CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, यह छंटनी कई स्तरों और देशों में होगी. चलिए, जानते हैं कि साल के 5 महीने टेक इंडस्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए कैसे रहे?


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
50 हजार से ज्यादा की गई नौकरी
साल 2025 की शुरुआत ही टेक इंडस्ट्री के लिए चुनौतियों से भरी रही है. साल के पहले 5 महीनों में ही 50,000 से ज़्यादा टेक कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. यह जानकारी layoffs.fyi नामक वेबसाइट पर जारी आंकड़ों से सामने आई है, जिसने बताया कि 126 टेक कंपनियों ने अब तक 53,100 से अधिक वर्कर्स को निकाला है. यह ट्रेंड सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है, यूरोप की कंपनियां भी इसमें शामिल हैं.
सबसे ज्यादा खतरा यहां काम करने वालों को
इस लिस्ट में सबसे ऊपर है दिग्गज चिप निर्माता कंपनी Intel, जिसने पहले ही लगभग 15,000 लोगों की छंटनी कर दी थी और अब वर्कफोर्स के 20 फीसदी हिस्से को निकालने की योजना बना रही है. हालांकि कंपनी ने इन रिपोर्ट्स को सीधे तौर पर स्वीकार नहीं किया है, लेकिन कहा है कि छंटनियां दूसरी तिमाही से शुरू होकर कई महीनों तक चलेंगी.
यहां से एक साथ निकाले गए 2800 कर्मचारी
स्वीडन की बैटरी निर्माण कंपनी Northvolt ने मार्च के अंत में एक झटका देते हुए 2800 कर्मचारियों की छंटनी कर दी. यह कदम कंपनी के दिवालिया होने के कुछ ही हफ्तों बाद उठाया गया. पिछले साल सितंबर में भी इस कंपनी ने 1600 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था.
Meta और Google से भी गई नौकरी
मार्क ज़ुकरबर्ग की कंपनी Meta ने भी साल की शुरुआत से लेकर अब तक 4000 से ज़्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है. वहीं दूसरी ओर, Google ने फरवरी में अमेरिका में अपने कई कर्मचारियों को बायआउट ऑफर दिए और अप्रैल में Platforms और Devices यूनिट से सैकड़ों कर्मचारियों को हटाया. ये छंटनियां जनवरी में शुरू हुए वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम का हिस्सा थीं.
टेक कंपनियों में क्यों हो रही हैं इतनी छंटनियां?
टेक कंपनियां अब उस तेज़ ग्रोथ मोड से बाहर निकल रही हैं जो उन्हें कोविड के बाद मिला था. अब फोकस है लागत में कटौती, एआई और ऑटोमेशन को अपनाने और छोटे लेकिन कुशल टीम मॉडल की ओर बढ़ने का. इसका नतीजा है कि बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हो रही हैं.
भारत पर इसका क्या असर हो सकता है?
भारत में इसके दो प्रमुख असर देखने को मिल सकते हैं. पहला, विदेशी टेक कंपनियों में काम कर रहे भारतीयों की नौकरी पर संकट गहराएगा. दूसरा, भारत से बाहर नौकरी की तलाश कर रहे युवा प्रोफेशनल्स के लिए अवसर सीमित हो सकते हैं. भारत की आईटी इंडस्ट्री भी ग्लोबल ट्रेंड्स से अछूती नहीं रहती.
खुद को करना होगा अपग्रेड
अब सुरक्षित करियर के लिए जरूरी है स्किल अपग्रेड. टेक इंडस्ट्री अब पहले जितनी सुरक्षित नहीं रह गई है. AI, ऑटोमेशन और लागत कटौती जैसे फैक्टर कंपनियों की प्राथमिकता बन चुके हैं. ऐसे में हर टेक प्रोफेशनल के लिए जरूरी है कि वह अपनी स्किल्स को लगातार अपग्रेड करता रहे और बदलते समय के साथ खुद को ढाल सके.
Author : एबीपी बिजनेस डेस्क

