
अगर वह योद्धा महाभारत में हिस्सा लेता तो वह सिर्फ 1 दिन में और सिर्फ 1 बाण से पूरा युद्ध खत्म कर देता। जी हां, शास्त्रों के अनुसार इस योद्धा के सिर्फ 3 बाण ही पूरे ब्रह्मांड को खत्म करने में सक्षम थे। फिर ऐसा क्या था? कि इस योद्धा ने युद्ध में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन उसने पूरा युद्ध अपनी आंखों से देखा। आखिर वह योद्धा कौन था।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
वह योद्धा कौन था?
उस योद्धा का नाम वीर बर्बरीक था, जो घटोत्कच और अहिलवती का सबसे बड़ा पुत्र और पराक्रमी भीम का पौत्र था। महाभारत ग्रंथ के अनुसार घटोत्कच भीम और हिडिम्बा का पुत्र था। इसी वजह से बर्बरीक भीम का पौत्र हुआ। बर्बरीक की मां ने उन्हें हमेशा हारने वाले का साथ देने की शिक्षा दी थी। यही वजह थी कि बर्बरीक हमेशा हारने वाले का ही साथ देते थे। बर्बरीक ने भगवान शिव की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें तीन अचूक बाण दिए थे। इसके साथ ही अग्निदेव ने प्रसन्न होकर उन्हें एक दिव्य धनुष दिया था। ऐसा माना जाता है कि इन तीन बाणों से संपूर्ण ब्रह्मांड का विनाश किया जा सकता था।
वे युद्ध में हिस्सा लेने जा रहे थे
जब बर्बरीक को अपने दादा पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध के बारे में पता चला तो उन्होंने अपनी मां से युद्ध में जाने की इच्छा जताई। उस समय बर्बरीक की मां को लगा कि पांडवों की सेना कम है, शायद वे युद्ध हार जाएं। इस कारण उन्होंने बर्बरीक से हारने वाली सेना का साथ देने का वचन लिया। जब बर्बरीक अपनी मां को वचन देकर युद्ध के लिए निकले तो भगवान कृष्ण को सारी बात पता चल गई। भगवान कृष्ण पूरी तरह जानते थे कि युद्ध में पांडव जीतेंगे। इस कारण उन्हें पता चल गया कि बर्बरीक हारने वाली सेना यानी कौरवों की ओर से लड़ेंगे। यह देखकर भगवान कृष्ण ब्राह्मण का वेश धारण कर बर्बरीक के मार्ग पर पहुंच गए।
बरबरीक की परीक्षा ली
भगवान कृष्ण ने बीच रास्ते में बर्बरीक को रोक लिया। साथ ही हंसते हुए कहा कि तुम किस तरह के योद्धा हो, जो मात्र 3 बाणों से युद्ध करने जा रहे हो। इस पर बर्बरीक ने उत्तर दिया कि मेरे तरकश का एक ही बाण पूरे युद्ध को समाप्त कर सकता है। यदि मैं 3 बाणों का प्रयोग करूंगा तो तीनों लोकों में हाहाकार मच जाएगा।
भगवान कृष्ण ने चुनौती दी
इस पर भगवान कृष्ण ने उसे बरगद के पेड़ के सभी पत्तों को छेदने की चुनौती दी। यह चुनौती देने के साथ ही भगवान कृष्ण ने पेड़ का एक पत्ता अपने पैरों के नीचे दबा लिया। बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार की और एक बाण चलाया, उस एक बाण ने पूरे पेड़ के पत्तों को छेद दिया और इसके बाद बाण भगवान कृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया। इस पर बर्बरीक ने कहा कि हे ब्राह्मण, कृपया अपना पैर हटाओ और बाण को अपने पैरों के नीचे बचे हुए पत्ते को छेदने दो। मैंने बाण को केवल पत्ते को छेदने दिया है, आपके पैरों को नहीं।
भगवान कृष्ण चिंतित होने लगे
बर्बरीक की यह शक्ति देखकर भगवान कृष्ण ने उससे पूछा कि वह युद्ध में किसका साथ देगा, तब बर्बरीक ने कहा कि मैंने अपनी मां को वचन दिया है कि मैं हारने वाली सेना की तरफ से लड़ूंगा। भगवान कृष्ण जानते थे कि कौरव युद्ध हार जाएंगे, ऐसे में अगर बर्बरीक कौरवों की तरफ से लड़ेगा तो पांडवों की सेना हार जाएगी। यह देखकर भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से दान देने को कहा। बर्बरीक ने वचन दिया कि हे ब्राह्मण देव आप जो भी मांगेंगे, मैं आपको दान में दूंगा।
दान में मांगा सिर
इस पर भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सिर दान में मांग लिया। ऐसी स्थिति में बर्बरीक एक पल के लिए सोच में पड़ गया, लेकिन वह अपने वचन का पक्का था। बर्बरीक ने कहा कि हे ब्राह्मण मैं आपको अपना सिर दे दूंगा लेकिन आप मुझे कोई साधारण ब्राह्मण नहीं लगते, कृपया अपना परिचय दें। इस पर भगवान कृष्ण ने बर्बरीक को अपना विशाल रूप दिखाया। भगवान को अपने सामने देखकर बर्बरीक ने अपना सिर उन्हें दान कर दिया।
खाटू श्याम बन गए
अपने शीश का दान करने के साथ ही उन्होंने भगवान कृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा भी जताई। इस पर उन्होंने बर्बरीक का शीश युद्ध भूमि के पास एक पहाड़ी पर रख दिया। यहीं से बर्बरीक ने पूरा युद्ध देखा। भगवान कृष्ण ने बर्बरीक को वचन दिया कि आने वाले नए युग यानी कलियुग में तुम श्याम नाम से जाने जाओगे और हर हारे का सहारा बनोगे। यही वजह है कि खाटू में बर्बरीक का मंदिर है, जिसे खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है। इन्हें हारे का सहारा कहा जाता है।

