भारत के इतिहास में कई पौराणिक मंदिरों का जिक्र मिलता है। ये मंदिर धर्म की दृष्टि से भी काफी लोकप्रिय हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है पाताल भुवनेश्वरी की गुफा में स्थित मंदिर। हमारे पुराणों के अनुसार पाताल भुवनेश्वर के अलावा कोई ऐसा स्थान नहीं है जहां चारों धामों के एक साथ दर्शन हो सकें।

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इस पवित्र और रहस्यमयी गुफा में कई सदियों का इतिहास छिपा है। माना जाता है कि यह एकमात्र ऐसी गुफा है जहां हिंदू धर्म के 33 करोड़ देवी-देवता एक साथ निवास करते हैं।

आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा खोजा गया

पाताल भुवनेश्वर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के शहर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ियों के बीच बसे कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। देवदार के घने जंगलों के बीच पाताल भुवनेश्वर में कई गुफाएं हैं। इन्हीं बड़ी गुफाओं में से एक में शंकर जी का मंदिर भी है। पाताल भुवनेश्वर की मान्यताओं के अनुसार इसकी खोज आदि जगत गुरु शंकराचार्य ने की थी।

भगवान शंकर ने पांडवों के साथ चौपड़ खेली थी
पुराणों में लिखा है कि त्रेता युग में इस गुफा को सबसे पहले राजा ऋतुपूर्ण ने देखा था, द्वापर युग में पांडवों ने यहां भगवान शंकर के साथ चौपड़ खेली थी और कलियुग में जगत गुरु शंकराचार्य का 722 ई. के आसपास इस गुफा से साक्षात्कार हुआ था, इसलिए उन्होंने यहां तांबे का शिवलिंग स्थापित किया था। बाद में कुछ राजाओं ने इस गुफा की खोज की। आज के समय में पाताल भुवनेश्वर गुफा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। देश-विदेश से कई पर्यटक इस प्राचीन गुफा और यहां स्थित मंदिर को देखने आते रहते हैं।

इस गुफा में है भगवान गणेश का कटा हुआ सिर
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को सबसे पहले पूजनीय माना जाता है। गणेश के जन्म को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने गुस्से में गणेशजी का सिर काट दिया था, बाद में देवी पार्वती के कहने पर भगवान गणेश पर हाथी का सिर लगाया गया था, लेकिन ऐसा माना जाता है कि धड़ से अलग हुए सिर को भगवान शिव ने पाताल भुवनेश्वर गुफा में रख दिया था।

कलयुग के अंत के बारे में बताता है यह पत्थर

इन गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक के तौर पर 4 पत्थर स्थापित हैं। इनमें से एक पत्थर जिसे कलयुग का प्रतीक माना जाता है, धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन कलयुग का प्रतीक यह पत्थर दीवार से टकराएगा, उस दिन कलयुग खत्म हो जाएगा।

इन धामों के दर्शन होते हैं

इस गुफा के अंदर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं। बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की पत्थर की मूर्तियाँ हैं। इनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश और गरुड़ शामिल हैं। चट्टान में तक्षक नाग की आकृति भी दिखाई देती है। इस पंचायत के ऊपर बाबा अमरनाथ की गुफा है और पत्थर के विशाल ताले फैले हुए हैं। इस गुफा में कालभैरव की जीभ के दर्शन होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति कालभैरव के मुख के रास्ते उनके गर्भ में प्रवेश कर उनकी पूंछ तक पहुँच जाता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

✧ धार्मिक और अध्यात्मिक

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