जारी नोटिस में पूरे 52 मामलों की लिस्ट दी गई है, जिसमें सिविल रिट याचिकाएं भी शामिल हैं।


शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता
जस्टिस यशवंत वर्मा 14 मार्च को आग लगने के दौरान नई दिल्ली लुटियंस स्थित अपने घर से कैश पाए जाने के बाद विवादों में घिरे हुए थे। उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपये के अधजले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। उसके बाद सवाल उठने लगे कि एक जस्टिस के घर में इतना कैश कहां से आया। आरोपों के बाद जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया गया था।
फिलहाल जस्टिस वर्मा के खिलाफ तीन जजों की समिति आंतरिक जांच कर रही है। हालांकि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के निर्देशों के बाद उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है।
आखिर क्यों फिर से नए सिरे से होगी इन 52 मामलों की सुनवाई?
हाई कोर्ट द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है, ”सभी संबंधितों की जानकारी के लिए यह अधिसूचित किया जाता है कि जो मामले माननीय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और माननीय न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध थे, जिनमें सुनवाई की अगली तारीख दी गई है, लेकिन उनमें कोई आदेश नहीं निकाला गया है, उन्हें पहले से दी गई संबंधित तारीखों पर रोस्टर बेंच के समक्ष नए सिरे से सूचीबद्ध और सुना जाएगा।”
नोटिस में 52 ऐसे मामलों की लिस्ट दी गई है, जिनमें सिविल रिट याचिकाएं भी शामिल हैं। ये मामले 2013 से 2025 तक के हैं। इनमें इनमें प्रॉपर्टी टैक्स से संबंधित एनडीएमसी (NDMC) अधिनियम के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कम से कम 22 याचिकाएं शामिल हैं।
असल में जस्टिस यशवंत वर्मा से 23 मार्च 2025 को न्यायिक कार्यभार वापस ले लिए गए थे। इसके बाद से ही इन मामलों को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय के सामने पेश किया जा रहा है। वकील इसपर लगातार आगे की कार्रवाई के लिए निर्देश मांग रहे थे। जिसके बाद डी. के उपाध्याय ने वकीलों को सुझाव दिया था कि ये आवेदन वो उनके निजी सचिव या अदालत के रजिस्ट्रार जनरल दें। जिसके बाद उनकी शिकायत पर विचार किया गया और नोटिफिकेशन जारी किया गया।
Justice Yashwant Varma Case Timeline: जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड की पूरी टाइमलाइन
14 मार्च 2025: जस्टिस यशवंक वर्मा के नई दिल्ली लुटियंस स्थित सरकारी आवास पर 14 मार्च 2025 को होली की रात करीब 11.35 बजे आग लगने की सूचना दिल्ली के अग्निशमन विभाग को मिली। जिसके बाद कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाई थी। इस दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे।
21 मार्च 2025: मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से 15 करोड़ रुपये कैश बरामद किए गए हैं। जिसमें 500 रुपये के अधजले नोट थे। इसी दिन दिल्ली फायर सर्विस चीफ अतुल गर्ग ने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि उनकी टीम को आग बुझाने के दौरान जज के घर से कैश नहीं मिले हैं।
22 मार्च 2025: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया। साथ ही बयान जारी किया कि कैश कांड का इस ट्रांसफर से कोई लेना-देना नहीं है। इसी दिन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए तीन जजों की समिति बनाई। जजों की टीम में इसमें जस्टिस शील नागू (पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस), जी एस संधावालिया (हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस) और कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।
23 मार्च 2025: सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर आंतरिक जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई। जिसमें जले हुए नोटों की तीनें तस्वीरें भी थीं। रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा के हवाले से कहा गया था कि उन्होंने आरोपों से इनकार कर दिया है और कहा है कि ये उन्हें फंसाने की साजिश है। इसी दिन जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्यभार वापस ले लिए गए थे।

