बिल्कुल करीब है।

क्या ईरान के लिए इतना आसान है परमाणु हथियार बना लेना?
एसके शर्मा कहते हैं कि ईरान के लिए परमाणु हथियार बना लेना, एनपीटी से दूरी बनाना आसान नहीं है। उसके ऊपर अमेरिका, इस्राइल, फ्रांस, यूरोपीय देशों का बड़ा दबाव है। ऐसा होते ही मामला सीधे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाएगा और अमेरिका समेत देश ईरान पर प्रतिबंध लगाने, दबाव बढ़ाने और उसे परमाणु परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए सैन्य शक्ति करे इस्तेमाल की मांग करने लगेंगे। इस दशा में रूस, चीन समेत तमाम देशों पर ईरान के साथ परमाणु उर्जा के क्षेत्र में संबंध न रखने, यूरेनियम आदि की आपूर्ति न करने का दबाव बढ़ जाएगा। एसके शर्मा कहते हैं कि आप इराक पर अमेरिकी हमला याद कीजिए। कैसे बहुराष्ट्रीय देशों ने इराक को निशाना बनाया और अंत तक इराक से कोई परमाणु हथियार का सूत्र तक बरामद नहीं हुआ।

इस्राइल की सुरक्षा और ईरान का घेरा बढ़ाने में अमेरिका ने क्या की है तैयारी?
यूएसएस निमित्ज स्ट्राइकिंग कोर फ्लीट कोई अकेली फ्लीट नहीं है जो मध्य-पूर्व में जा रही है। अमेरिकी लड़ाकू विमानों की पूरी एक फ्लीट आसमान में नजर बनाए है। इनकी नजर ईरान की हर गतिविधि पर है। अमेरिकी नौसेना ने यूएसएस थॉमस हडनर को पूर्वी हिस्से की ओर रवाना किया है। यह बैलिस्टिक मिसाइल के हमलो को रोकने में सक्षम है। 6 बी-2 बॉम्बर क्षेत्र में किसी भी आपरेशन के लिए तैयार हैं। यह अमेरिका का 3000 पाऊंड का हैवी बम्ब जीबीयू-57 और परमाणु हथियार से हमला करने में सक्षम है। इसके अलावा एशिया में तैनात कई अमेरिका वायु रक्षा प्रणालियों को भी क्षेत्र में तैनात किया गया है। इस क्षेत्र में उसके दो पोत पहले से तैनात हैं। डिएगो गार्सिया में अमेरिका कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। यहां एफ-35 लाइटेनिंग समेत उसकी अग्रिम श्रेणी के लड़ाकू विमान, युद्धपोत पहले से ही तैनात हैं।


Spread the love