
देवभूमि उत्तराखण्ड हाल ही में आई भीषण बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की त्रासदी से जूझ रहा है। हजारों परिवार उजड़ गए, कई घर-मकान बह गए, खेत-बागवानी नष्ट हो गए, होटल और विद्यालय खंडहर में बदल गए, और सबसे बड़ी पीड़ा उन परिवारों के हिस्से आई जिनके अपने इस आपदा में काल के गाल में समा गए। इस भयावह परिस्थिति में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखण्ड आना न केवल पीड़ितों के लिए संबल बना, बल्कि पूरे राज्य में एक नया विश्वास जगाने वाला क्षण सिद्ध हुआ।
।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी


प्रधानमंत्री ने देहरादून पहुंचकर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की, आपदा प्रभावित परिवारों से भेंट की, बचाव एवं राहत कार्यों में जुटे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आपदा मित्र स्वयंसेवकों से संवाद किया और उनके साहस की सराहना की। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि प्रधानमंत्री ने बिना किसी औपचारिकता में समय गंवाए, ₹1200 करोड़ की तात्कालिक वित्तीय सहायता की घोषणा की। साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्रीय टीम द्वारा किए गए नुकसान के विस्तृत आकलन के आधार पर अतिरिक्त सहायता राशि भी तुरंत उपलब्ध कराई जाएगी।
आर्थिक सहायता से मिली राहत
प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार मृतकों के परिवारों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की अनुग्रह राशि दी जाएगी। यह सहायता राशि केवल सांत्वना का प्रतीक नहीं है, बल्कि उन परिवारों के लिए तत्काल राहत का साधन है, जो अचानक से जीवन की हर सुरक्षा खो बैठे हैं। प्रधानमंत्री ने खासतौर पर उन बच्चों के भविष्य की चिंता की है, जो इस आपदा में अनाथ हो गए। इन बच्चों को “पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन” योजना के अंतर्गत व्यापक सहयोग प्रदान किया जाएगा—यह संवेदनशीलता प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता और मानवीय दृष्टिकोण का परिचायक है।
पुनर्निर्माण और विकास पर विशेष फोकस
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि आपदा से क्षतिग्रस्त घरों, स्कूलों, सड़कों और बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में केंद्र सरकार पूरा सहयोग देगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत विशेष परियोजना चलाई जाएगी ताकि बेघर परिवारों को सुरक्षित आश्रय मिल सके। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि पुनर्निर्माण की राह में कोई नियम बाधा बनता है तो उसमें बदलाव भी किया जाएगा। यह कथन केवल वादा नहीं, बल्कि नीति-निर्माण के स्तर पर लचीलापन और संवेदनशीलता का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री का यह दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियाँ बेहद जटिल हैं। पहाड़ी इलाकों में सड़क, पुल और इमारतें केवल विकास का प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन रेखा होती हैं। जब ये ढह जाते हैं तो केवल संरचनाएं नहीं टूटतीं, बल्कि पूरे समुदाय की जीवन-शैली प्रभावित होती है। ऐसे में केंद्र सरकार का यह संकल्प कि पुनर्निर्माण कार्य में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी, राज्यवासियों को मानसिक और व्यावहारिक दोनों स्तर पर आश्वस्त करता है।
आपदा प्रबंधन में ‘डबल इंजन सरकार’ का तालमेल
यह उल्लेखनीय है कि आपदा के पहले ही क्षण से उत्तराखण्ड सरकार ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आपदा मित्र टीमों के साथ मिलकर व्यापक राहत व बचाव कार्य शुरू किए। हेलीकॉप्टर और अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला गया। इस अभियान में केंद्र और राज्य सरकार का तालमेल “डबल इंजन सरकार” की अवधारणा को वास्तविकता में मूर्त रूप देता है।
प्रधानमंत्री ने स्वयं प्रभावित परिवारों से संवाद कर यह विश्वास दिलाया कि इस आपदा की घड़ी में केंद्र और राज्य सरकार पूरी शक्ति और संसाधनों के साथ हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है। यह विश्वास की वही डोर है जिसने उत्तराखण्ड के प्रत्येक नागरिक के हृदय में प्रधानमंत्री मोदी के प्रति गहरा सम्मान और आभार भाव भर दिया है।
