
इस साल 5 जून 2025 को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।


गंगा दशहरा के दिन देवी गंगा की पूजा की जाती है। साथ ही गंगा नदी में स्नान और जरूरतमंद लोगों को दान देना शुभ माना जाता है। आज हम आपको देवी गंगा की उत्पत्ति की कथा और गंगा दशहरा से जुड़ी रोचक धार्मिक बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
कैसे हुई देवी गंगा की उत्पत्ति?
देवी गंगा के जन्म को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। वामन पुराण के अनुसार, देवी गंगा का जन्म जगत के पालनहार भगवान विष्णु के चरणों से हुआ था। जब विष्णु जी ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा था, तो उन्होंने अपने विराट रूप में दो पग में ही सारा ब्रह्मांड नाप लिया था। जबकि तीसरा चरण राजा बलि के सिर पर रखा था, जिसके कारण वो पाताल लोक में चले गए और विष्णु जी ने उन्हें वहां का राजा बना दिया।
इस दौरान विष्णु जी के पैर से जल निकला था, जिसे ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल में भर लिया था। कहा जाता है कि उसी जल के तेज से गंगा जी का जन्म हुआ। एक अन्य कथा के अनुसार, देवी गंगा को राजा हिमवान और मैना की पुत्री भी माना जाता है।
देवी गंगा का वाहन क्या है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर यानी मगरमच्छ को देवी गंगा का वाहन माना जाता है। मगरमच्छ को जलीय प्राणियों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है, जो जल और जीवन का प्रतीक है। मगरमच्छ का देवी गंगा का वाहन होना उनकी जल से जुड़ी पवित्रता और महत्व को दर्शाता है।
देवी गंगा और गंगा नदी में क्या अंतर है?
देवी गंगा एक हिंदू देवी हैं, जिनकी पूजा गंगा नदी के रूप में होती है। देवी गंगा को पवित्रता, शुद्धि और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। जबकि गंगा नदी एक भौतिक (दिखाई देने वाली) नदी है, जो हिमालय से निकलकर भारत और बांग्लादेश में बहती है। इस नदी के जल को पवित्र और शुद्ध माना जाता है।
गंगा दशहरा का महत्व
गंगा दशहरा एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी गंगा और गंगा नदी की पवित्रता और महत्व को दर्शाता है। गंगा दशहरा पर नदी गंगा के जल में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

