
नैनीताल हर वर्ष 15 जून को उत्तराखंड के नैनीताल जनपद स्थित विश्वप्रसिद्ध नीम करोली बाबा के कैंची धाम में स्थापना दिवस का मेला लगता है, जो अब एक अंतरराष्ट्रीय आस्था केंद्र बन चुका है। यह मेला केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि इसमें लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से जुटते हैं, जिनमें आम भक्तों के साथ-साथ तकनीकी, औद्योगिक और आध्यात्मिक जगत की बड़ी हस्तियां भी शामिल होती हैं।


इस वर्ष भी 15 जून को लगने वाले मेले की तैयारियों को लेकर जिला प्रशासन, परिवहन विभाग और टैक्सी यूनियनों के बीच गहन समन्वय बैठकें हो रही हैं। क्योंकि हर साल की तरह इस बार भी हल्द्वानी-भीमताल-भवाली मार्ग पर भारी भीड़ और जाम की स्थिति पैदा होने की आशंका है।
कैंची धाम: नीम करोली बाबा की तपोभूमि और चमत्कारों का केंद्र
उत्तराखंड में नैनीताल के निकट भीमताल मार्ग पर स्थित कैंची धाम मंदिर नीम करोली बाबा की साधना स्थली रही है। माना जाता है कि यह स्थान 1964 में स्थापित हुआ, और तभी से हर वर्ष 15 जून को बाबा की स्मृति में विशाल भंडारे और मेले का आयोजन होता है।
नीम करोली बाबा को कलियुग का हनुमान अवतार माना जाता है। उनके जीवन में अनेक चमत्कारों की कथाएं जुड़ी हैं — जैसे बिना बोले लोगों की मुरादें जान लेना, बीमारियों को दूर कर देना, और भक्तों को असंभव परिस्थितियों से उबार देना।
बाबा के शिष्यों में अमेरिका के एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग, तथा कई अन्य विदेशी संत और विचारक भी शामिल हैं। यही कारण है कि कैंची धाम एक अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का केंद्र बन गया है।
नीम करोली बाबा का जीवन परिचय:
- जन्म: 1900 के आसपास, अकबरपुर, उत्तर प्रदेश
- प्रारंभिक नाम: लक्ष्मण नारायण शर्मा
- संस्कार और गृहस्थ जीवन: 11 वर्ष की उम्र में विवाह, लेकिन अल्पायु में ही घर त्याग कर साधु बन गए।
- भक्ति पथ: बजरंगबली हनुमान के परम भक्त थे। उन्हें लक्ष्मण दास, तिकोनिया वाले बाबा, तलैया बाबा आदि नामों से भी जाना गया।
- स्थायी तपोभूमि: कैंची धाम, उत्तराखंड
- विशेषता: लोक कल्याण, मुरादों की सिद्धि, चमत्कारी उपचार और अंतःकरण की शुद्धि के लिए प्रसिद्ध।
15 जून का मेला: एक दिव्य आयोजन
हर वर्ष 15 जून को बाबा की पुण्यस्मृति में एक दिवसीय विशाल मेला और भंडारा आयोजित होता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचते हैं और बाबा की समाधि पर पुष्प अर्पित करते हैं।
मेले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि:
- एक दिन में लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं
- निःशुल्क भंडारा चलता है, जिसमें हजारों लोगों को भोजन कराया जाता है
- श्रद्धालु सुबह 4 बजे से ही लाइन में लग जाते हैं
- सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहते हैं
इस वर्ष प्रशासन को अनुमान है कि 3 से 4 लाख श्रद्धालु इस आयोजन में सम्मिलित हो सकते हैं।
जाम से निपटने की प्रशासनिक रणनीति
हर साल जाम की विकट समस्या उत्पन्न होती है। इस बार भी हल्द्वानी-भीमताल-भवाली मार्ग पर जाम की आशंका को देखते हुए आरटीओ प्रवर्तन अधिकारी डॉ. गुरदेव सिंह ने रोडवेज, केमू, और टैक्सी यूनियनों के साथ बैठक कर विशेष योजना बनाई है:
- शटल बस सेवा: रोडवेज व केमू की बसें शटल रूप में चलाई जाएंगी ताकि छोटे वाहनों की संख्या कम हो सके।
- पार्किंग जोन: भीमताल, गरमपानी और भवाली के बाहर पार्किंग स्थल तय किए गए हैं।
- इंटरसेप्टर वैन और मोबाइल पुलिस टीमें: ट्रैफिक नियंत्रण के लिए तैनात की जाएंगी।