संवेदनशीलता और नेतृत्व का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा केवल आर्थिक पैकेज तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने हर स्तर पर संवेदनशीलता दिखाई। आपदा प्रभावित परिवारों से मिलना, बच्चों के भविष्य की चिंता करना, आपदा मित्र और बचावकर्मियों के साहस की सराहना करना—ये सब कदम प्रधानमंत्री की उस नेतृत्व शैली को रेखांकित करते हैं जो केवल नीतिगत निर्णय तक सीमित नहीं बल्कि मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देती है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल उत्तराखण्ड के इतिहास में दर्ज हो जाएगी। आपदा के क्षण में जब पूरा राज्य निराशा और भय के साये में था, तब प्रधानमंत्री का यह दौरा उम्मीद और भरोसे की किरण लेकर आया।
भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान
यद्यपि प्रधानमंत्री की घोषणाएँ राहत का बड़ा आधार प्रदान करती हैं, लेकिन उत्तराखण्ड की आपदा-प्रवण भूगोल यह सवाल उठाता है कि क्या केवल राहत और पुनर्वास से ही समस्या का समाधान हो पाएगा? बार-बार की आपदाएँ यह संकेत देती हैं कि हमें दीर्घकालिक समाधान की ओर बढ़ना होगा।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विकास योजनाएँ: सड़क, पुल और होटल निर्माण में भूकंपीय और पर्यावरणीय मानकों का सख्ती से पालन होना चाहिए।
- आपदा पूर्व चेतावनी तंत्र: आधुनिक तकनीक और उपग्रह आधारित अलर्ट सिस्टम को और मजबूत किया जाना चाहिए।
- समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन: ‘आपदा मित्र’ जैसी योजनाओं को और विस्तारित किया जाना चाहिए ताकि हर गाँव और कस्बा आपात स्थिति से निपटने में सक्षम हो।
- स्थायी पुनर्वास नीति: केवल तात्कालिक सहायता ही नहीं, बल्कि प्रभावित परिवारों को सुरक्षित और टिकाऊ जीवन-शैली देने वाली योजनाएँ तैयार करनी होंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने जब यह कहा कि “यदि नियम बाधा बनते हैं तो उनमें बदलाव भी करेंगे,” तो यह केवल एक संवेदनशील कथन नहीं बल्कि दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन नीति का संकेत भी है।
आभार और उम्मीद
उत्तराखण्ड के लोगों की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को आभार व्यक्त किया जाना स्वाभाविक है। उनकी त्वरित प्रतिक्रिया, आर्थिक सहायता, संवेदनशील दृष्टिकोण और दीर्घकालिक संकल्प ने प्रदेशवासियों के मन में यह भरोसा जगाया है कि इस आपदा के बाद न केवल पुनर्निर्माण होगा, बल्कि एक बेहतर और सुरक्षित उत्तराखण्ड का निर्माण भी संभव है।
आज जब राज्यवासी अपने टूटे घरों और उजड़े खेतों को देखकर निराश होते हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी की बातें उनके दिल में आशा का संचार करती हैं। यही सच्चा नेतृत्व है—जहाँ न केवल घोषणाएँ होती हैं, बल्कि पीड़ा के क्षणों में हाथ थामने का साहस और संवेदनशीलता भी दिखाई जाती है।
देवभूमि उत्तराखण्ड प्राकृतिक आपदाओं की मार से बार-बार त्रस्त होती रही है। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संवेदनशील हस्तक्षेप राज्य के लिए जीवनदायिनी संजीवनी की तरह है। ₹1200 करोड़ की तात्कालिक सहायता, अनुग्रह राशि, अनाथ बच्चों के लिए विशेष योजना, क्षतिग्रस्त ढाँचों के पुनर्निर्माण का संकल्प और यदि आवश्यक हो तो नियम बदलने की घोषणा—ये सब मिलकर यह दर्शाते हैं कि भारत सरकार उत्तराखण्ड को केवल एक राज्य नहीं बल्कि “देवभूमि” के रूप में देखती है।
आपदा की इस घड़ी में प्रधानमंत्री का नेतृत्व न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए एक आदर्श है कि संकट के क्षणों में नेतृत्व कैसा होना चाहिए। यही वजह है कि आज पूरा उत्तराखण्ड प्रधानमंत्री मोदी का आभारी है और विश्वास करता है कि उनके नेतृत्व में “डबल इंजन सरकार” प्रदेश को आपदा से बाहर निकालकर एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर करेगी।

