
हल्द्वानी (काठगोदाम), उत्तराखंड – “एक बार तो आओ शिव धाम” की भावना को साकार करते हुए आदि कैलाश और ओम् पर्वत यात्रा का पहला तीर्थयात्री दल आज काठगोदाम से विधिवत रूप से रवाना हुआ। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक गरिमा, प्राकृतिक सौंदर्य और अतिथि सत्कार की महान परंपरा को भी उजागर करती है।


यात्रा में कुल 20 श्रद्धालु शामिल हैं, जिनमें 13 पुरुष और 7 महिलाएं हैं। श्रद्धालुओं का यह विविधतापूर्ण दल महाराष्ट्र (6), तमिलनाडु (7) और उत्तराखंड (7) से आया है। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक उद्देश्य से की जा रही है, बल्कि विभिन्न प्राचीन मंदिरों और सांस्कृतिक स्थलों के दर्शन भी इसका महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
यात्रा का चरणबद्ध कार्यक्रम:
प्रथम दिन: काठगोदाम से भीमताल, गोलजू देवता मंदिर और जागेश्वर धाम के दर्शन करते हुए पिथौरागढ़ पहुँचना (कुल 196 किमी)।
द्वितीय दिन: पिथौरागढ़ से धारचूला (96 किमी) पहुँचना, जो इस यात्रा का पहला आधार शिविर रहेगा।
तृतीय दिन: धारचूला से गूंजी की ओर प्रस्थान।
चतुर्थ दिन: गूंजी से नाबी–कुटी मार्ग होते हुए नाभीढांग, जहाँ से श्रद्धालु ओम् पर्वत के दर्शन करेंगे। इसके साथ ही गणेश पर्वत, नाग पर्वत, व्यास गुफा, कालापानी में काली मंदिर और नाबी पर्वत के दर्शन भी होंगे।
पंचम दिन: गुंजी से ज्योलिकोंग, जहाँ से श्रद्धालु आदि कैलाश के दर्शन करेंगे।
षष्ठ दिन: चौकोड़ी में रात्रि विश्राम।
सप्तम दिन: अल्मोड़ा पहुँच कर प्राचीन मंदिरों के दर्शन।
अष्टम दिन: काठगोदाम वापसी के साथ यात्रा का समापन।
तीर्थ, संस्कृति और पर्यावरण का समागम
यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक संस्कृति और पर्यावरण शिक्षा की पहल भी है। मार्ग में श्रद्धालुओं को पहाड़ी व्यंजन, स्थानीय लोकसंस्कृति, पर्यावरणीय संरक्षण, और साफ-सफाई के महत्व के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
राजेन्द्र भट्ट और लक्ष्मी भट्ट तीर्थ यात्रियों के स्वागत और व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। “अतिथि देवो भवः” की भावना को जीवंत करते हुए ये दोनों स्थानीय प्रतिनिधि यात्रियों को स्थानीय परंपराओं, दर्शन स्थलों और क्षेत्रीय व्यंजनों का अनुभव करा रहे हैं।
आदि कैलाश: शिव का दिव्य धाम
आदि कैलाश को “छोटा कैलाश” भी कहा जाता है, जो पौराणिक ग्रंथों के अनुसार पंच कैलाश में से एक है। यह पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में स्थित है और भगवान शिव व माता पार्वती का प्रिय धाम माना जाता है। इसकी भव्यता और शांत वातावरण मन को अध्यात्म से जोड़ने वाला है।
इस यात्रा के लिए किसी वीज़ा की आवश्यकता नहीं होती। केवल एक इनर लाइन पास आवश्यक होता है, जिसे प्रशासन द्वारा सरल प्रक्रिया में जारी किया जा रहा है।
अब तक 102 यात्रियों ने पंजीकरण करा लिया है, जिससे इस यात्रा के प्रति लोगों में बढ़ती श्रद्धा का प्रमाण मिलता है।
मोदी जी के दर्शन से बढ़ी आस्था
साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आदि कैलाश और ओम् पर्वत के दर्शन किए जाने के बाद इस यात्रा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान मिली है। तब से लेकर अब तक श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा भी प्रारंभ
इस वर्ष से सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित कैलाश मानसरोवर यात्रा को भी पुनः प्रारंभ किया गया है। भारत-चीन सीमा से लगे इस तीर्थ क्षेत्र में सुरक्षा और व्यवस्थाओं के साथ यात्रा संचालन की तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं।
आस्था का संदेश – “एक बार तो आओ शिवधाम”xएक बार तो आओ शिवधाम” केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि उन लाखों श्रद्धालुओं की भावना है जो जीवन में एक बार भगवान शिव के चरणों तक पहुँचने की इच्छा रखते हैं। उत्तराखंड सरकार, स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों के समन्वय से यह यात्रा श्रद्धा, संस्कृति और सत्कार का अद्भुत संगम बन रही है।
रिपोर्टर: अवतार सिंह बिष्ट
काठगोदाम / पिथौरागढ़ / धारचूला
समाचार एजेंसी: शैल ग्लोबल टाइम्स / हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स
