संपादकीय: मेट्रोपोलिस की नई सुबह – एकता, विश्वास और पुनर्निर्माण की ओर

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मेट्रोपोलिस के निवासियों के लिए यह सप्ताह एक ऐतिहासिक मोड़ लेकर आया, जब वर्षों से विभाजित दो प्रमुख आवासीय संगठन MOWA (Metro Owners Welfare Association) और MRWA (Metro Residents Welfare Association) ने आपसी मतभेद भुलाकर सर्वसम्मति से एक हो जाने का निर्णय लिया। बंद कमरे में हुई इस ऐतिहासिक बैठक में न केवल गले मिलकर एकता का परिचय दिया गया, बल्कि मेट्रोपोलिस को उसके पुराने गौरवमयी स्वरूप में लौटाने की प्रतिबद्धता भी दोहराई गई।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह

यह विलय सिर्फ एक औपचारिक समझौता नहीं था, बल्कि उस सामूहिक इच्छा शक्ति का प्रतीक था जो लंबे समय से बिखरी हुई समिति प्रणाली और आंतरिक टकरावों से जूझ रही मेट्रोपोलिस को एकसूत्र में बांधना चाहती थी। Hindustan Global Times की सशक्त पत्रकारिता और जनहित में उठाई गई आवाज़ का प्रत्यक्ष प्रभाव भी इस परिवर्तन में साफ झलकता है।

सूत्रों से अब जबकि MOWA के वरिष्ठ पदाधिकारी – अध्यक्ष प्रवीण कोठारी, उपाध्यक्ष एम.पी. चौहान, कोषाध्यक्ष असलम कोहरा, सदस्य डी.के. पांडे और कैप्टन खड़क सिंह कार्की – ने MRWA की सदस्यता स्वीकार कर ली है, एक सामूहिक नेतृत्व के तहत मेट्रोपोलिस के विकास की नई इबारत लिखी जाएगी।

गौरतलब है कि वर्षों से मेट्रोपोलिस की छवि अनेकानेक समितियों, अंतर्कलह और ग्रुप संघर्षों की वजह से धूमिल होती रही। व्हाट्सऐप ग्रुपों में चल रहे गृह युद्ध, सदस्य जोड़ने और हटाने की राजनीति, और चुनाव संबंधी खींचतान ने इस आवासीय परिसर की गरिमा को कई बार प्रश्नों के घेरे में ला खड़ा किया।

मेट्रोपोलिस ग्रुप में फेरबदल: विरोधियों को कड़ा संदेश, सकारात्मक सोच वालों के साथ आगे बढ़ेगा सफर

मेट्रोपोलिस ग्रुप से कुछ व्यक्तियों को हटाए जाने की खबर ने निवासियों में हलचल मचा दी है। सूत्रों के अनुसार यह कार्रवाई मेट्रोपोलिस को सुव्यवस्थित और निवासियों के हित में संचालित करने की दिशा में एक आवश्यक कदम बताया जा रहा है। यह स्पष्ट किया गया है कि मेट्रोपोलिस का भविष्य केवल सकारात्मक सोच रखने वाले और सामाजिक समर्पण के साथ काम करने वाले व्यक्तियों के साथ लिखा जाएगा।

MRWA (मेट्रोपोलिस रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन) ने ग्रुप से हटाए गए व्यक्तियों को चेतावनी दी है कि वे इस निर्णय को गंभीरता से लें और मेट्रोपोलिस की शांति और विकास में बाधा डालने की कोशिश न करें। संगठन ने दो टूक कहा कि मेट्रोपोलिस को यहां के निवासियों की जरूरतों और अपेक्षाओं के अनुरूप चलाया जाएगा, न कि व्यक्तिगत एजेंडा के आधार पर।यह कदम दिखाता है कि अब किसी भी प्रकार की अंदरूनी राजनीति या नकारात्मक माहौल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और मेट्रोपोलिस की गाथा नए जोश और सही नेतृत्व के साथ लिखी जाएगी।

परंतु अब समय है बदलाव का। समय है एकता से प्रेरित उस आंदोलन का, जो केवल मीटिंग कक्षों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आवश्यकता पड़ी तो सड़क से सदन तक जाएगा। MRWA के बैनर तले मेट्रोपोलिस के सभी नागरिक अब एकजुट हैं – उनके स्वर में एक स्वर है, लक्ष्य में एक दिशा है।

इस विलय के बाद सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है मेट्रोपोलिस की छवि को उसके पुराने गौरव पर वापस लाना – एक ऐसा लक्ष्य जिसके लिए अब समिति नहीं, बल्कि संपूर्ण समुदाय प्रतिबद्ध है।

न्यायिक मोर्चे पर भी बढ़त:

जहां एक ओर यह संगठनात्मक पुनर्गठन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर सूत्रों से पता चला है मेट्रोपोलिस के चुनावों पर हाईकोर्ट की ओर से फिलहाल स्टे मिलना भी मरवा के लिए एक राहत का संकेत है। इससे यह संदेश जाता है कि कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से भी इस मुहिम को मान्यता मिल रही है।

जिला प्रशासन की भूमिका:

जिलाधिकारी नितिन भदोरिया द्वारा तहसीलदार रुद्रपुर को निर्देशित कर एक आम मीटिंग के आयोजन की सिफारिश भी इस पूरी प्रक्रिया को लोकतांत्रिक वैधता प्रदान करती है। MRWA द्वारा सदस्यता अभियान पूर्ण होने के बाद आमसभा आयोजित करने की सहमति इस नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।


मेट्रोपोलिस अब सिर्फ ईंट-पत्थर का आवासीय क्षेत्र नहीं, बल्कि एक विचार, एक आंदोलन और एक वचनबद्ध समुदाय का प्रतीक बन चुका है।

Hindustan Global Times इस पुनर्जागरण का साक्षी बनते हुए आशा करता है कि मेट्रोपोलिस न केवल अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त करेगा, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए एक आदर्श आवासीय मॉडल के रूप में स्थापित होगा – जहाँ नेतृत्व, जनभागीदारी और पारदर्शिता की त्रयी मिलकर नागरिक सशक्तिकरण की नींव रखेगी।

“मेट्रोपोलिस की कहानी अब बिखराव नहीं, बदलाव की कहानी बनेगी!”


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