
धार्मिक मान्यताओं अनुसार बाल गोपाल के जन्म के समय भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था। इसलिए हर साल इस तिथि पर भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस साल ये शुभ पर्व 16 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जा रहा है। इस शुभ दिन पर भक्तजन भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा करते हैं। चलिए जानते हैं जन्माष्टमी की पूजा की सही विधि क्या है।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)


कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि (Janmashtami Puja Vidhi)
- पूजा स्थान को साफ करके सजाएं।
- घर के मंदिर के पास ही एक छोटी चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर बाल गोपाल की मूर्ति या श्रीकृष्ण भगवान की तस्वीर स्थापित करें।
- इसके बाद आसन पर बैठकर दाहिने हाथ में पानी, फूल, अक्षत लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें कि “मैं आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करूंगा/करूंगी और व्रत का पालन करूंगा/करूंगी।”
- फिर भगवान की मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से स्नान कराएं। अगर मूर्ति नहीं है तो आप पंचामृत भगवान की प्रतिमा के समक्ष रख दें।
- इसके बाद मूर्ति को साफ पानी से धोकर, नए वस्त्र पहनाएं।
- भगवान की प्रतिमा को चंदन, फूल, माला, नए वस्त्र और आभूषण से सजाएं।
- उन्हें माखन-मिश्री, फल, खीर, मिठाई अर्पित करें।
- श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल जरूर करें।
- श्रीकृष्ण की आरती करें।
- सुबह की पूजा के बाद रात की पूजा की तैयारी करें।
- रात्रि में ठीक 12 बजे बाल गोपाल का फिर से अभिषेक करें उन्हें भोग अर्पित करें और आरती करें।
- रात में भगवान को झूला जरूर झुलाएं। इस समय शंख और घंटी बजाकर धूमधाम से भगवान का जन्मोत्सव मनाएं।
- इसके बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
- जन्माष्टमी की पूजा के समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप जरूर करना चाहिए।
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा का मुहूर्त 2025 (Krishna Janmashtami Puja Muhurat 2025)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12:04 से 12:47 तक रहेगा। इसके अलावा इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेंगे…
- ब्रह्म मुहूर्त 04:24 ए एम से 05:07 ए एम
- प्रातः सन्ध्या 04:46 ए एम से 05:51 ए एम
- अभिजित मुहूर्त 11:59 ए एम से 12:51 पी एम
- विजय मुहूर्त 02:37 पी एम से 03:29 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त 06:59 पी एम से 07:21 पी एम
- सायाह्न सन्ध्या 06:59 पी एम से 08:05 पी एम

जन्माष्टमी की आरती
श्री कृष्ण भगवान की आरती (Krishna Ji Ki Aarti)
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जन्माष्टमी पर छप्पन भोग का महत्व (Janmashtami 56 Bhog Mahatva)
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने का विशेष महत्व माना जाता है। इस भोग में नमकीन, मीठा, चावल, दाल,पापड़, मिठाई, ड्राई फ्रूट्स, फल, मिष्ठान, पेय, पराठा, खीर, लड्डू आदि जैसे सभी प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं, जिससे यह सम्पूर्ण अर्पण का प्रतीक बनता है।
बांके बिहारी मंदिर में कब है जन्माष्टमी
रुद्रपुर उधम सिंह नगर उत्तराखंड एवं श्रीबांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी का पावन पर्व 16 अगस्त को आज मनाया जाएगा। रात 12 बजे भगवान का अभिषेक किया जाएगा फिर मंगला आरती होगी

