पैदल और साइकिल से न्यायालय पहुँचे न्यायाधीश – पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

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रुद्रपुर, 12 अगस्त 2025।
माननीय उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल के दिशा-निर्देश एवं जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उधम सिंह नगर श्री सिकंद कुमार त्यागी के नेतृत्व में मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर न्यायिक अधिकारियों व कर्मचारियों ने अनोखी मिसाल पेश की।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)
इस अवसर पर सभी न्यायाधीशगण व कर्मचारीगण अपने-अपने आवास से पैदल या साइकिल से जिला न्यायालय पहुँचे। इसका उद्देश्य था— वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को कम करना, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और स्वस्थ जीवन की प्रेरणा देना।

जिला न्यायाधीश ने न्यायालय परिसर में पौधारोपण करते हुए युवाओं और आम जनता से अपील की—
“यदि हम पैदल चलने और साइकिल के प्रयोग को जीवनशैली का हिस्सा बना लें, तो कार्बन उत्सर्जन घटेगा और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।”
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर सभी को संकल्प लेना चाहिए कि हम प्रदूषण घटाने और पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से एक बेहतर राष्ट्र और उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेंगे।

कार्यक्रम में अध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन दिवाकर पाण्डे, सचिव सर्वेस कुमार सिंह, प्रधान परिवार न्यायाधीश मीना देउपा, द्वितीय अपर जिला जज जयेन्द्र सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गुंजन सिंह, सिविल जज (सीनियर डिविजन) हेमंत सिंह, अश्विनी गौड़ (अपर जिला जज पोक्सो), इन्दु शर्मा, नीरज कुमार, शमा परवीन, रिजवान अंसारी, शम्भूनाथ सेठवाल सहित अधिवक्ता एवं न्यायिक अधिकारीगण उपस्थित रहे।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव योगेंद्र कुमार सागर ने इस वर्ष की थीम “सतत विकास लक्ष्य एवं उससे आगे के लिए स्थानीय युवा कार्य” को रेखांकित करते हुए कहा—
“युवा दिवस का उद्देश्य है बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी चुनौतियों पर जागरूकता बढ़ाना, युवाओं की भूमिका को समाज और शांति निर्माण में मजबूत करना, और उन्हें अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना।”

— संपादकीय दृष्टि से
आज जब प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अस्वस्थ जीवनशैली हमारी सबसे बड़ी चुनौतियाँ बन चुकी हैं, तब न्यायपालिका का यह कदम एक प्रेरणादायक संदेश है। यह केवल पर्यावरण संरक्षण का ही नहीं, बल्कि सामाजिक नेतृत्व का भी उदाहरण है—जहाँ कथन नहीं, कर्म बोलते हैं।




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