केदारनाथ ट्रेक रूट: उत्तराखंड राज्य रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. हालांकि, केदारनाथ तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन 16 किलोमीटर लंबी ट्रैकिंग यात्रा करनी पड़ती है, जो न केवल शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह यात्रा पूरी श्रद्धा और भक्ति से भरी होती है.

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2 मई से केदारनाथ के कपाट खोल दिए गए हैं और अब यह यात्रा फिर से श्रद्धालुओं के लिए खुल चुकी है.

केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने का रास्ता केवल पैदल यात्रा के रूप में उपलब्ध है. ऋषिकेश और हरिद्वार से यात्रा की शुरुआत करते हुए, श्रद्धालु गुप्तकाशी, सोनप्रयाग, और गौरीकुंड होते हुए ट्रैक की शुरुआत करते हैं. गौरीकुंड से 16 किलोमीटर लंबी ट्रेकिंग यात्रा शुरू होती है, जो एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है. यह ट्रैक जंगलों, पहाड़ों और कठिन रास्तों से होकर गुजरता है, जिससे श्रद्धालुओं का साहस और श्रद्धा दोनों की परीक्षा होती है.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

गौरीकुंड से यात्रा की शुरुआत

केदारनाथ यात्रा की शुरुआत गौरीकुंड से होती है, जो एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. यहाँ से 16 किलोमीटर की ट्रेकिंग यात्रा शुरू होती है, जो लगभग 6 से 8 घंटे तक की लंबी यात्रा होती है. इस यात्रा में कई छोटे बड़े स्टॉप्स आते हैं, जैसे जंगल चट्टी, भीमबाली, लिनचौली, और अंत में केदारनाथ बेस कैंप. इन स्टॉप्स के बाद श्रद्धालु केदारनाथ मंदिर के करीब पहुँचते हैं, जहाँ उन्हें दिव्य दर्शन का लाभ मिलता है.

केदारनाथ ट्रेक का मार्ग

इस यात्रा का मार्ग कठिन और चुनौतीपूर्ण है, लेकिन प्रत्येक किलोमीटर पर प्रकृति का सुंदर दृश्य और आध्यात्मिक ऊर्जा श्रद्धालुओं को प्रेरित करती है. यात्रा में प्रमुख स्टॉप्स में शामिल हैं:

  • गौरीकुंड से जंगल चट्टी (6 किलोमीटर)

  • जंगल चट्टी से भीमबाली (4 किलोमीटर)

  • भीमबाली से लिनचौली (3 किलोमीटर)

  • लिनचौली से केदारनाथ बेस कैंप (4 किलोमीटर)

  • केदारनाथ बेस कैंप से केदारनाथ मंदिर (1 किलोमीटर)

ट्रेकिंग की कठिनाई और उपलब्ध सेवाएं

केदारनाथ ट्रेक को मध्यम से कठिन श्रेणी में रखा जाता है. इस ट्रेक को पूरा करने में आमतौर पर 6 से 8 घंटे का समय लगता है. जो लोग पैदल यात्रा करने में असमर्थ हैं, उनके लिए घोड़ा या खच्चर सेवा उपलब्ध है, जिसकी कीमत ₹2500 से ₹4000 के बीच होती है. इसके अलावा, विशेष रूप से बुजुर्गों और असमर्थ श्रद्धालुओं के लिए पालकी सेवा भी उपलब्ध है.

यदि आप हेलिकॉप्टर सेवा का उपयोग करना चाहते हैं, तो गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी से हेलिकॉप्टर बुकिंग की सुविधा भी प्रदान की जाती है. इस सेवा का ऑनलाइन बुकिंग अनिवार्य होता है.


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