- सीसीटीवी निगरानी व ड्रोन: भीड़ और वाहनों की निगरानी के लिए तकनीकी सहायता का सहारा लिया जाएगा।
सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व
नीम करोली बाबा का दर्शन करना भक्तों के लिए मोक्ष के समान माना जाता है। कहते हैं, “जो एक बार कैंची धाम आ जाता है, उसकी हर समस्या बाबा हल कर देते हैं।” यहां आकर श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं, बल्कि अपने जीवन की समस्याओं का समाधान भी पाते हैं।
कैंची धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि विश्व-आस्था का प्रतीक बन चुका है। 15 जून का मेला उत्तराखंड की आध्यात्मिक पहचान बन गया है। यह आयोजन प्रशासन, समाज और श्रद्धालुओं — तीनों की परीक्षा भी होता है। यदि सब मिलकर योजना और संयम से कार्य करें, तो यह मेला एक सकारात्मक संदेश देकर हजारों दिलों को छू सकता है।
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट,अगर आप 15 जून को कैंची धाम जा रहे हैं, तो प्रशासन की गाइडलाइन जरूर पढ़ें, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें, और स्थानीय पुलिस व स्वयंसेवकों के निर्देशों का पालन करें।
नीम करौली बाबा को एक दिव्य पुरुष, चमत्कारी संत और हनुमान जी के उपासक के रूप में जाना जाता है। उनके जीवन से जुड़े कई चमत्कार आम जनमानस में अत्यंत लोकप्रिय हैं। नीचे ऐसे ही पाँच प्रसिद्ध चमत्कारों का उल्लेख किया गया है:
1. अग्नि में जलते आश्रम की रक्षा
कहा जाता है कि एक बार बाबा के कैंची धाम आश्रम में अचानक आग लग गई थी। जब लोग घबराए, तो बाबा ने केवल हनुमान चालीसा का पाठ करने को कहा। हैरानी की बात यह थी कि आग खुद-ब-खुद शांत हो गई और मंदिर सहित कोई भी महत्वपूर्ण संरचना नष्ट नहीं हुई।
2. टूटती रेलगाड़ी को चलाना
एक बार बाबा ट्रेन से यात्रा कर रहे थे और टिकट नहीं होने के कारण गार्ड ने उन्हें उतरने को कहा। बाबा उतर गए, लेकिन ट्रेन चलने का नाम नहीं ले रही थी। अंततः रेलवे अधिकारियों को बाबा से क्षमा मांगकर फिर से सवार कराना पड़ा, और तभी ट्रेन आगे बढ़ सकी। यह चमत्कार आगरा से जुड़े एक स्टेशन पर बताया जाता है।
3. बीमार लड़की को ठीक कर देना
एक अमेरिकी भक्त की बेटी गंभीर रूप से बीमार थी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। उस भक्त ने बाबा से प्रार्थना की। उसी रात बाबा ने उसे सपने में दर्शन दिए। अगले ही दिन डॉक्टरों ने पाया कि लड़की की हालत में अचानक सुधार हो गया है। यह घटना अमेरिका में बाबा के प्रभाव को दिखाती है।
4. फल न होने पर भी प्रसाद का मिलना
कहा जाता है कि एक बार बाबा के भक्तों ने उन्हें केले का प्रसाद चढ़ाने की इच्छा जताई, लेकिन किसी कारण से फल उपलब्ध नहीं हो सका। बाबा मुस्कराए और जैसे ही थाल खोला गया, उसमें केले प्रसाद रूप में रखे हुए थे। यह घटना बाबा के चमत्कारिक ‘संकल्प सिद्ध’ स्वरूप को दिखाती है।
5. भविष्यवाणी और अंतर्ज्ञान
बाबा को कई बार भक्तों के बिना बोले ही उनके मन की बात जानने का सामर्थ्य था। अनेक बार वे किसी के आने से पहले ही उसकी चर्चा कर देते थे या आने वाली विपत्ति से पहले भक्तों को सावधान कर देते थे। ऐसे अनेक किस्से कैंची धाम और वृंदावन आश्रम के भक्तों द्वारा बताए जाते हैं।
इन चमत्कारों ने नीम करौली बाबा को एक ‘साक्षात चमत्कारी संत’ के रूप में जनमानस में स्थापित कर दिया है। उनके भक्त आज भी उन्हें “सद्गुरु”, “हनुमान स्वरूप” और “करुणा के अवतार” के रूप में पूजते हैं।
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