
पईपुरा।,उत्तराखंड और देशभर में शिक्षा संस्थानों की पहचान केवल अकादमिक उपलब्धियों से नहीं होती, बल्कि खेलों, कला और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी उनके विद्यार्थियों की भागीदारी से तय होती है। जब कोई स्कूल अपने विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचते देखता है, तो वह उपलब्धि केवल उस स्कूल की नहीं रहती, बल्कि पूरे क्षेत्र की शान बन जाती है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)
इसी गौरवपूर्ण क्षण का साक्षी बना है जे.के. कॉन्वेंट स्कूल, पईपुरा। विद्यालय के तीन विद्यार्थियों—मयंक पाल, साहिबदीप सिंह और अनमोलदीप सिंह—ने अपनी प्रतिभा और संघर्ष के बल पर 4th नेशनल टी-10 टेनिस बॉल क्रिकेट चैम्पियनशिप में जगह बनाकर विद्यालय और पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। यह प्रतियोगिता 11 से 14 सितम्बर 2025 तक पुरी, ओडिशा में आयोजित की जाएगी।
खेल: केवल मनोरंजन नहीं, व्यक्तित्व निर्माण का माध्यम?आज के समय में खेल केवल एक सह-पाठ्यक्रम गतिविधि भर नहीं रहे। ये बच्चों में आत्मविश्वास, अनुशासन, टीम भावना और नेतृत्व क्षमता का निर्माण करते हैं। टेनिस बॉल क्रिकेट, भले ही हार्ड-बॉल क्रिकेट की तरह औपचारिक मान्यता न रखता हो, लेकिन इसकी लोकप्रियता और प्रतिस्पर्धा का स्तर देशभर में तेजी से बढ़ रहा है। यही कारण है कि इसमें चयनित होना बच्चों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
मयंक, साहिबदीप और अनमोलदीप का चयन यह साबित करता है कि यदि अवसर और मार्गदर्शन मिले, तो छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों से भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार हो सकते हैं।
विद्यालय का योगदान?जे.के. कॉन्वेंट स्कूल का नाम इस उपलब्धि के साथ और भी ऊँचाई पर पहुँचा है। विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री रवि कांत मौर्य और प्रबंधक लखविंदर सिंह का विजन सराहनीय है कि उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ खेलों को भी समान महत्व दिया। विद्यालय के कोच की मेहनत भी इस उपलब्धि की आधारशिला रही।
आज अधिकतर स्कूल शिक्षा को केवल किताबों और अंकों तक सीमित कर देते हैं, लेकिन जे.के. कॉन्वेंट स्कूल ने यह साबित किया है कि वास्तविक शिक्षा वही है, जो बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे।
परिवारों का त्याग और अभिभावकों की भूमिका?किसी भी सफलता की नींव घर से ही पड़ती है। मयंक, साहिबदीप और अनमोलदीप के अभिभावकों का त्याग और समर्थन इस उपलब्धि की असली ताकत है। खेलों में सफलता पाने के लिए बच्चों को अतिरिक्त समय, संसाधन और मानसिक प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। ग्रामीण और छोटे कस्बों के अभिभावक अकसर आर्थिक चुनौतियों से जूझते हैं, लेकिन फिर भी वे अपने बच्चों के सपनों को पंख देने में पीछे नहीं हटते।
क्षेत्र में प्रसन्नता की लहर?इन विद्यार्थियों के चयन से पईपुरा और आसपास के पूरे क्षेत्र में उत्साह और गर्व का वातावरण है। यह चयन केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं बल्कि सामूहिक प्रेरणा है। जब एक बच्चा राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचता है, तो सौ अन्य बच्चों को अपने भीतर छुपी क्षमता पर विश्वास करने की प्रेरणा मिलती है।
खेल और उत्तराखंड की पहचान?उत्तराखंड, जिसे लोग देवभूमि के नाम से जानते हैं, प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता की भूमि है। लेकिन अब यह राज्य खेलों में भी अपनी अलग पहचान बना रहा है। क्रिकेट जैसे खेलों में राज्य के बच्चों का प्रदर्शन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभर कर आना, प्रदेश की खेल नीतियों के लिए भी सकारात्मक संकेत है।
इस चयन से यह संदेश भी जाता है कि उत्तराखंड के युवा केवल पहाड़ों और घाटियों में सिमटे नहीं रह गए हैं, बल्कि वे देश और दुनिया में अपने दम पर झंडा गाड़ने की क्षमता रखते हैं।
खेलों में अवसर और चुनौतियाँ?यहाँ यह भी जरूरी है कि हम खेलों में आने वाली चुनौतियों को पहचानें। छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों के पास पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षण सुविधाएँ और पेशेवर मार्गदर्शन की कमी होती है। टेनिस बॉल क्रिकेट जैसे फॉर्मेट में तो बच्चों को अपने दम पर ही अभ्यास करना पड़ता है।
ऐसे में विद्यालय और स्थानीय प्रशासन का दायित्व है कि वे इन प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का पूरा अवसर दें। खेल मैदानों का निर्माण, प्रशिक्षित कोच की नियुक्ति और आर्थिक सहायता से ही इन प्रतिभाओं को आगे बढ़ाया जा सकता है।
शिक्षा और खेल का संतुलन?आज का सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या खेल और शिक्षा साथ-साथ चल सकते हैं? मयंक, साहिबदीप और अनमोलदीप का चयन इस प्रश्न का सबसे बड़ा उत्तर है। ये विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। यह उदाहरण बताता है कि यदि बच्चों को सही मार्गदर्शन मिले, तो वे दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्व?खेल न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। जब किसी क्षेत्र का बच्चा राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचता है, तो पूरे समाज की पहचान और प्रतिष्ठा बढ़ती है। इस उपलब्धि से पईपुरा और आसपास के गाँवों का नाम भी राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचा है।
भविष्य की संभावनाएँ,?राष्ट्रीय स्तर पर चयन इन विद्यार्थियों के करियर की शुरुआत है। यदि इन्हें निरंतर मार्गदर्शन और अवसर मिले, तो भविष्य में ये राज्य और देश का प्रतिनिधित्व भी कर सकते हैं। इसके लिए सरकार, खेल संघ और समाज को मिलकर कदम उठाने होंगे।
जे.के. कॉन्वेंट स्कूल पईपुरा के तीन विद्यार्थियों का राष्ट्रीय चयन केवल एक समाचार नहीं बल्कि प्रेरणा है। यह सफलता बताती है कि संघर्ष और लगन से सपने साकार किए जा सकते हैं। यह उपलब्धि न केवल विद्यालय परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।विद्यालय प्रबंधन, कोच, अभिभावकों और विद्यार्थियों को इस ऐतिहासिक सफलता के लिए बधाई और शुभकामनाएँ।


