दिपावली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा के साथ उल्लू की पूजा की भी परंपरा जुड़ी है. कई स्थानों पर अंधविश्वास और लालच के चलते उल्लुओं की बलि देने की कुप्रथा वर्षों से चली आ रही है.

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इसी कारण दीपावली के समय देशभर में, विशेषकर उत्तराखंड के जंगलों में, उल्लुओं के अवैध शिकार की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इस पर रोक लगाने के लिए वन विभाग ने पूरे प्रदेश में सतर्कता बढ़ा दी है और विशेष गश्त की व्यवस्था की गई है

.✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

प्रमुख वन संरक्षक समीर सिन्हा ने बताया कि दीपावली आनंद और उल्लास का पर्व है, लेकिन कुछ लोग अज्ञानता और अंधविश्वास के कारण इस पवित्र त्योहार के दौरान वन्यजीवों का शिकार करने की कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा, ‘उल्लू मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लोग इसी आस्था को गलत तरीके से समझकर उल्लुओं की बलि देते हैं. यह न केवल अवैध है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी बेहद हानिकारक है.

पूरे राज्य में अलर्ट जारी

वन विभाग ने इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए संपूर्ण राज्य में अलर्ट जारी किया है. सभी वन प्रभागों को निर्देश दिए गए हैं कि दीपावली के दौरान रात्रिकालीन गश्त को तेज किया जाए, खासकर उन जंगलों और बाजारों में जहां वन्यजीवों की अवैध खरीद-फरोख्त की संभावना रहती है. विभाग ने स्थानीय लोगों, वन पंचायतों और स्वयंसेवी संगठनों से भी अपील की है कि यदि कहीं उल्लू या अन्य वन्यजीवों के शिकार की सूचना मिले तो तुरंत वन विभाग को सूचित करें.

ड्रोन और पेट्रोलिंग से होगी निगरानी

प्रमुख वन संरक्षक ने बताया कि विभाग ने सभी फील्ड अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे संवेदनशील इलाकों की निगरानी ड्रोन और टीम पेट्रोलिंग से करें, ताकि किसी भी तरह की शिकार गतिविधि को समय रहते रोका जा सके. इसके अलावा, सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है कि उल्लू या किसी भी वन्यजीव की बलि देना न केवल अपराध है, बल्कि इससे प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ता है.

समीर सिन्हा ने कहा कि विभाग की प्राथमिकता है कि दीपावली का पर्व परंपरागत उत्साह और खुशियों के साथ मनाया जाए, लेकिन जंगलों और वन्यजीवों पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े. उन्होंने चेतावनी दी कि वन्यजीवों के शिकार या तस्करी में शामिल पाए जाने वालों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी


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