
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की खबर का असर,यह कार्रवाई हाल ही में राजस्थान मध्य प्रदेश में खांसी की दवा के सेवन से बच्चों की मौत के मामलों के बाद शुरू की गई है. सरकार ने इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मामला मानते हुए तुरंत कदम उठाए हैं.

देहरादून के कई क्षेत्रों में चेकिंग
देहरादून में अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी की अगुवाई में जोगीवाला, मोहकमपुर समेत कई क्षेत्रों में दवा दुकानों की जांच की गई. उन्होंने बताया कि एफडीए की टीमें प्रदेशभर में सक्रिय हैं किसी भी स्तर पर दोष पाए जाने पर संबंधित कंपनी या विक्रेता के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश जारी
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश दिए हैं कि केंद्र सरकार की एडवाइजरी का तत्काल पालन किया जाए. उन्होंने कहा कि औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से कफ सीरप के नमूने लेकर प्रयोगशाला जांच करवाएं. ऐसा करने पर किसी भी हानिकारक दवा को बाजार से हटाया जा सके. साथ ही उन्होंने सभी डॉक्टरों से अपील की कि वे बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सीरप न लिखें.
क्या बोले सीएम धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा जनता के स्वास्थ्य से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी का पूरी गंभीरता से पालन कर रही है.
ये है केंद्र सरकार की एडवाइजरी
केंद्र सरकार की एडवाइजरी के अनुसार, दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए. पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग अनुशंसित नहीं है. सरकार ने विशेष रूप से डेक्ट्रोमेथोर्फन युक्त सीरप क्लोरफेनिरामाइन मेलेट व फिनाइलेफ्राइन हाइड्रोक्लोराइड वाले संयोजन की दवाओं को चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया है.
पुलिस ने कफ सिरप लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया है। दवा में मिला जहर, Coldrif कफ सीरप पर मध्यप्रदेश में भी लगा बैन
कफ सीरप बनाने वाली कंपनी के संचालकों के साथ ही दवा लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ छिंदवाड़ा के परासिया थाने में ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक एक्ट की धारा 27(A), बीएनएस की धारा 105 और 276 के तहत केस दर्ज किया गया है। इसके बाद डॉक्टर सोनी की गिरफ्तारी भी हो गई।
जान बचाने वाली दवा क्यों बनी जहर : तमिलनाडु सरकार द्वारा कराई गई जांच में पता चला कि कोल्ड्रिफ सिरप के बैच SR-13 में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल मिला हुआ है। यह निर्धारित सीमा 0.1 प्रतिशत से काफी अधिक है। वहां तुरंत अलर्ट जारी हुआ, उत्पादन रोका गया और रिटेल और थोक स्टॉक को सीज किया गया। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसका सीधा असर पेट पर पड़ता है। किडनी में क्रिस्टल बनने से किडनी फैल होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
इन राज्यों में बैन हुई कोल्ड्रिफ : कोल्ड्रिफ में डायएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा ज्यादा होने की पुष्टि होने के बाद मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान में इसकी ब्रिकी रोक दी गई। इसके बाद केरल, दिल्ली और झारखंड में भी इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब, बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी इस मामले में सतर्कता बरती जा रही है।
बच्चों के लिए जरूरी नहीं है कफ सीरप : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डीजीएचएस (DGHS) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ज्यादातर बच्चों में खांसी-जुकाम अपने आप ठीक हो जाते हैं और इसके लिए दवा की जरूरत नहीं होती।
स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी में कहा गया कि माता-पिता खास इस बात का ध्यान रखें कि अगर बच्चा 2 साल से कम है तो उसे खांसी-जुकाम की दवा बिलकुल न दी जाए। इसके लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। वहीं 5 साल से छोटे बच्चों को भी ये दवाएं आमतौर पर नहीं दी जाती है। 5 साल से ऊपर के बच्चों को दवा तभी दी जाए जब डॉक्टर क्लिनिकल जांच करके जरूरी समझें।कफ सिरप को लेकर केंद्र सरकार हुई सख्त, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी, कई बच्चों की हुई मौत
एक्शन में केंद्र सरकार : कफ सीरप मामले में आज स्वास्थ्य मंत्रालय की बड़ी बैठक। वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बैठक में सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और ड्रग कंट्रोलर शामिल होंगे। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने भी मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से मौत की खबरों के बाद 6 राज्यों में कफ सीरप और एंटीबायोटिक दवाएं बनाने वाली 19 कंपनियों के प्लांट में 3 अक्टूबर से निरीक्षण शुरू किया है।


