
जिन्हें कोई Bar Stool तो कोई किसी कॉलेज की कैंटीन की कुर्सी बता रहा है लेकिन सबके अनुमान गलत हैं क्योंकि ये 30 से 40 हजार फीट पर उड़ने वाले हवाई जहाज की सीट है.


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह
फ्लाइट में अजूबा! टिकट के पैसे भी कम चुकाने होंगे
इस सीट को Skyrider 2.0 नाम दिया गया है और सुरक्षा मापदंडों पर सही मानते हुए पास कर दिया गया है. संभव है कि अगले साल से जब आप हवाई जहाज में सफर करेंगे तो आपको इतनी छोटी सीट पर ही बैठना पड़े. हो सकता है आपके कंधे आपकी सहयात्री से टकराएं. लेकिन 2 घंटे का सफर आप ऐसे ही पूरा करेंगे. अधिकतम दो घंटे के सफर में ऐसी सीट का इस्तेमाल किया जाएगा. अच्छी बात ये है कि आप ऐसी मुश्किल सीट पर बैठेंगे तो आपको टिकट के पैसे भी कम चुकाने होंगे.
20 फीसदी पैंसेजर बढ़ जाएंगे
अब सवाल ये है कि इस सीट की जरूरत क्यों हुई और इसके क्या फायदे हैं. कंपनी का दावा है कि इस छोटी सीट की वजह से हवाई जहाज में सीटों की संख्या 20 फीसदी तक बढ़ जाएगी. बजट एयरलाइंस के अभी बैठने वाली सीटों की तुलना में Skyrider 2.0 सीट का वजन 50 फीसदी कम है. वजन घटने से एयरलाइंस कंपनियों का फ्यूल पर खर्चा कम हो जाएगा. अभी एयरलाइंस कंपनियों का 28 से लेकर 32 फीसदी तक पैसा फ्यूल पर ही खर्च होता है. हवाई जहाज के फ्यूल बेहद प्रीमियम किस्म के होते हैं जिसे ATF यानी एविएशन टर्बाइन फ्यूल कहा जाता है.
एयरलाइंस का इतिहास और सतत विकास
एयरलाइंस में सफर करने वाले लोगों की संख्या हर साल बढ़ रही है. साल 1980 में केवल 60 करोड़ लोगों ने हवाई सफर किया था. समय बदला तो बजट एयरलाइंस का दौर शुरू हुआ. 2010 में करीब 270 करोड़ लोगों ने हवाई सफर किया था. अभी हर साल करीब 500 करोड़ लोग हवाई सफर करते हैं. यानी 45 वर्षों में हवाई सफर करने वाले लोगों की संख्या में 8 गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है. बीते 2 दशक में दुनिया भर में 200 से ज्यादा एयरलाइंस बंद चुके हैं. भारत में भी 20 से ज्यादा अलग-अलग एयरलाइंस बंद हो चुके हैं. ऐसे में एयरलाइंस कंपनियां अपने कॉस्ट को कम करने के लिए अलग-अलग उपाय करती है.
बदलाव की कहानी
