कश्यप ऋषि को सृष्टि के रचनाकारों में से एक माना जाता है। दक्ष प्रजापति की पुत्रियां विनता और कद्रू, दोनों ने कश्यप ऋषि से विवाह किया था। विनता के दो पुत्र हुए अरुण सूर्य के सारथी बने और गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन बने।

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वहीं, कद्रू को सभी नागों की माता माना जाता है। उन्होंने नाग वंश को आगे बढ़ाया।

कद्रू के पुत्रों में वासुकि, शेषनाग तक्षक, अनंत, कंवल, कालिया, कर्कोटक, पद्मा, असावतार, महापद्म, शंख जैसे नाग देव शामिल थे। मगर, कद्रू का स्वभाव जलन और ईर्ष्या से भरा था। एक बार छल से उन्होंने अपनी बहन विनता को अपनी दासी बना लिया था। तब गरुण ने उन्हें दासत्व से मुक्त कराया था। आइए जानते हैं यह रोचक कहानी…

गरुड़ की माता विनता, कद्रू की सौतली बहन थीं। एक बार कद्रू और विनता ने एक शर्त लगाई थी कि किसके घोड़े के पूंछ का रंग क्या होगा। कद्रू ने अपने नागों को घोड़े की पूंछ में छिपने के लिए कहा, जिससे विनता हार गई और कद्रू की दासी बन गई।

स्वर्ग से लेकर आए अमृत कलश

गरुड़ ने अपनी माता को दासता से मुक्त कराने का संकल्प लिया। उन्होंने कद्रू से पूछा कि दासत्व से मां की मुक्ति के लिए उन्हें क्या करना होगा। तब कद्रू ने कहा कि यदि वह स्वर्ग से अमृत लेकर आएगा, तो उसकी माता को दासता से मुक्ति मिलेगी।

इसके बाद गरुड़ ने देवताओं को पराजित करके अमृत कलश प्राप्त कर लिया। जब वह अमृत कलश लेकर लौट रहे थे, तब मार्ग में भगवान विष्णु ने प्रकट होकर पूछा कि इस कलश को लेकर कहां जा रहे हो?

गरुड़ ने कहा कि मैंने अपनी सौतेली मां को वचन दिया है कि मैं उन्हें अमृत लाकर दूंगा। ये उनकी संपत्ति है। मैं यह कलश उन्हें देने जा रहा हूं।

भगवान विष्णु हुए गरुड़ पर प्रसन्न

तब भगवान विष्णु ने कहा कि यदि तुम इसे पी लो, तो अमर हो जाओगे। फिर तुम कुछ भी कर सकते हो। गरुड़ बोले कि इस समय यह मेरी सौतेली मां की संपत्ति है। यह मेरी मां को दासत्व से मुक्त कराने की वस्तु है।

इसलिए मैंने इसे देवताओं से जीता है, लेकिन इस पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। भले ही यह अमृत है, लेकिन मैं इसका पान नहीं कर सकता। उन्होंने वह अमृत कलश कद्रू को सौंपा। इस तरह से उन्होंने खुद को और अपनी मां को दासत्व से मुक्त कराया।

अमृत पान से भी ज्यादा मिला फल

गरुड़ देव की यह बात सुनकर भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि तुम्हारी ईमानदारी और निष्ठा का मैं सम्मान करता हूं। तुम्हें बहुत ऊंचा स्थान मिलेगा और तुम बिना अमृत के भी अमर हो जाओगे। इसके बाद उन्होंने गरुड़ को अपना वाहन बना लिया।

1. अमरता का प्रतीक: नाग को अमरता का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि वे अपनी त्वचा यानी केंचुली उतारकर खुद को नया जीवन देते हैं। यह पुनर्जन्म और नवजीवन का सूचक है।

2. पाताल लोक के निवासी: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पाताल लोक में निवास करते हैं और उनके राजा शेषनाग हैं।

3. नाग और भगवान शिव: नागों का सबसे गहरा संबंध भगवान शिव से है। वे हमेशा उनके गले में हार के रूप में विराजमान रहते हैं, जिसे वासुकी नाग कहा जाता है। यह शक्ति और नियंत्रण का प्रतीक है।

4. नाग और भगवान विष्णु: भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग के ऊपर ही विराजमान रहते हैं। शेषनाग को ही अनंत कहा गया है।

5. कृष्णा और कालिया नाग: पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने यमुना नदी से कालिया नाग को बाहर निकाला था और उसके फन पर नृत्य किया था।

6. नागों का निवास: माना जाता है कि नाग धरती के अंदर रहते हैं और वे पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

7. नाग पंचमी का महत्व: नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से सर्प दंश का भय दूर होता है और राहु-केतु के अशुभ प्रभाव भी कम होते हैं।

8. नाग कुल: हिंदू धर्म में नागों के 12 कुल या प्रकार बताए गए हैं, जिनमें वासुकि, शेष, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलिर, कर्कोटक, शंखपाल, शंखचूड़, धृतराष्ट्र, कालिया और पिंगल प्रमुख हैं।

9. नाग और जल: नागों का संबंध जल से माना जाता है। इसलिए नाग पंचमी पर अक्सर उन्हें दूध और जल चढ़ाया जाता है तथा उनके प्रसिद्ध मंत्र: ‘ॐ नमो भगवते वासुकिनाथाय’ का जाप नागपंचमी पर फलदायक होता है।

10. नाग देवता की पूजा का कारण: मान्यता है कि नागों को देवता मानकर पूजा करने से वे खेतों और घर की रक्षा करते हैं।

11. मंदिरों में नाग देवता: कई मंदिरों में नाग देवता की प्रतिमाएं स्थापित हैं। अक्सर शिव मंदिरों में भी नाग देवता की प्रतिमाएं मिलती हैं।

12. नागों का दूध पीना: नागों को दूध पिलाने की परंपरा है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए उन्हें दूध की जगह जल अर्पित करना चाहिए।

13. नाग और इंद्र देव: नागों की पूजा का संबंध वर्षा से भी है। ऐसा माना जाता है कि इंद्र देव की कृपा से बारिश होती है और नागों का पूजन भी अच्छी बारिश के लिए किया जाता है।

14. नागों की सुरक्षा: भारतीय संस्कृति में नागों को मारने की मनाही है। उन्हें ‘किसान का मित्र’ माना जाता है, क्योंकि वे चूहों और अन्य कीड़ों को खाकर फसलों की रक्षा करते हैं।

15. नाग और ज्योतिष: ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को नागों के रूप में देखा जाता है। राहु को नाग का सिर और केतु को नाग की पूंछ माना जाता है।

16. पितृ दोष से संबंध: नागों को पितरों का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए नाग पूजा से पितृ दोष भी दूर होता है।

17. मन्नत पूरी करने वाले नाग: कुछ स्थानों पर नागों को मन्नत पूरी करने वाला देवता भी माना जाता है।

18. नागों का ज्ञान: पुराणों के अनुसार, नागों के पास ज्ञान का भंडार है। शेषनाग ने ही अपनी जीभ पर पूरी पृथ्वी को धारण किया हुआ है।

19. मानव और नाग का संबंध: कई लोककथाओं में नागों और मनुष्यों के बीच मित्रता के किस्से मिलते हैं।

20. नाग पूजा का वैज्ञानिक महत्व: नागों की पूजा करने से सांपों के प्रति जागरूकता बढ़ती है और लोग उन्हें मारना बंद कर देते हैं, जिससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है।


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