नैनीताल। पर्यटकों की कल्पना में नगर की स्वच्छ आबोहवा रविवार को बेमानी साबित हुई, जहरीली धुंध जो सरोवर नगरी को अपने आगोश में लिए हुए थी। जमीन से आसमान तक सब धुंधला हो गया था।

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एरीज के विज्ञानियों ने कहा कि जंगलों की आग, अधिक वाहन और तापमान में वृद्धि से वातावरण धुंधला गया है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

सुबह के समय आसमान हल्का सा धुंधलाया हुआ सा था। जैसे जैसे दिन चढ़ता गया, धुंध भी गहराती चली गई। दोपहर में सामने सामने की पहाड़ियों का दीदार मुश्किल हो गया। असमान में सूर्य की चमक भी धुंध के आगे फीकी पड़ गई। नगर सैर पर पहुंचे सैलानियों के लिए खराब हवा समझ से परे थी।

देर शाम तक नगर की फिजा खराब बनी रही। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ वायुमंडलीय विज्ञानी डा नरेंद्र सिंह ने बताया कि तापमान बढ़ने के साथ ही मैदानी भागों में वायु प्रदूषण के कण ऊंचाई की ओर उठने शुरू हो जाते है, जो ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंच जाते हैं।

पिछले कुछ समय से यह सिलसिला चला आ रहा है। अप्रैल माह में मैदानी भागों में सामान्य से अधिक तापमान बढ़ने से प्रदूषित कणों ने पहाड़ी क्षेत्रों का वातावरण दूषित किया था। इधर पुनः तापमान में तेजी आने से नैनीताल, मुक्तेश्वर व रामगढ़ समेत समीपवर्ती अन्य पर्वतीय क्षेत्रों का वातावरण भी वायु प्रदूषण की चपेट में रहा।

इधर जंगलों की आग बढ़ने से पीएम 10 की मात्रा 90 पहुंच गई, जबकि 2.5 की मात्रा भी 36 दर्ज की गई है। यह दोनों प्रदूषण सामान्य से अधिक दर्ज किए गए हैं। डा नरेंद्र सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय क्षेत्र भी प्रदूषण से अछूता नहीं रहा। कार्बन की मात्रा बढ़ रही है। तापमान में वृद्धि इसकी बड़ी वजह है।


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